Sunday 19 April 2015

मुफ्ती का 'मसर्रत' मोह

मुफ्ती-मसर्रत

मसर्रत आलम अलगाववादी नेता एक अलग दुनिया का नेता देश को बांटने वाला नेता देशद्रोही नेता    जिस नाम से बुला लो अलग-अलग तरीके से एक ही नेता देशद्रोही मसर्रत आलम ..मुफ्ती का मसर्रत और पाकिस्तान मोह किसी से छुपा नहीं मुफ्ती सईद ने सीएम पद की शपथ लेते ही अपने शब्दों से देशद्रोह का आलम जगजाहिर कर दिया और जम्मू में  शांतिपूर्ण चुनाव के लिए अलगाववादियों और पाकिस्तानियों को इसका भरपूर श्रेय दे दिया वो श्रेय जिसका हकदार देश की सेना, चुनाव आयोग और आम जनता है ना कि अलगाववादी  लेकिन सईद मुफ्ती ने इसका पूरा अंक आलगाववादियों को दे दिया मुफ्ती का ये अलगाववादी मोह देख देश हैरान था परेशान था अलगाववादियों को लेकर देश आशंकित भी था लेकिन मुप्ती  आलगाववाद को लेकर अश्वस्त थे  देश के यही असली अंगरक्षक हैं अलगाववादी ही देशप्रेमी है..

 मुफ्ती ने सीएम बनते ही मसर्रत मोह दिखाया और इस देशद्रोही को 17 साल बाद जेल से रिहा कराया कई देशविरोधी गतिविधियों सहित 27 अपराधों में  शामिल मसर्रत आलम जब 17 साल बाद जेल से बाहर आया तो मानो कश्मीरी अलगाववादियों में अलग जान आ गई देशद्रोहियों की पहचान आ गई ये आलम था जो देशद्रोह के लिए जाना जाता था आज मुफ्ती की मोह से आलम आजाद देश हैरान है कश्मीर परेशान है ये कशमीर के लोग है जो जीने की आस के साथ  आज भी जन्नत में जिंदगी को आतूर है लेकिन डर आज भी है कि जीवन की आस किसके साथ लगाएं यहां तो हर कोई रकीब हैं किसको अपना हबीब बनाएं किसको कहे मेरे साथ कौन इनके करीब है  मसर्रत आज आज़ाद है पाकिस्तान से भारतविरोधी गतिविधियां स्वतंत्र है मसर्र्त किसी कि लिए आज साहब है तो किसी के लिए जिहाद है क्योकि भारत का सबसे बड़ा दुश्मन हाफिज सईद मसर्रत के साथ है आज  देशद्रोही   आलम आज़ाद है देश हैरान भारत में रहकर गो-इंडिया गो-इंडिया बोलने वाला आलम आज खुलेआम आग उगल रहा है अलगाववादी आज खुश है क्योंकि आलाम आज आज़ाद है...ये मसर्रत पर मुफ्ती का मोह है कि आलम आज फिर आज़ाद है


मुफ्ती का मसर्रत मोह  पाकिस्तान  प्रेम और अलगाववादियों का आदार एकबार फिर छलक गया कई सालों से छुपें मोह को मुफ्ती ने इसकदर उछाला कि शायद पाकिस्तानी और अलगाववादी भी नहीं संभाल सके और भारत का खाकर तेरी जान मेरी जान पाकिस्तान-पाकिस्तान के नारे अलगाववादियों के आवाज इस देशद्रोही नारे के साथ  आकाश में गूंजने लगा मसर्रत का इतिहास है कि भारत विरोधी को अभियानों को चलाकर पाकिस्तान मोह जता चुका है पाकिस्तान पाकिस्तान मेरी मेरी जान बता चुका है आलम आज आज़ाद है
देशद्रोही  मसर्रत का पाकिस्तान मोह इस कदर दिखा कि आलम भारत के खिलाफ आग उगला कश्मीर भारत का अंग नहीं तक कह डाला अपने आप को भारत का नागरिक नहीं बता डाला मसर्रत का दोशद्रोही आलाम देख आज हमसब हैरान है परेशान है आज आलम आज़ाद है मुफ्ती का मसर्रत मोह आज आलाम आज़ाद है देश हैरान ...

देशद्रोही आलाम को पुलिस ने गिरफ्तार किया देशगद्दार आलगाववादियों ने पुलिस पर पथराव किया अलगाववादियों के आग से घाटी से जल रही थी सुलग रही थी जमीन की जनन्त अपनी जिंदगी के लिए जद्दोजहत कर रही थी अपनी सुंदरता को आलगाववाद के आग तले जलते देख कराह रही थी अपनी खुबसूरती की दुहाई दे रही थी  घाटी  जल रही थी पुलिस मर रही थी..जिंदगी शरीर को छोड़ रही थी आलम गिरफ्तार हुआ बाहर कोहरमा हुआ आलम पर आफत आते देख पाकिस्तान परेशान हुआ हैरान हुआ पाकिस्तान परस्त मसर्रत पर पाकिस्तान में बैठा आतंकी का बयान आया मसर्रत जेहादी मैं उसका साथी हूं ..


