Tuesday 10 March 2015

बीजेपी-पीडीपी में तकरार

फाइल-पीएम मोदी-सीएम मुफ्ती
दिसंबर 2014 के चुनाव में जम्मू में बंपर मतदान के बाद जो परिणाम आए उस परिणाम में जनता ने सरकार के लिए किसी को परिपक्क नहीं समझा और खंडित जनादेश दे दिया , जम्मू की जनता को इस बात का इल्म था कि भ्रष्ट्रचार में लिप्त यूपीए गठबंधन सरकार में नहीं आ रही है , तो जनादेश ऐसा आया कि सरकार बनाने के लिए बीजेपी-पीडीपी दो बड़ी पार्टियों को एक दूसरे का का जतन करना पड़ा, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीटें है इस राज्य को 3 भागों में बांटा गया जम्मू में 37, कश्मीर में 46 जबकि लद्दाख में 4 सीटें है, मोदी के रैलियों,प्रचार, और विकास के वादों पर जम्मू में भगवा रुपी भाजपा का परचम लहराया, ये सिर्फ वादा नहीं देशभ्ति का जोश था, जम्मू की जनता को देश के साथ जोड़ने की कोशिश थी ,इसी कोशिश की बदौलत राज्य में बीजेपी के सीटों में जबरजस्त बढ़ोतरी हुई और राज्य में बीजेपी 25 सीटें जीतने में कामयाब हुई, जम्मू की जनता ने जहां बीजेपी को पसंद किया तो वही घाटी में पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई,वजह कि घाटी अलगाव वादियों का गढ़ है , जो कि बीजेपी की विचारधारा से मेल नहीं खाते,बीजेपी की सोच अलगाववादियों को नहीं भांती , इन अलगाववादियों को भारत का भाव नहीं भांता, भारत की भूमी नहीं भांती, देश की एकता, अखंडता नहीं भांती, पर जम्मू की जनता को भाजपा भा गई और बीजेपी की 25 सीटें आ गई,

राज्य के इस चुनाव में पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी को बनी लेकिन उसे सरकार बनाने के लिए भगवा पार्टी के भाव के साथ जलने के लिए सोचने पर मज़बूर होना पड़ा ये बात इसलिए क्योकि बीजेपी-पीडीपी दो ऐसी पार्टियां है जिनकी सोच,समझ,विचारधारा, राजनीतिक एजेंडा बिल्कुल पृथक है , परिवारवाद की राजनीति को परे रखने वाली बीजेपी को  इस  बात का अहसास हो गया कि जम्मू में सरकार बनाना उसके लिए इतना आसान नहीं जितने देश के दूसरे प्रदेशों में हैं मई 2014 लोकसभा चुनाव को बाद बीजेपी को हर चुनाव में जीत का रथ जारी रखने में कामयाब हुई, महाभारत रुपी चुनाव में बीजेपी के रथ पर सवार हुए पीएम मोदी तो इस रथ के सारथी बने बीजेपी के चाणक्य अमित शाह , जीत की जोड़ी कामयाब तो हुई लेकिन सरकार बनाना आसान नहीं रहा, बीजेपी पीडीपी के साथ सरकार  बनाने के लिए सोचने पर मज़बूर हुई तो अपनी चुप्पी साध संघ ने जनता के हित के लिए बीजेपी का साथ दिया लेकिन हिदायतो के साथ की संघ राष्ट्र की एकता, अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा ,

लगभग दो महिने के जद्दोजहत को बाद दो पृथक विचारधारा वाली पार्टियों का मिलन हुआ और बीजेपी-पीडीपी की सरकार बनी, य़े सरकार उन दो पार्टियों की बनी जिन्होने चुनाव में एक-दूसरे पर खूब राजनीतिक हमले किए, ऐसे हमले जो राजनीति में पार्टिया एक दूसरे पर करती हैं लेकिन खंडित जनादेश के सामने सब झूकने को मज़बूर हुए, नतमस्तक होने को आतुर हुए, CMP के तहत प्रदेश में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी और मुफ्ती प्रदेश के दूसरी बार सीएम बने , सीएम पद की शपथ लेते ही मुफ्ती का अलगाववाद प्रस्त बयान आतंकियों , पाक और हुुर्रियत की वजह से शातिपूर्ण मतदान हुआ, मुफ्ति का ये श्रेय देशद्रोहिओं को श्रेय जो देश को खंडित करने में लगे रहते है मुफ्ति सिर्फ एक बयान नहीं था ये बीजेपी के राष्ट्रिय एजेंडो को धक्का था, मोदी के विकास के एजेंडे पर धक्का था जिसकी व
जह से पार्टी को जम्मू की जनता ने बीजेपी को पसंद किया, बीजेपी की राष्ट्रीय सोच को धक्का था, मुफ्ती के इस बयान के बाद बीजेपी-पीडीपी तकरार इसस कदर बढा कि गठबंधन टूटने तक की बात आ गई , अमित शाह ने साफ किया देश से बड़ा गठबंधन नहीं है लेकिन इस बयान के बाद मुप्ती बीजेपी के लिए गले की हड्डी बन गए है।