Wednesday 19 November 2014

बाबा, बवाल और बर्बरता

संत के सामने बेबस सराकर

Add caption

हिसार के सतलोक आश्रम के संत बाबा रामपाल पर हत्या के आरोप का मामला गहराता जा रहा है और हिसार में हिंसा बढ़ती जा रही है ...तथाकथित बाबा रामपाल की बर्बरता ऐसा दिखा की एक मासूम सहित 6 लोगों की जान ले बैठा,, ये कोई पहला मौका नहीं है जब संत रामपाल के समर्थकों के साथ हुई हिंसा में लोगों की जान गई हो....साल 2006 में रामपाल के समर्थकों और गांव के लोगों के बीच हुई फायरिंग में 3 लोगों की मौत हुई थी जबकि इस घमासान में 125 लोग  घायल हुए थे..तब से रामपाल पर हत्या का मामला दर्ज है इतना ही नही संत रामपाल इस मामले में 21 महीने सलाखों के पीछे रह चुका है..तब से  रामपाल जमानत पर है..


संत रामपाल पर एक हत्या का आरोप है लेकिन रामपाल को रहनुमा मानने वाले संत रामपाल को कबीर का रूप मानते है जबकि पुलिस इसके विपरित रामपाल को आरोपी, दोषी, हत्यारा मानती है और कहती है बाबा को बर्दास्त नहीं किया जाएगा...किसी भी धार्मिक संस्कारों , हिंदू रीति रिवाजोें , पुण्य प्रताप के कामों को ना मानने वाला रामपाल पूरी तरह से हिंदू संस्कारों, सभ्यताओं, संस्कृतियों का विरोध का करता है..... रामपाल पर रार उस समय शुरु हुआ बाबा को कोर्ट द्वारा आदेश आया कि संत को न्यायालय के सामने पेश होना है पर संत ने कोर्ट के समन को सम्मान देने के बाजाय सामाजिक सियासत पर जोर दिया और अपने समर्थकों को पुलिस से भिड़ने के लिए छोड़ दिया..... हालात ऐसे बन गए कि हिसार की हिंसा और हिंसात्मक हो गई..और परिणाम कि संत के सामने एक लोकतांत्रिक सरकार लंगड़ी, रेंगती, बेबस और लाचार दिखनी लगी... सरकार के हजारो बाबू बाबा के सामने के बेबस और बंधुआ नजर आए...

रामपाल को रहनुमा मानने वाले संत के समर्थक सांसे बांध संत की सलामति के लिए आश्रम के सामने पुलिस और बाबा के बीच रोड़ा बन बैठे..इसी बीच आश्रम के अंगद बाबा के प्रवक्ता का बयान आया नहीं बताउंगा कि रामपाल कहा है...इलाज के लिए किसी गुप्त जगह है रामपाल...रामपाल अपने को कबीर का रूप मानता है पर कबीर वाणी को भूल महिलाओं और बच्चों के साथ ये बाबा बर्बरता कर रहा है...

बेकाबू बाबा को काबू करने की जोर लगाती पुलिस प्रशासन ने हिसार की हिंसा को हवा देते हुए आसु गैस के गोले छोड़े तो बाबा के समर्थकों ने आत्मदाह करने कि कोशिश, हवाई फायरिंग करते हुए पुलिस को हद में रहने कि याद दिला दी...एक बार फिर पुलिस बाबा के सामनें बैकफुट पर नजर आई...पर आश्रम में बैठा बाबा फ्रंटफुट पर जोर दार तरीके से पुलिस के चौके-छक्को छुड़ा रहा है...

मामला बढ़ा तो हिसार हिंसा की आग की आंच दिल्ली तक महसूस की गई...इस कदर महसूस की गई कि आनन फानन में मामले को बढ़ता देख  केंद्र  को खट्टर सरकार से जवाब मांगना पड़ा खट्टर का जवाब क्या रहा पता नहीं पर पहली बार  राजनीतिक राह पर चले हिंसक हिसार वाले हरियाणा की सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हुए मनोहर लाल को बाबा के बवाल पर बैठक बुलानी पड़ी वो भी आपातकालीन बैठक, एमरजेंसी बैठक ..इस आपातकालीन वाली बैठक में क्या बोला गया मालूम नहीं पर हिसार की हिंसा और भी हिंसात्मक हो गई.. कबीर रूप वाले रामपाल के समर्थकों पर पड़ने वाले लाठी डंडे हिसार हिंसा को कवर करने गए कई टीवी पत्रकारों के हिस्से आ गया पत्रकार पीटे तो क्यों नहीं...आखिर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के दूत तीसरे स्तंभ को दानवों के  करतूतों को कवर जो कर रहे थे.