मसर्रत आलम के गिरफ्तार होते ही अलगाववादियों ने कश्मीर बंद बुलाया सरकार के प्रति आलम के गिऱफ्तारी को लेकर विरोध जताया मुप्ती को मसर्रत मोह का याद दिलाया लेकिन केंद्र  सरकार का दबाव काम आया और मुफ्ती ने देशद्रोही मसर्रत को गिरफ्तार कराया आलम की गिऱफ्तारी देशद्रोही अलगाववादियों के लिए एक धक्का था इनके देशद्रोही मंशुबों पर लगाम था अलगाववादी आज आज़ाद था देश हैरान था परेशान था मसर्रत की गिरफ्तारी के बाद कश्मीर जल रहा था पुलिस पर पत्थर बरस रहे थे आलगाववादी सेना पर आग बरसा रहे थे मसर्रत के मोह में मुप्ती बैठकर तमासा देख रहे थे आलगाववादी  आग उगल रहे थे पत्थरबाज़ी की तस्वीरों में देखिए पुलिस मसर्रत मोह में प़ड़े इन युवकों को खदेड़ रही थी युवक पुलिस पर दनादना पत्थर बरसा रहे थे पुलिस इन आलगाववादी समर्थकों के आगे बेबस लाचार कर्महीन दिख रही थी पुलिस इन देशद्रोहियों से अपने आप को नहीं बल्कि भारत को बचा रही थी  आवगाववादियों की भारतविरोधी मंशा  साफ नजर आ रही थी आलम आज आज़ाद है..  एक और आलगाववादी नेता गिलानी भी आलम की गिरफ्तारी के गम से गमगिन था पुलिस पर पथराव होते देख गिलानी इसबात से खुश था कि अलगाववाद की आग कश्मीर की घाटी को जला रही है भारत की शान को दफना रही है ये सब देख देशद्रोहियों की शान बढ़ रही थी अलगाववाद के आग से कश्मीर की घाटी जल रही थी..पुलिस पर पथराव की तस्वीरे कश्मीर घाटी की है जहां अलगाववादियों का गढ़ है अलगाववादी इसकी छांव में आग उगलते है कश्मीर को अपने आग से दहकाते है घाटी को जलाते है आज कश्मीर जल रही है क्योकि देशद्रोही मसर्रत की गिरफ्तारी आलगाववादियों को नहीं भा रही है..ये सब देख हमसब हैरान है परेशान घाटी की आग पूरे देश को जला रही ही है अलगाववाद के आग से घाटी जल रही है







