Monday 11 May 2015

अम्मा हुई बरी

19 साल पुराने आय से अधिक संपति के मामले में  तमिलनाडु के पूर्व सीएम जयराम जयललिता को  कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन सभी आरोपों से बरी कर दिया जो 19 साल पहले साल 1996 में  अम्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगें थे आज उन सभी आरोपों का अंत हो गया.. अम्मा आज आजाद हो गई, जेल की जंग जीत गई, राजनीति की राह पर फिर से चलने को तैयार हो गई कर्नाटक हाईकोर्ट के इस अहम फैसला ने  तमिलनाडु के पूर्व सीएम को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया जिससे अम्मा के राजनीतिक राज पर आंच आ रही थी आज वो सभी आरोप आग में जल गए, पानी में घुल गए,  क़ानून की स्याही से मिट गए. अम्मा के आंचल में सारे आरोप छीप गए..

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद उन सभी आरोपों पर विराम लग गया जो जयललिता पर आज तक लगते रहे थे जिस भ्रष्टाचार को लेकर जया की तुलना देश के दूसरे नेताओं से कि जाती आज अम्मा उन नेताओं से परे होकर उन आरोपों से बरी हो गई..एक बार फिर से अम्मा के  तमिलनाडु की सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया इस फैसले के बाद जया अब चुनाव लड़ सकती है कोर्ट के फैसले से डीएमके की राजनीति को झटका लगा डीएमके नेताओं ने इस फ़ैसले का विरोध किया , बीजेपी नेता सुब्रामणयम स्वामी ने इस फ़ैसले पर आशचर्य जताया तो फैसले के बाद AIADMK नेताओं ने खुशी जताई क्योंकि आज अम्मा आजाद हैं..

जया के सियासत शक्ति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2014 आम चुनाव में तमिलनाडु के 39 सीटों में से जया ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की इस चुनाव में डीएमके चारों खानों चित हो गई और अम्मा हर बाजी को जीत गई ..आज अम्मा ने एक और बाज़ी जीत ली,  इसी को कहते है सियासत की शक्ति आखिर सत्ता से ही तो कानून बनता है कानून भी तो सत्ता का हि है तो कानून सत्ता से अलग कैसे अलग हो सकता है कर्नाटक हाईकोर्ट के इस फैसले ने बता दिया कि सत्ता और कानून की शक्ति समान है ये एक दूसरे के पूरक है ना कि एक दूसरे से अलग..  अम्मा आज भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त हो गई तमिलनाडु के पूर्व सीएम पर आरोप 1996 में  लगे थे जिसका फैसला 19 साल बाद आया , 19 साल के फैसले में 19 पड़ाव आये जया से 1339 सवालों के जवाब मांगे गए सवाल कई थे पर जया का जवाब एक मैं निर्दोष हूं मैंने कुछ नहीं किया जया पर आरोपों की सुनवाई होती रही तारीख दर तारीख अम्मा की कोर्ट में पेश होती रही जिरह और सुनवाई जारी  रहे  सवालों और जबावों का दौर चलता रहा इस दौरान जयलिलता तमिलनाडु की तीन बार सीएम बनीं.

इस फैसले से पहले सितंबर 2014 में निचली अदालत ने फैसला सुनते हुए जया को 4 साल की जेल और 100 करोड़ के जुर्माने की सज़ा सुनाई थी  कई आरोपों में घिरी अम्मा राजनीति में आने से पहले जयललिता ने 120 तमिल फ़िल्मों में काम किया अपनी आदाकारी से लोगों को खुब लुभाया मनोरंजन की दुनिया में राज करने के बाद जयलिलता ने राजनीति का रूख किया तो साल 1989 में अम्मा  तमिलनाडु विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनीं सियासत के समाज में जया की ये पहली पारी थी जब अम्मा ने लोगों में एक विकल्प की अलख जगाई जनता की बातों को जनता के साथ की, जनता के लिए जनता के साथ बात करते हुए अम्मा 1991 में पहली बार  सीएम बनीं 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस गठबंधन के साथ अम्मा सत्ता में आई बंपर बहुमत के साथ 234 में से 225 सीटों पर जीत दर्ज की ये तमिल की राजनीति में अब तक किसी भी पार्टी की सबसे बड़ी जीत थी...ये   प्रदेश की राजनीति में  जया की धमाकेदार जीत थी जब जनता ने जया का भरपूर साथ दिया अम्मा को सरआंंखों पर बैठा लिया जानकी रामचंद्रन के बाद जया AIADMK की दूसरी महिला नेता थी जिसे जनता ने प्रदेश की कमान दी जिसपर तमिल की जनता ने भरोसा दिखाया लेकिन जब जब जनता ने जया पर भरोसा दिखाया तब-तब जया पर गंभीर आरोप लगे...पहले कार्यकाल में जया पर आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला आया तो 2001 के दूसरे कार्यकाल में तनसी भूमी घोटाले में नाम आया भूमि मामले में कोर्ट ने फ़ैसला सुनाते हुए जया को 5 साल की सजा सुनाई तो ये दूसरा मौका था जब जया को सीएम रहते कुर्सी छोड़ जेल जाना पड़ा लेकिन तनसी भूमि घोटाले में कोर्ट ने जया को बरी किया और 5 महीने बाद जया फिर से तमिलनाडु की सीएम बनीं जया पर घोटालों के आरोप तो लगते रहे लेकिन उन आरोपों से अम्मा  हमेशा बचती रही और अपने आप को सही साबित करती रही आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला हो या तनसी भूमि घोटाले की आंच हर बार अम्मा आरोपों से बचती रही..