Sunday 26 October 2014

बीजेपी की हरियाणा और महाराष्ट्र में शानदार जीत

फाइल फोटो-पीएम मोदी

महाराष्ट्र और हरियाणा में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी  की एक तरफा जीत के बाद भगवा पार्टी का चुनावी जीत का रथ एक कदम आगे बढ़ा और कांग्रेस मुक़्त भारत के तरफ दो कदम... 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में  बीजेपी+ 123 सीटें  जीत कर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनीं पर सरकार बनाने पर सस्पेंस आज भी जारी है .... जबकी हरियाणा में 90 सीटों में 47 सीट कर भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ हरियाणा में सरकार बनाने में सफल रही... मनोहर लाल खट्टर संघ के करीबी हरियाणा के गैर जाट 10वें सीएम बनें.....

ये हरिेयाणा की राजनीति में पहली बार हुआ जब भगवा रुपी भाजपा की हरियाणा में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनीं इससे पहले 2004 तक ओम प्रकाश चौटाला की सरकार में सहयोगी पार्टी थी....6 महीने पूर्व हुए आम चुनावों में देश में चल रहे गठबंधन सरकार की प्रथा को तोड़ते हुए 30 साल बाद पूर्ण बहुमत के साथ मोदी सरकार केद्र की सियासत में सत्तारूढ़ पार्टी बनीं...

जनता से सरोकार रखने वाली मोदी सरकार के सुशासन को देश की जनता ने 12 साल तक गुजरात में देखा तो लोकतंत्र में लोकतंत्र की गद्दी पर बैठे राजनीतिक गिद्धो को अर्श से फर्श पर गिराने वाली जनता ने मोदी को ही  लोकतंत्र के सच्चे सिपाही के तौर पर सराहा खुब सराहा,  इतना सराहा,  ऐसा सराहा,  शान से सराहा कि मोदी दिल्ली की गद्दी पर 282 कमल के साथ 336 वाले मुख के नूर बन सियासत के सिॆंहासन पर सौहार्दपूण विराजमान हो लिए...


मोदी की शासन शैली लोगों को खुब रास आई एक आस के साथ रास आई तो इसका परिणाम रहा कि देश में बीजेपी की सरकार बनती जा रही है.....लोकसभा चुनावों के बाद जहां भी चुनाव हुए भारतीयों पर भगवा का रंग चढ़ता दिखा.... लेकिन दिल्ली के शासक के सामने कई उपचुनाव भी हुए जब भगवा पार्टी को अर्श की तरफ देखते-देखते फर्श की आंचल में देखना पड़ा तो विरोधियों को भगवा रंग को भंग करने का मौका मिल गया एक सुर में बोले मोदी लहर का नहीं देश में क़हर...राजस्थान, बिहार समेत कई राज्यों के उपचुनाव में भाजपा को जनता ने नकारा तो बीजेपी को जनता की भय सताने लगी...भाई अमित शाह बोले चुनाव नतीजों से निराश नहीं  हो जीत का जज्बा जिंदा रखे कर्मठ कार्यकर्ता पार्टी के पैर पूरे देश में जमाएंगे और भारत को कांग्रेस मुक़्त बनाएंगे..इसका नतीजा  है कि 128 साल पहले वज़ूद में आने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 29 राज्यों से सजी देश में   महज 10 राज्यों तक सिमट गई है जिसमें ज्यादातर गठबंधन की सरकार और  पूर्वोतर के राज्य है जहां भगवा रंग चढ़ना बाकी है.....


आज हम हिदी भाषा राज्यों की बात करे तो ज्यादातर राज्यों में जनता से सरोकार वाली पार्टी की  सरकार  है...भगवा पार्टी के सामने आगे कई चुनौतियां है   जिसमें झारखंड और जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव जहां भाजपा अपने राजनीतिक जीवन के लिए जद्दोदहद कर रही है............ जिसे राजनीतिक ज़मीन की तलाश है अब देखना होगा कि क्या इन राज्यों में भगवा अपना रंग दिखा पायेगी और कांग्रेस मुक़्त भारत आभियान को ज़िंदा रख पाएगी ....कम से कम लोकसभा परिणामों को देख कर तो नहीं लगता कि बीजेपी के लिए मुश्किल नहीं होगा...

झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 12 और जम्मू-कश्मीर के 6 सीटों में से 3 सीटों पर पार्टी को जीत मिली...  महाराष्ट्र और हरियाणा में एतिहासिक जीत के बाद इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि सुनामी में बदल चुका मोदी लहर का क़हर आज भी जारी है....


महाभारत रूपी चुनावी रथ पर सारथी बने नरेंद्र मोदी मानो सब जानते है कब, क्या कैसे और क्या होना है




जारी है चौथा स्तंभ............

Sunday 29 June 2014

बीजेपी की महाविजय 2014



2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चुनाव में 282 सीटों पर जीत हासिल की इस चुनाव में राजग ने लोकसभा की 543 सीटों में से 336 सीटों पर कब्जा किया और पिछले 30 सालों का रिकार्ड टूटा जब किसी एक पार्टी को बहुमत मिला हो इससे पहले 1984 में कांग्रेस  की सरकार राजीव गांधी के नेतृत्व में बनी तो पार्टी ने लोकसभा की 404 सीटों पर रिकार्ड जीत दर्ज की थी ये जीत भारतीय राजनीति के इतिहास में सबसे बड़ी जीत तो थी पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ये जीत कांग्रेस पार्टी को उनकी नेता इंदिरा गांधी की मौत के बाद सहानुभूती के तौर  मिली जीत थी।  लेकिन 2014 का चुनाव कई मायनों में अलग रहा ये चुनाव सहानुभूती पर नहीं बल्कि विकास के बल पर मोदी ने महाविजय हासिल की इस चुनाव मेें कई रिकार्ड टूटे 16वींं लोकसभा के लिए हुए 2014 के चुनाव में 66.38 प्रतिशत  लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जबकि 1984 में हुए 8वीं लोकसभा चुनाव में 64.01 प्रतिशत लोगों ने बढ़चढ़ कर वोट दिए।  1984 के बाद देश में ये कोई पहली सरकार है जिसे जनता ने इस कदर समर्थन दिया हो और वो पार्टी अपने बल बूते सरकार बनाने की काबिल हुई हो ।

देश को आज़ाद होने के बाद सबसे ज़्यादा समय तक कांग्रेस ने ही सत्ता का सुख भोगा है लेकिन 1977 के चुनाव के बाद देश की राजनीति में बदलाव हुआ जब किसी गैर कांग्रेसी दलों ने  सरकार बनाई। इससे पहले भी बीजेपी की सरकारें बनीं है जब 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी पर वो सरकार चली नहीं और 1999 में दुबारा चुनाव हुए तो पार्टी ने 22 दलों के साथ मिलकर शानदार पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा किया इसके बा्द फिर ऐसा हुआ जब कांग्रेस ने 2004 का चुनाव जीता और पूरे एक दशक तक  देश  पर राज किया और कई घोटाले करते हुए कइयों को राजा बनाया कांग्रेस ने अपने पूरे 10 साल के शासनकाल में गांधी परिवार को छोड़ किसी परिवार की तरफ नहीं देखा  और कई जनविरोधी फ़ैसले किए जिसने जनता के परेशानियों को  सिर्फ़ बढ़ाया। 

2014 के आम चुनाव में भारतीय राजनीति की दोनों ही प्रमुख़ पार्टिया अपने पार्टी के बल पर नहीं बल्कि किसी ख़ास व्यक्ति के बल पर चुनाव लड़ रही थी जहां कांग्रेस ने अपने राजकुमार राहुल गांधी को आगे कर इस चुनाव में अपने आप को खड़ा करने की कोशिश कर रही थी तो वही बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को 2014 लोकसभा  चुनाव में पार्टी का पीएम पद का उम्मीदवार के तौर पर उतारा जिसका भरपुर फ़ायदा बीजेपी को मिला तो  वही राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस की हार का सिलसिला जारी रहा।  राजस्थान, गुजरात, हिमांचल, उत्तराखंड, गोवा, दिल्ली सहित 14 ऐसे राज्य है जहां पार्टी ने प्रदेश की सभी सीटों पर जीत दर्ज की और 128 साल पुरानी पार्टी का दावा करनी वाली काग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई. देश में मोदी की लहर इस कदर चली की लक्ष्यदीप में भी पार्टी अपने जीत का परचम लहराया चुनाव नतीजों से पहले मोदी के विरोधी ये मान रहे थे की मोदी की देश में कोई लहर नहीं हैं उत्तर प्रदेश के मुख़्यमंत्री अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मोदी की कोई लहर नहीं हैं पर हमें नहीं भुलना चाहिए कि राजनीति के हैसियत से देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में बीजेेपी ने 71 सीटों पर जीत दर्ज की हैं। तो बसपा का उत्तर प्रदेश में तो सूपड़ा ही साफ हो गया तो वही बिहार के धर्मनिरपेक्ष नेता नीतिश कुमार की पार्टी जदयू  बिहार में महज दो सीट ही जीत पाई।












