Monday 18 June 2012

राष्ट्रपति भवन

राष्ट्रपति का नहीं बल्कि मोनिटर का चुनाव हो रहा है 






भारत के 13 महामहीम ( राष्ट्रपति) के चयन के लिए जंग सुरु हो चुकी है सभी अपनी अपनी दावेदारी ठोकने पर लगे हुई है चाहे वो पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी ए संगमा हो या भाजपा के वरिष्ठ नेता राम जेठमलानी हो सभी अपने आप को  भारत के सवैधानिक सर्वोच्य पद को पाने के लिए कवायत सुरु कर चुके है पर इन सबके बिच  राजनीति में अलग पहचान बनानेवाले दादा (प्रणव मुखर्जी ) ने सबको पछाड़ते हुई रायसीना की रेस को जीत लिया दादा एक जमिनी स्तर के नेता है वो सब जानते है कब कैसे फैसले लेना है तभी तो उन्होंने  अपनी उमीद्वारी घोषित होने से कुछ घंटे पहले ही एलान कर दिया की की उम्मेदवार कांग्रेस पार्टी का ही होगा दादा की छबि केवल अपनी ही पार्टी में नही बल्कि बिपक्ष  भी उनके राजनीति छबि को लेकर उनकी तारीफ करता रहा है  ऐसे में सवाल खडा होता है की क्या संगमा  हो या राम जेठमलानी दादा के खिलाफ रायसीना की रेस में अपने आप को शामील कर दादा को पछाड़  पाएंगे  दादा के राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी को कई समस्यो से निपटाना पड़ेगा मसलन लोकसभा में सदन का नेता , वित्त मंत्री और सबसे बड़ी बात अब दादा के बाद पार्टी का संकटमोचक कौन बनेगा,  कौन ममता दीदी को बात बात पर मनायेगा और बिपक्षईओ को अपनी बात मनवाने में सफल  हो पायेगा  पर  इन सबमे बिच एक बात बड़ी अजीब लगी ऐ देश के महामहीम का चुनाव होने जा रहा है पर कोई भी पार्टी एक व्यक्ति पर आम राय नहीं बना पा रहा है  सब अपना अपना उमीदवार खडा करने की फ़िराक में है मनो ऐ राष्ट्रपति का चुनाव  नहीं बल्कि किसी क्लास के मोनितर का चयन हो रहा है जो सब अपने आप हम हम करने  में लगे है