 घोटाले के आरोप में जब-जब जया जेल गई ओ पनीरसेलवम जया के उत्तराधिकारी बनें जया के जेल जाने के बाद पनीरसेलवम हर बार सीएम बने.. पनीरसेलवम जया के सबसे करीबियों और वरिष्ठ मंत्रियों में से है,,,तमिलनाडु में जया के जादू  के जलवे का अंदाजा इस बात से लगा सकते है , जनता जया के लिए इसकदर पागल है, जया के लिए जनता जान भी देती है साल 2014 में जयललिता के खिलाफ आए फैसले के बाद जया के कई सर्मथकों ने अपने आप को आग के हवाला किया को कईयों के जहर खाकर जान दी.. अम्मा के आंचल से तमिल के लोगों को इतना प्यार जिसका अंदाजा आप कभी नहीं लगा सकते ..अगर आप लगाने चाहे तो इनके जान की कीमत लगा सकते है जो अम्मा के लिए कुछ भी कर सकते है, जी सकते है,  मर सकते है , अम्मा के लिए कुछ भी कर सकते है आखिर यही तो अम्मा का प्यार है जो जनता जया के लिए दिखाती है अम्मा के लिए प्यार तो होना ही चाहिए क्योंकि अम्मा- अम्मा होती है आखिर जया तमिल की अम्मा हैं...

ये जया थी जिसने डीएमके को सत्ता से बेदखल किया जब तमिल के लोगों को लगा कि अम्मा ही अण्णा का विकल्प हो सकती है जनता ने जया को सत्ता के सिहांसन पर बिठाया पर जयललिता का पहला कार्यकाल ही जया के लिए काल साबित हो गया और 68 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगा,  अम्मा पर आय से अधिक के संपत्ति रखने का आरोप लगा आय  को लेकर जया पर जांच की आच आई सीएम पर गैरतरीके से आय कमाने का आरोप लगा, दो नंबर के पैसे रखने का इल्ज़ाम लगा,  भारत के राजनीति में पहला मौका था जब किसी सीएम के घर पर उसी की पुलिस ने छापा मारा आम्मा के आलीशान बंगले पर पुलिस के छापे में 23 किलों सोना, 1165 किलो चांदी ,91 घड़िया और करीब 12,000 साड़ियों को बरामद किया..जया कि पुलिस ने ही अम्मा की संपत्ति को अपने कब्जे में कर लिया..

आय से अधिक इस मामले में अम्मा के साथ उनकी साथी शशिकला के साथ चार लोगों पर आरोप तय हुआ..अम्मा पर लगे आरोपों की वजह से जया कि राजनीति को भी नुकसान हुआ और 1996 के चुनाव में जया को तमिल की जनता ने सत्ता से हटाकर डीएमके पार्टी के करुणानीधि को प्रदेश की कमान दे दी, 1996 में जब करूणानिधि सत्ता में आए तो अम्मा के घोटालों की जांच हुई,, अम्मा के घोटालों की जांच में कानून से ज्यादा राजनीति हुई ,,साल 1997 में आय से अधिक संपत्ति मामले में अम्मा पर केस दर्ज हुआ सवालों और बयानों का दौर शुरू हुआ तारीख पर तारीख मिलती गई और अम्मा फैसले का इंतज़ार करती रही..जया से जनता का मोह तो भंग हो गया पर अण्णा से ज्यादा  उम्मीदे अम्मा से बनी रही तमिल की जनता ने जयललिता को एकबार फिर सत्ता में बिठाया और 2001 में जया तमिलनाडु की दूसरी बार सीएम बनीं लेकिन विवादों ने जया साथ नहीं छोड़ा और एकबार फिर तनसी भुमि घोटाले में जया का नाम आया तो कुर्सी छोड़नी पड़ी..पनिरसेलवम तमिलनाडु के सीएम बने ,,मामला आगे बढ़ा  और 2002 में सुप्रीम कोर्ट से इस केस को बेंगलुरू भेज दिया.. 19 साल बाद 1339 सवालों के जवाब देने के बाद अम्मा आज आज़ाद है सूत्रो की माने तो 17 मई को जयललिता सीएम पद की शपथ लेंगी