  

Friday 18 April 2014

लोकसभा चुनाव 2014  

2014 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में अहम है जहां बीजेपी की ओर गुजरात के मुख़्यमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के  पीएम पद उम्मीदवार हैं जो अपनी  पार्टी को इस आम चुनाव में जीताने के लिए जी जान से लगे हुए हैं आय दिन जनसभाओं और रैलियों के जरिए जनता के बीच जाकर अपनी पार्टी की जीत के लिए लोगों से विकास के आधार पर  वोट मांग रहें हैं । नरेंद्र मोदी  पीएम पद के उम्मीदवार घोषित  होने के लिए जितना अपने विरोधियों से नहीं  लड़े उससे कही ज़्यादा अपनी ही पार्टी में उन्हे विरोध का सामना करना पड़ा इतने सारे विरोधों के बावज़ूद अंततह मोदी पार्टी के पीएम प्रत्याशी बने । ऐसे में 2014 लोक सभा चुनाव में अपनी पार्टी  को जीत दिलाना नरेंद्र मोदी के लिए एक चुनौती होगा लेकिन देश का मूड  देख कर ये नहीं कहा जा सकता कि  मोदी को इस चुनौती से पार पाने में कोई दिक्कत होगी पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर हैं मोदी ने लोगों के मन में विकास का एक अलख जगाया है आज लोग मोदी में विकास की एक अद्भभूत अलख देखते हैं आज जनता महंगाई, भष्टाचार से त्रस्त हैं जिसे एक जनकल्याण करने वाली सरकार की दरकार  हैं ऐसा नहीं हैं कि मोदी रातोरात हर समस्या का सामाधान कर देंगे लेकिन गुजरात में हुए विकास से लोगों को काफ़ी उम्मीदें हैं।


2004 से कांग्रेस सरकार में है पिछले 10 सालों में कांग्रेस की सरकार ने अपने आप को महंगाई और भ्रष्टाचार का पार्यवाची के रूप में स्थापित कर लिया है एक से बढ़ कर एक घोटाले हुए। ये बात पूरी तरह से साफ़ है कि आज जनता में कांग्रेस विरोधी लहर  हैं इसकी वजह पिछले 10 सालों में कांग्रेस द्वारा जनविरोधी फ़ैसले लेना कांग्रेस नेताओं द्वारा अजीबों- गरीब बयान देना कांग्रेस द्वारा जनता को भूल्कड़-बेवकूफ बताना ये सारी वजहें कांग्रेस को 2014 के आम चुनावों में हराने के लिए काफ़ी है भाजपा अपने विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस जात-पात पर अपनी सियासत कर रहीं हैं संप्रादायिकता के नाम पर एक ख़ाससमुदाय को गुमराह कर रहीं हैं।  कांग्रेस मोदी और बीजेपी के नाम पर मुस्लिमों को हमेसा से डराती रही है । कांग्रेस बीजेपी और मोदी को संप्रादायिक बताती है पर वह 1969 में  कांग्रेस शासन का गुजरात दंगा और 1989 का भागलपुर दंगा भूल जाती है कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी भी बीजेपी को संप्रादायिक बताते है और ख़ुद 1984 के सिख दंगा के लिए अपनी ही पार्टी के नेताओं को जिम्मेदार मानते हुए भी उन्हे धर्मनिरपेक्ष मानते है

 कांग्रेस के अघोषित पीएम पद के उम्मीदवार राहुल गांधी संंप्रदायिकता को बढ़ावा  देने वालों को इस आम चुनावों  ना चुनने की जनता से लगातार अपील कर रहें हैं, लेकिन शायद युवराज भूल गए कि असम में  कोकराझार का दंगा हुआ जहां उनकी पार्टी  की सरकार  उनकी लंगड़ी सरकार को बाहर से समर्थन देनी वाली समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में सैकड़ों दंगे हुए जिसमें मुज़फ़्फ़रनगर का दंगा आज भी लोगों के जहन में जिंदा होगा बावज़ूद राहुल जी धर्मनिरपेक्ष हैं,  दोनों पार्टियां जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं पर ये तो जनता को समझना हैं कि उसे किससे  ताकत मिल सकती हैं  अपनी ताकत को दिखाने वाले से या दूसरों की ताकत का लोहा मानने वालों से।

