Friday 18 April 2014

लोकसभा चुनाव 2014  

2014 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में अहम है जहां बीजेपी की ओर गुजरात के मुख़्यमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के  पीएम पद उम्मीदवार हैं जो अपनी  पार्टी को इस आम चुनाव में जीताने के लिए जी जान से लगे हुए हैं आय दिन जनसभाओं और रैलियों के जरिए जनता के बीच जाकर अपनी पार्टी की जीत के लिए लोगों से विकास के आधार पर  वोट मांग रहें हैं । नरेंद्र मोदी  पीएम पद के उम्मीदवार घोषित  होने के लिए जितना अपने विरोधियों से नहीं  लड़े उससे कही ज़्यादा अपनी ही पार्टी में उन्हे विरोध का सामना करना पड़ा इतने सारे विरोधों के बावज़ूद अंततह मोदी पार्टी के पीएम प्रत्याशी बने । ऐसे में 2014 लोक सभा चुनाव में अपनी पार्टी  को जीत दिलाना नरेंद्र मोदी के लिए एक चुनौती होगा लेकिन देश का मूड  देख कर ये नहीं कहा जा सकता कि  मोदी को इस चुनौती से पार पाने में कोई दिक्कत होगी पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर हैं मोदी ने लोगों के मन में विकास का एक अलख जगाया है आज लोग मोदी में विकास की एक अद्भभूत अलख देखते हैं आज जनता महंगाई, भष्टाचार से त्रस्त हैं जिसे एक जनकल्याण करने वाली सरकार की दरकार  हैं ऐसा नहीं हैं कि मोदी रातोरात हर समस्या का सामाधान कर देंगे लेकिन गुजरात में हुए विकास से लोगों को काफ़ी उम्मीदें हैं।


2004 से कांग्रेस सरकार में है पिछले 10 सालों में कांग्रेस की सरकार ने अपने आप को महंगाई और भ्रष्टाचार का पार्यवाची के रूप में स्थापित कर लिया है एक से बढ़ कर एक घोटाले हुए। ये बात पूरी तरह से साफ़ है कि आज जनता में कांग्रेस विरोधी लहर  हैं इसकी वजह पिछले 10 सालों में कांग्रेस द्वारा जनविरोधी फ़ैसले लेना कांग्रेस नेताओं द्वारा अजीबों- गरीब बयान देना कांग्रेस द्वारा जनता को भूल्कड़-बेवकूफ बताना ये सारी वजहें कांग्रेस को 2014 के आम चुनावों में हराने के लिए काफ़ी है भाजपा अपने विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस जात-पात पर अपनी सियासत कर रहीं हैं संप्रादायिकता के नाम पर एक ख़ाससमुदाय को गुमराह कर रहीं हैं।  कांग्रेस मोदी और बीजेपी के नाम पर मुस्लिमों को हमेसा से डराती रही है । कांग्रेस बीजेपी और मोदी को संप्रादायिक बताती है पर वह 1969 में  कांग्रेस शासन का गुजरात दंगा और 1989 का भागलपुर दंगा भूल जाती है कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी भी बीजेपी को संप्रादायिक बताते है और ख़ुद 1984 के सिख दंगा के लिए अपनी ही पार्टी के नेताओं को जिम्मेदार मानते हुए भी उन्हे धर्मनिरपेक्ष मानते है

 कांग्रेस के अघोषित पीएम पद के उम्मीदवार राहुल गांधी संंप्रदायिकता को बढ़ावा  देने वालों को इस आम चुनावों  ना चुनने की जनता से लगातार अपील कर रहें हैं, लेकिन शायद युवराज भूल गए कि असम में  कोकराझार का दंगा हुआ जहां उनकी पार्टी  की सरकार  उनकी लंगड़ी सरकार को बाहर से समर्थन देनी वाली समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में सैकड़ों दंगे हुए जिसमें मुज़फ़्फ़रनगर का दंगा आज भी लोगों के जहन में जिंदा होगा बावज़ूद राहुल जी धर्मनिरपेक्ष हैं,  दोनों पार्टियां जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं पर ये तो जनता को समझना हैं कि उसे किससे  ताकत मिल सकती हैं  अपनी ताकत को दिखाने वाले से या दूसरों की ताकत का लोहा मानने वालों से।

इस आम चुनाव में नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की सिधी टक्कर हैं लेकिन 49 दिन की सरकार चलानी वाली "आप" को हल्के में नहीं ले सकते है।

आयदिन हो रहे सर्वेक्षणों में राजग की सरकार बनती दिखाया जा रहा हैं और  बंपर मतदान को देखते हुए कहा जा सकता हैं कि राजग की सरकार बनने जा रही हैं

 एक तरफ विकास हैं तो दूसरी ओर धर्मनिरपेछ का ढोंग । बहरहाल दोनों ही बड़े नेता अपनी-अपनी पार्टी की जीत का दावा कर रहे हैं


 लगातार राजनितिक विशलेषण के लिए पढ़ते रहिए "चौथा स्तंभ"