Sunday 10 May 2015

केजरीवाल के खिलाफ 'खबरनीशों' की खैर नहीं


दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया कि वो खबर जो सरकार की साख को धूमिल करने सीएम की सियासत पर सवाल करने या केजरीवाल के सिपाहियों पर संशय करने या अरविंद की अपेक्षाओं से अलग होनी वाली खबर होगी तो  उन खबरनिशों पर खैर नहीं, खबरनिशों की खाल उधेड़लेगे केजरीवाल, केजरीवाल सरकार मानहानि का केस करेगी..जो खबर अरविंद के मुताबिक नहीं होगी  जो खबर केजरीवाल के आखों को सुकून नहीं देगी जो खबर कानों को वैभव की अनुभूति ना दे तो उस खबर के खिलाफ केजरीवाल कर्रवाई करेंगे उस मीडिया के खिलाफ अरविंद मानहानि का केस करेंगे उस मीडिया का अरविंद मुंह बंद कर देंगे जिस मीडिया की भाषा अरविंद की अपेक्षाओं  को पूरा नहीं करेगी जो सीएम पर सवाल खड़ा करेगी उस मीडिया की केजरीवाल खाल खीच लेंगे क्योकि केजरीवाल को सवाल पसंद नहीं जिस  अखबार की सुर्खिया अरविंद के अनुरूप ना होगी टीवी स्क्रीन का  क्रोमा केजरीवाल के माफिक नहीं होगा जिस मैगजीन का कवर पेज केजरीवाल के कैरेक्टर का बखान नहीं करेगी तो उसे केजरीवाल जेल भेज देंगे क्योंकि केजरीवाल को सवाल पसंद नहीं...