इस आम चुनाव में नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की सिधी टक्कर हैं लेकिन 49 दिन की सरकार चलानी वाली "आप" को हल्के में नहीं ले सकते है।

आयदिन हो रहे सर्वेक्षणों में राजग की सरकार बनती दिखाया जा रहा हैं और  बंपर मतदान को देखते हुए कहा जा सकता हैं कि राजग की सरकार बनने जा रही हैं

 एक तरफ विकास हैं तो दूसरी ओर धर्मनिरपेछ का ढोंग । बहरहाल दोनों ही बड़े नेता अपनी-अपनी पार्टी की जीत का दावा कर रहे हैं


 लगातार राजनितिक विशलेषण के लिए पढ़ते रहिए "चौथा स्तंभ"

Sunday 23 February 2014

नरेन्द्र मोदी की रैली


 भाजपा की विजय 'शंखनाद'


चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे काफ़ी हैरान कर देने वाले रहे जहां भाजपा के लिए नतीजें उम्मीद से बढ़कर रहें तो वही कांगेस के लिए इन नतीज़ो ने सिरदर्दी बढ़ा दी है। अंदरुनी कलह से जुझ रही भाजपा चार हिंदी भाषी राज्यों बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बहुमत की  सरकार बनानें में क़ामयाब रही तो वही देश की राजधानी दिल्ली में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी। क्या इन नतीजों का ये मतलब निकाला जाए कि देश में नरेन्द्र मोदी की लहर हैं या सिर्फ़ इन चुनावों में मिली जीत का श्रेय यहां के स्थानीय नेताओं को दी जाए। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जहां भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने में क़ामयाब रही तो वही राजस्थान में पूर्ण जनादेश के साथ सत्ता पर काबिज़ हुई। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में 15 साल से सत्ता का बनवास झेल रही भाजपा राज्य में जीत का स्वाद ही नही चख़ा बल्कि सबसें बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन उसे एक बार फिर सत्ता के सिंहासन पर बैठने से बंचित रहना पड़ा। इसकी वजह हैं क़रीब 10 महीने पहले बनी नई पार्टी आम आदमी पार्टी। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में भाजपा कों 31, आप को 28, कांग्रेस को 8, जबकी अन्य को 3 सीटें मीली हैं। भाजपा सबसें बड़ी पार्टी तो हैं पर उसके पास इतने नंबर नही वो दिल्ली में सरकार बना सकें। अगले 6 महीने में आम चुनाव के साथ कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं ऎसे में पार्टी में कोई जोख़िम नही लेना चाहती जिससे उस पर सत्ता में आने को लेकर कोई गंभीर आरोप लगें। दिल्ली में आप ने तो धमाकेदार दस्तक दी लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस लग़ातार अपना ज़नादेश खोती जा रही हैं तो इसकी मुख़्य वज़ह है भ्रष्टाचार। कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही यूपीए सरकार के कार्यकाल में एक से बढकर एक घोटाले हुए जिससे वह जनता में अपना जनादार खोती गई या यू कहे तो काग्रेस को लोग भ्रष्टाचार के पर्याववाची के रूप जानने लगे। 2014 में होने वाले आम चुनावो में भाजपा की लहर है या मोदी की ये तो पता नही पर इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि देश में कांग्रेस विरोधी लहर बह रही  है। आय दिन हो रहे चुनावी सर्वेक्षणों में हर तरफ नरेंद्र मोदी  ही मोदी हैं। पर वही दूसरी ओर देश पर सबसे ज़्यादा समय तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस की बात करे तो वह पूरी तरह से अपनी हार तय मान चुकी है इस बात का अंदाजा इसी से से लगाया जा सकता है कि हाल में संपन्न हुए चार हिंदी भाषी राज्यों के विधानसभा चुनाओं के जहां भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदार नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों का रेला लगा दिया जिसका फ़ायदा पार्टी को चुनाव के नतीजो में साफ दिखा। तो वही कांग्रेस के राजकुमार व पार्टी  के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी राज्यों में गिनती के रैली कर पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की जो पूरी करह से फ़ेल हो गया और पार्टी चारों राज्यों में ओंधे मुंह गिरी। अब दिखना होगा कि पूरे देश में होने वाले आम चुनाओं  में मोदी का विकास रंग लाता हैं  या  राहुल का दलित दौरा।