Wednesday 15 April 2015

बिन ‘जनता’ की परिवार

फाइल फोटो

साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए मोदी को रोकने बीजेपी को पीछे छोड़ने राजनीति में अपने आप को आगे करने चुनावी जीत में बाज़ी जीतने और सियासत के समाज में जिंदा रहने की  रणनीति बनाते हुए आज बेनाम जनता परिवार के विलय की घोषणा हो गई विलय की घोषणा जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव ने कि जनता परिवार की घोषणा करते समय शरद के चेहरे की मुस्कान लालू के बातों  से सामने ढक रही थी और जनता परिवार से समाजवाद का परदा उठ रहा था..जनता परिवार का विलय एक ऐसा विलय जिस परिवार के लोगों में ना तो लय है ना हि एक दूसरे के लिए मय है और नाही तो पार्टी का संविधान , झंडा, नाम तय हैं फिर भी विलय के साथ राजनीति में जिंदा रहने  की बेइंतेहा आकांक्षा तय है देश की सियासत, राजनीति की अबो हवा, रूप रेखा दिल्ली से तय होती है लिहाजा जनता परिवार के विलय की रणनीति भी सामाजवाद के पथ पर संघर्ष करने वाले समाजवादी पार्टी के सुल्तान मुलायम सिंह के घर दिल्ली के 16 अशोक रोड विलय विचार की जगह तय की गई, मोदी को रोकने के लिए मंथन की जगह तय हुई 16 अशोक रोड ये वो रोड जहा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ऑफिस से मजह कुछ दूरी की जगह जहा बीजेपी के 'शाह' को मात देने की मुलायम ने मंत्र दिया...विलय पर मैराथन बैठक हुई इस मैराथन बैठक में 6 पार्टियां जेडीयू, जेडीएस. आरजेडी, आईएनएलडी,सजपा, सपा के सुरमाओं ने मंथन में शिरकत की मोदी को रोकने बीजेपी को सत्ता से बाहर करने परिवार की बात जनता तक पहुंचाने के लिए घंटों बैठक चली, लंबी बैठक चली सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने वाली मंथन में तस्वीरें कुछ यूं जनता परिवार के प्रेम को दिखा रही थी मानों 18 साल पहले टूटी पार्टियों का प्रेम मिलन 18 मिनट के पत्रकार वर्ताओं में झलक रही थी ये तस्वीरे 18 साल पुराने रिश्तों को तरो ताजा कर रही थी जब लोहिया के आदर्शों पर चलने वाले सियासतदानों ने लोहिया के आदर्शों को लताड़ते हुए अपनी आकांक्षाओं को पूरी करने के लिए सबने अपनी अलग पार्टी के साथ राजनीति जमीन बनाई..मंथन में बिहार के सुशासन बाबू नीतीश थे, लालू भी थे केसी त्यागी भी थे देश के पूर्व प्रधानमंत्री गौड़ा भी थे लेकिन धर्मनिरपेकक्ष सियासतदानों के बीच लोहिया के आदर्श गायब थे लोहिया का समाजवाद गायाब था मौज़ूद था तो सांप्रादायिक ताकतों के खिलाफ लड़ने का एक राजनीतिक एजेंडा...18 साल पहले एक समाजवाद की पार्टी टूट कर 6 पार्टियों के रूप में उभरी थी आज वो दिन था जब जनताविहिन परिवार एक मंच पर एक साथ एकजुट दिख रही थी तो क्या मान लिया जाए कि लोहिया के आदर्शों को मानने वाले सभी समाजवादी सत्ता के लिए एक साथ आने को आतूर है कमसे कम ये तस्वीरें तो यही बताती है कि सत्ता के सिंहासन पर विराजमान होने के लिए समाजवादियों का एकसाथ आना सियासत के समय की मांग है एक मांग केवल सियासत की नहीं बल्कि मुलायम-लालू के रिश्ते की भी मांग है लालू अब मुलायम के समधी है सत्ता में सहयोगी बनने को बेचैन है अपनी दरकती राजनीतिक जमीन को बचाने के लिए लालू अब नीतीश के साथ है बिहार के सुशासन बाबू को इस विलय से आस है कि लोकसभा चुनाव में 20 से घटकर 2 सीटों पर सिमटने वीली जेडीयू  को समाजवाद का साथ मिले  तो शायद वो सत्ता के सिंहासन पर दूबारा बैठ सके...इस बैठक में इन नताओं के चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि इस विलय से समाजवाद जिंदा रहेगा कि समाजवादी पार्टी की साख लेकिन लालू की रट तो बनी रही कि हम सब मिलकर मोदी की सफाया कर देंगे बीजेपी को स्वाहा कर देंगे और जनता परिवार को राजनीति में जिंदा कर देंगे..
इस मंथन में जो मंत्र मिला वो वाकई मुलायम के लिए मनमाफिक था उनके लिए वाजिब था मुलायम ही इस जनता परिवार के संशाह बनें पार्टी के नेता बने एक ऐसा नेता बने जिसमें देश के धुरंधर नेताओं को अपने आप में सहेज लिया और इस बेनाम पार्टी का मुखिया पद अपने नाम कर लिया दो दशक पहले टूटी पार्टियों का संग्रह है जनता परिवार इस परिवार में शामिल सभी नताओं का परिवार ही जनता है क्योकि इनके जनाधार का आधार ही छीन गया...चुनाओं में जनता ने इनसे राजनीति का आधार ही छीन लिया लेकिन राजनीति की नीति तो बनानी थी तो जनता परिवार का विलय ही एक निरस राजनीति की जमीन पर सियासत की फसल पैदा करने की चाहत में जनता परिवार का विलय समाजवादियों के लिए सत्ता का आखिरी संघर्ष है मंथन में मुलायम मंत्र ही सबको रास आया आखिर मुलायम ही विलय में सबसे बड़ी पार्टी के मुखिया हैं लोकतंत्र में असली राजनेता वहीं होता है जिसके पास संसद में संख्या और जनता का जनधार होता इन दोनों ही रूपों में मुलायम फिट क्योकि संसद में जनता परिवार की सबसे बड़ी पार्टी सपा के पास 5 लोकसभा सांसद है और राजनीति में मुलायम  
धुरी भी हिट है क्योकि नीतीश, लालू, देवगौड़ा से ज्यादा जनाधार मुलायम की है मुलायम वेनाम जनता परिवार के मुखिया होंगे..मुलायम की बाजी चलेगी और लालू की लालटेन जलेगी या तीर सही निशाने पर लगेगी अब सबका जनाधार साइकिल से सहारे चलेगी..