दिल्ली के सीएम अरविंद ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया कि जो मीडिया हमारे काम पर सवाल खड़ा करे हमारी छवि को धूमिल करे हमारे काम को गलत बताएं हमारे काम को सही ना कहे  उस मीडिया पर मुंह बंद करों उसपर मानहानि का केस  करो केजरीवाल को बदनाम करने वाली मीडिया को सेंसर करो क्योकि केजरीवाल को सवाल   पसंद नहीं सीएम के सियासत पर सवाल पसंद नहीं है दिल्ली के सुल्तान को सवाल पसंद नहीं..आज केजरीवाल उस मीडिया पर सेंसर चाहते है जिस मीडिया ने मुन्ना से केजरीवाल और अरविंद से सीएम अरविंद केजरीवाल बनाया आज उस मीडिया पर अरविंद अंकुश चाहते उस मीडिया पर सेंसर चाहते है क्योंकि आज मीडिया ने अरविंद की आकांक्षाओं पर सवाल किया अरविंद की सियासत पर सवाल किया..अरविंद मीडिया पर अंकुश चाहते है क्योंकि मीडिया ने उन पर सवाल किया एक लोकतांत्रिक हिस्से के हिसाब से जवाब मांगा तो केजरीवाल सवालाें पर कांप गए और मीडिया की पब्लिक ट्रायल की बात पर आ गए क्योंकि अरविंद आज मीडिया पर अंकुश चाहते है आज सावाल से भाग रहे हैं निष्पक्ष की बात कर रहे हैं सत्ता के सिंहासन पर काबिज होने से पहले अपने विरोधियों के खिलाफ रोज नए खुलासे करते समय केजरीवाल भूल जाते थे की शायद मीडिया ही उनकों दिखा रही है तो लोग केजरीवाल को देख रहे है लोग अरविंद को सुन रहे क्योकि मीडिया उनको लोगों को सुना रही है शाय़द केजरीवाल मीडिया को सेंसर तब नहीं करना चाहते थे जब वो सत्ता के वैभव से कोशों दूर थे पर आज अरविंद देश की राजधानी  दिल्ली के मुखिया है भारी बहुमत के साथ दिल्ली के सत्ता पर विराजमान है आज अवरिंद एक मंझे सफेदपोश नेता की तरह मीडिया पर सवाल खड़े कर रहें है तो मीडिया पर सवाल करने पर विरोधी केजरीवाल पर सवाल खड़े कर रहे है जो कभी-कभी खुद भी मीडिया पर सवाल खड़े करते रहे है लेकिन अवरिंद का मीडिया पर अंकुश करने की आकांक्षा अलग है अरविंद उन नेताओं से कई कदम आगे निकल गए और मीडिया पर कार्रवाई करने  तक की सोच गए मीडिया को लेकर उतना सोच और बोल गए जितना सोचकर सत्ता में आए थे आज अरविंद मीडिया पर अंकुश लगाने की सोच रहे है क्योकि सवाल उनसे बहुत हैं पर जवाब सिर्फ एक  मीडिया पर सेंसर ..मीडिया की देन और अन्ना आंदेलन से उपजे और उभरे अरविदं केजरीवाल को लोगों ने जाना क्योंकि मीडिया ने अरविदं को लोगों तक पहुंचाया, लोगों ने केजरीवाल को सुना क्योंकि मीडिया ने देश दुनिया में केजरीवाल को सुनाया साल 2011 अन्ना आंदोलन में अन्ना के साथ मंच पर एक युवक को मीडिया ने देखा जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने को लेकर बोलते पाया जिसे मीडिया ने बनाया जिसे फर्श से अर्श पर बैठाया जो तिनका था उसे ताड़ बनाया जो मुन्ना था उसे अरविंद केजरीवाल बनाया आज मीडिया पर अरविंद अंकुश चाहते है क्योकि अरविंद की सियासत पर कोई सवाल करे केजरीवाल को  पसंद नहीं वो खबर पसंद नहीं जो केजरीवाल की सरकार पर सवाल खड़े करे..केजरीवाल मीडिया पर अंपनी अक्श चाहते है क्योंकि केजरीवाल की सत्ता पर मीडिया का सवाल अरविंद की सियासी समाज के लिए ठीक नहीं, जिस मीडिया की देेन है अरविंद केजरीवाल आज उस मीडिया पर सेंसर चाहते है शायद मीडिया पर सेंसर ही अरविंद की सियासत के लिए अनुरूप हो..अरविंद का मीडिया पर अंकुश इसलिए क्योंकि केजरीवाल का आरोप मीडिया सरकार की छवी बिगाड़ने की साज़िश कर कर रही है अपनी सरकार पर खड़े हो रहे सवालों पर अरविंद को मीडिया की साज़िश दिखती है लेकिन ये वही मीडिया जो पिछली सरकारों पर सवाल खड़ी करती थी तो अरविंद मीडिया के इन सवालों का सहारा लेकर अपनी राजनीति चमकाते थे और आयदिन किसी ना किसी के खिलाफ खुलाशों का पिटारा खोलते थे जिस मीडिया पर अरविंद आज अंकुश चाहते है सेंसर चाहते है लगाम चाहते है उसी मीडिया के मार्फत सियासी सवाल करते थे मीडिया की खबरों का हवाला देते थे आज मीडिया पर अंकुश चाहते है क्योकि सवाल आज अरविंद से है..केजरीवाल सत्ता  के सिहासन पर बैठे दिल्ली के सुल्तान बनें है तो सवाल तो बनता ही है पर जबाब एक है केजरीवाल के खिलाफ खबरनीशों की खैर नहीं जो सुर्खियां अरविद के अनुरूप नहीं उनकलमवालों के कलम को केजरीवाल 'कलम' कर देंगे उस टीवी चैनल की चैन छीन लेंगे  जो केजरीवाल के खिलाफ हो जो अरविंद के अनुरूप ना हो उन खबरनीशों की केजरीवाल खाल खींच लेंगे क्योंकि केजरीवाल को सवाल पसंद नहीं केजरीवाल मीडिया का पब्लिक ट्रायल चाहते है क्योकि आज सवाल बीजेपी. कांग्रेस पर नहीं बल्कि सबसे अलग राजनीति करने वाली पार्टी आप पर है  ईमानदारी, सच्चाई की कॉपी राइट और फ्रेंनचायजी रखने वाली,  प्रेस पर सेंसर की बात करने वाली  आम आदमी पार्टी  पर है जिसे अपने खिलाफ सवाल पसंद नहीं अपने नापसंद का प्रेसवाला पसंद नहीं अपने सामने सरकार विरोधी सवाल करने वाला पसंद नहीं , पसंद है तो सिर्फ मीडिया पर अंकुश लगाना...आज सवाल केजरीवाल सरकार पर है आप पार्टी पर है केजरीवाल के करिबियों पर है अरविंद के मंत्रियों पर है तो मीडिया पर अंकुश तो बनता है क्योकि सच्चाई और ईमानदारी से केजरीवाल का साथ इसकदर है जैसे आत्मा और रूह तो भला मीडिया ऐसे ईमानदार शासक पर सवाल कैसे कर सकती है...


