Sunday 23 February 2014

नरेन्द्र मोदी की रैली


 भाजपा की विजय 'शंखनाद'


चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे काफ़ी हैरान कर देने वाले रहे जहां भाजपा के लिए नतीजें उम्मीद से बढ़कर रहें तो वही कांगेस के लिए इन नतीज़ो ने सिरदर्दी बढ़ा दी है। अंदरुनी कलह से जुझ रही भाजपा चार हिंदी भाषी राज्यों बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बहुमत की  सरकार बनानें में क़ामयाब रही तो वही देश की राजधानी दिल्ली में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी। क्या इन नतीजों का ये मतलब निकाला जाए कि देश में नरेन्द्र मोदी की लहर हैं या सिर्फ़ इन चुनावों में मिली जीत का श्रेय यहां के स्थानीय नेताओं को दी जाए। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जहां भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने में क़ामयाब रही तो वही राजस्थान में पूर्ण जनादेश के साथ सत्ता पर काबिज़ हुई। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में 15 साल से सत्ता का बनवास झेल रही भाजपा राज्य में जीत का स्वाद ही नही चख़ा बल्कि सबसें बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन उसे एक बार फिर सत्ता के सिंहासन पर बैठने से बंचित रहना पड़ा। इसकी वजह हैं क़रीब 10 महीने पहले बनी नई पार्टी आम आदमी पार्टी। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में भाजपा कों 31, आप को 28, कांग्रेस को 8, जबकी अन्य को 3 सीटें मीली हैं। भाजपा सबसें बड़ी पार्टी तो हैं पर उसके पास इतने नंबर नही वो दिल्ली में सरकार बना सकें। अगले 6 महीने में आम चुनाव के साथ कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं ऎसे में पार्टी में कोई जोख़िम नही लेना चाहती जिससे उस पर सत्ता में आने को लेकर कोई गंभीर आरोप लगें। दिल्ली में आप ने तो धमाकेदार दस्तक दी लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस लग़ातार अपना ज़नादेश खोती जा रही हैं तो इसकी मुख़्य वज़ह है भ्रष्टाचार। कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही यूपीए सरकार के कार्यकाल में एक से बढकर एक घोटाले हुए जिससे वह जनता में अपना जनादार खोती गई या यू कहे तो काग्रेस को लोग भ्रष्टाचार के पर्याववाची के रूप जानने लगे। 2014 में होने वाले आम चुनावो में भाजपा की लहर है या मोदी की ये तो पता नही पर इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि देश में कांग्रेस विरोधी लहर बह रही  है। आय दिन हो रहे चुनावी सर्वेक्षणों में हर तरफ नरेंद्र मोदी  ही मोदी हैं। पर वही दूसरी ओर देश पर सबसे ज़्यादा समय तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस की बात करे तो वह पूरी तरह से अपनी हार तय मान चुकी है इस बात का अंदाजा इसी से से लगाया जा सकता है कि हाल में संपन्न हुए चार हिंदी भाषी राज्यों के विधानसभा चुनाओं के जहां भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदार नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों का रेला लगा दिया जिसका फ़ायदा पार्टी को चुनाव के नतीजो में साफ दिखा। तो वही कांग्रेस के राजकुमार व पार्टी  के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी राज्यों में गिनती के रैली कर पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की जो पूरी करह से फ़ेल हो गया और पार्टी चारों राज्यों में ओंधे मुंह गिरी। अब दिखना होगा कि पूरे देश में होने वाले आम चुनाओं  में मोदी का विकास रंग लाता हैं  या  राहुल का दलित दौरा।