Friday 4 May 2012

ये वो भारत वर्ष जो की आज़ादी के 64 साल बाद भी इस देश के आबादी का 46 प्रतिसत जनता को जरुरत से कम खाना मिलता है वही पे अनाज को खुले आसमान के सड़ने के किये छोड़ दिया जाता है चौका देने वाली बात तो ये है की इन अनाजो को उन जरुरत मंद जनता को न बाट कर सड़ने का इंतज़ार किया जाता है सड़ने के बाद इन्हें सराब बनाने वाली कम्पनियों को बेच दिया जाता है उन सराब कम्पनियों को जिनके लिए चिल्ला चिल्ला कर कहा जाता है की सराब पीना स्वाथ्य की लिए हानिकारक है इसका मतलब सरकार आम आदमी को अनाज खिलने के बजाय सराब पिलाने पर अमादा है 

अनाज खाना स्वास्थ्य के लिए हनिकराक है