 मीडिया पर अंकुश लगाने की आकांक्षा अरविंद के मन में क्यों जगी ये बात समझना इतना ही जरूरी है जितना इमानदारी को समझने के लिए अरविंद को समझना...आप ईमानदारी को समझे या ना समझे लेकिन इमानदार होने के लिए अरविंद केजरीवाल को समझे क्योंकि ईमानदारी की कॉपीराईट सिर्फ और सिर्फ अरविंद के पास है..पर सरकार पर तो सवाल बनता है लेकिन केजरीवाल को सरकार पर सवाल पसंद नहीं चाहे बात आप के कुमार विश्वास के संबंधो को लेकर सवाल हो, केजरीवाल सरकार के क़ानून मंत्री की क़ानूनी शिक्षा को लेकर सवाल हो या केजरीवाल के चुनावी वादों को लेकर जिसमे केजरीवाल इस बार पर जोर देते कि पांच साल में 40 फीसदी वादें भी पूरें हो तो ब
ड़ी बात,  लेकिन कोई सरकार से सवाल तो ना करे  नहीं तो उनखबरनीशों की खैर नहीं...क्योंकि केजरीवाल कार्रवाई कर देंगे, दिल्ली के सुल्तान केजरीवाल के सिपहसलाहकार सिसोदिया मीडिया ट्रायल को सही बताते है जो खुद भी खबरनीश रह चुके है लेकिन सिसोदिया अब खबरनीश नहीं सरकार में हैं और सरकार मीडिया पर अंकुश चाहती है पार्टी के  नेता कुमार विश्वास के संबंधों पर मीडिया ने सवाल खड़े किए तो पार्टी के दूत संजय सिंह बोले की मीडिया खबर को बढ़ा-चढ़ा कर दिखा रही है और सुल्तान बोलें हमारे परिवर बच्चों को बख्श दों..केजरीवाल के लाल, कुमार विश्वास पर आरोप की आम चुनाव के दौरान उन्होने पार्टी की एक  महिला कार्यकर्ता के साथ संबंध बनाएं इस पीड़ित महिला की वेदना सुनिए आज जो खास विश्वास की आम पीड़ित है

लेकिन अरविंद महिला के आरोपों से खुद को अलग कर विश्वास का नीजि मामला बता रहे है लेकिन पीड़ित के बारे में कुछ भी नहीं बोल रहे है आज सुल्तान अरविंद मीडिया पर अंकुश चाहता है सवाल बड़े थे जवाब सिर्फ एक मीडिया पर सेंसर क्योकि सरकार को सवाल पसंद नहीं अरविंद के क़ानून मंत्री के शिक्षा पर सवाल उनके फर्जी डिग्री को लेकर  बवाल हुए तो मंत्री जी ने  मोदी सरकार की मंत्री ईरानी के डिग्री का हवाला देते हुए  हुए मोदी पर हमला बोल दिया ठीक उसी तरह जैसे खुद को सही बताने से अच्छा दूसरे को ग़लत बता दो तो मंत्री तोमर जी ने वही किया और ईरानी को ही फर्जी बता दिया...फिर वही सवाल क्या केजरीवाल के कौरव सही हैं इमानदारी की फ्रेंनचाइजी अरविंद के पास ,है तो  क्या  डिग्री छापने वाली मशीन ग़लत है या डिग्री देने वाली विश्वविद्यालय झूठा है तो सही कौन है केजरीवाल के मंत्री, डिग्री छापने वाली मशीन या वो विश्वविद्यालय जिसने तोमर को कानून की डिग्री दी, क्या डिग्री छापनी वाली मशीन की स्याही झूठी है जो केजरीवाल के रंग की तरह अपना रंग नहीं बदल सकती है या फिर केजरीवाल जो सबको अपने रंग में रंग देना चाहते है... सवाल कई है लेकिन सुल्तान को अपने खिलाफ , सत्ता के खिलाफ सवाल पसंद नहीं है