Wednesday 15 April 2015

बिन ‘जनता’ की परिवार

फाइल फोटो

साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए मोदी को रोकने बीजेपी को पीछे छोड़ने राजनीति में अपने आप को आगे करने चुनावी जीत में बाज़ी जीतने और सियासत के समाज में जिंदा रहने की  रणनीति बनाते हुए आज बेनाम जनता परिवार के विलय की घोषणा हो गई विलय की घोषणा जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव ने कि जनता परिवार की घोषणा करते समय शरद के चेहरे की मुस्कान लालू के बातों  से सामने ढक रही थी और जनता परिवार से समाजवाद का परदा उठ रहा था..जनता परिवार का विलय एक ऐसा विलय जिस परिवार के लोगों में ना तो लय है ना हि एक दूसरे के लिए मय है और नाही तो पार्टी का संविधान , झंडा, नाम तय हैं फिर भी विलय के साथ राजनीति में जिंदा रहने  की बेइंतेहा आकांक्षा तय है देश की सियासत, राजनीति की अबो हवा, रूप रेखा दिल्ली से तय होती है लिहाजा जनता परिवार के विलय की रणनीति भी सामाजवाद के पथ पर संघर्ष करने वाले समाजवादी पार्टी के सुल्तान मुलायम सिंह के घर दिल्ली के 16 अशोक रोड विलय विचार की जगह तय की गई, मोदी को रोकने के लिए मंथन की जगह तय हुई 16 अशोक रोड ये वो रोड जहा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ऑफिस से मजह कुछ दूरी की जगह जहा बीजेपी के 'शाह' को मात देने की मुलायम ने मंत्र दिया...विलय पर मैराथन बैठक हुई इस मैराथन बैठक में 6 पार्टियां जेडीयू, जेडीएस. आरजेडी, आईएनएलडी,सजपा, सपा के सुरमाओं ने मंथन में शिरकत की मोदी को रोकने बीजेपी को सत्ता से बाहर करने परिवार की बात जनता तक पहुंचाने के लिए घंटों बैठक चली, लंबी बैठक चली सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने वाली मंथन में तस्वीरें कुछ यूं जनता परिवार के प्रेम को दिखा रही थी मानों 18 साल पहले टूटी पार्टियों का प्रेम मिलन 18 मिनट के पत्रकार वर्ताओं में झलक रही थी ये तस्वीरे 18 साल पुराने रिश्तों को तरो ताजा कर रही थी जब लोहिया के आदर्शों पर चलने वाले सियासतदानों ने लोहिया के आदर्शों को लताड़ते हुए अपनी आकांक्षाओं को पूरी करने के लिए सबने अपनी अलग पार्टी के साथ राजनीति जमीन बनाई..मंथन में बिहार के सुशासन बाबू नीतीश थे, लालू भी थे केसी त्यागी भी थे देश के पूर्व प्रधानमंत्री गौड़ा भी थे लेकिन धर्मनिरपेकक्ष सियासतदानों के बीच लोहिया के आदर्श गायब थे लोहिया का समाजवाद गायाब था मौज़ूद था तो सांप्रादायिक ताकतों के खिलाफ लड़ने का एक राजनीतिक एजेंडा...18 साल पहले एक समाजवाद की पार्टी टूट कर 6 पार्टियों के रूप में उभरी थी आज वो दिन था जब जनताविहिन परिवार एक मंच पर एक साथ एकजुट दिख रही थी तो क्या मान लिया जाए कि लोहिया के आदर्शों को मानने वाले सभी समाजवादी सत्ता के लिए एक साथ आने को आतूर है कमसे कम ये तस्वीरें तो यही बताती है कि सत्ता के सिंहासन पर विराजमान होने के लिए समाजवादियों का एकसाथ आना सियासत के समय की मांग है एक मांग केवल सियासत की नहीं बल्कि मुलायम-लालू के रिश्ते की भी मांग है लालू अब मुलायम के समधी है सत्ता में सहयोगी बनने को बेचैन है अपनी दरकती राजनीतिक जमीन को बचाने के लिए लालू अब नीतीश के साथ है बिहार के सुशासन बाबू को इस विलय से आस है कि लोकसभा चुनाव में 20 से घटकर 2 सीटों पर सिमटने वीली जेडीयू  को समाजवाद का साथ मिले  तो शायद वो सत्ता के सिंहासन पर दूबारा बैठ सके...इस बैठक में इन नताओं के चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि इस विलय से समाजवाद जिंदा रहेगा कि समाजवादी पार्टी की साख लेकिन लालू की रट तो बनी रही कि हम सब मिलकर मोदी की सफाया कर देंगे बीजेपी को स्वाहा कर देंगे और जनता परिवार को राजनीति में जिंदा कर देंगे..
इस मंथन में जो मंत्र मिला वो वाकई मुलायम के लिए मनमाफिक था उनके लिए वाजिब था मुलायम ही इस जनता परिवार के संशाह बनें पार्टी के नेता बने एक ऐसा नेता बने जिसमें देश के धुरंधर नेताओं को अपने आप में सहेज लिया और इस बेनाम पार्टी का मुखिया पद अपने नाम कर लिया दो दशक पहले टूटी पार्टियों का संग्रह है जनता परिवार इस परिवार में शामिल सभी नताओं का परिवार ही जनता है क्योकि इनके जनाधार का आधार ही छीन गया...चुनाओं में जनता ने इनसे राजनीति का आधार ही छीन लिया लेकिन राजनीति की नीति तो बनानी थी तो जनता परिवार का विलय ही एक निरस राजनीति की जमीन पर सियासत की फसल पैदा करने की चाहत में जनता परिवार का विलय समाजवादियों के लिए सत्ता का आखिरी संघर्ष है मंथन में मुलायम मंत्र ही सबको रास आया आखिर मुलायम ही विलय में सबसे बड़ी पार्टी के मुखिया हैं लोकतंत्र में असली राजनेता वहीं होता है जिसके पास संसद में संख्या और जनता का जनधार होता इन दोनों ही रूपों में मुलायम फिट क्योकि संसद में जनता परिवार की सबसे बड़ी पार्टी सपा के पास 5 लोकसभा सांसद है और राजनीति में मुलायम  
धुरी भी हिट है क्योकि नीतीश, लालू, देवगौड़ा से ज्यादा जनाधार मुलायम की है मुलायम वेनाम जनता परिवार के मुखिया होंगे..मुलायम की बाजी चलेगी और लालू की लालटेन जलेगी या तीर सही निशाने पर लगेगी अब सबका जनाधार साइकिल से सहारे चलेगी..

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