Sunday 10 May 2015

केजरीवाल के खिलाफ 'खबरनीशों' की खैर नहीं


दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया कि वो खबर जो सरकार की साख को धूमिल करने सीएम की सियासत पर सवाल करने या केजरीवाल के सिपाहियों पर संशय करने या अरविंद की अपेक्षाओं से अलग होनी वाली खबर होगी तो  उन खबरनिशों पर खैर नहीं, खबरनिशों की खाल उधेड़लेगे केजरीवाल, केजरीवाल सरकार मानहानि का केस करेगी..जो खबर अरविंद के मुताबिक नहीं होगी  जो खबर केजरीवाल के आखों को सुकून नहीं देगी जो खबर कानों को वैभव की अनुभूति ना दे तो उस खबर के खिलाफ केजरीवाल कर्रवाई करेंगे उस मीडिया के खिलाफ अरविंद मानहानि का केस करेंगे उस मीडिया का अरविंद मुंह बंद कर देंगे जिस मीडिया की भाषा अरविंद की अपेक्षाओं  को पूरा नहीं करेगी जो सीएम पर सवाल खड़ा करेगी उस मीडिया की केजरीवाल खाल खीच लेंगे क्योकि केजरीवाल को सवाल पसंद नहीं जिस  अखबार की सुर्खिया अरविंद के अनुरूप ना होगी टीवी स्क्रीन का  क्रोमा केजरीवाल के माफिक नहीं होगा जिस मैगजीन का कवर पेज केजरीवाल के कैरेक्टर का बखान नहीं करेगी तो उसे केजरीवाल जेल भेज देंगे क्योंकि केजरीवाल को सवाल पसंद नहीं...

दिल्ली के सीएम अरविंद ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया कि जो मीडिया हमारे काम पर सवाल खड़ा करे हमारी छवि को धूमिल करे हमारे काम को गलत बताएं हमारे काम को सही ना कहे  उस मीडिया पर मुंह बंद करों उसपर मानहानि का केस  करो केजरीवाल को बदनाम करने वाली मीडिया को सेंसर करो क्योकि केजरीवाल को सवाल   पसंद नहीं सीएम के सियासत पर सवाल पसंद नहीं है दिल्ली के सुल्तान को सवाल पसंद नहीं..आज केजरीवाल उस मीडिया पर सेंसर चाहते है जिस मीडिया ने मुन्ना से केजरीवाल और अरविंद से सीएम अरविंद केजरीवाल बनाया आज उस मीडिया पर अरविंद अंकुश चाहते उस मीडिया पर सेंसर चाहते है क्योंकि आज मीडिया ने अरविंद की आकांक्षाओं पर सवाल किया अरविंद की सियासत पर सवाल किया..अरविंद मीडिया पर अंकुश चाहते है क्योंकि मीडिया ने उन पर सवाल किया एक लोकतांत्रिक हिस्से के हिसाब से जवाब मांगा तो केजरीवाल सवालाें पर कांप गए और मीडिया की पब्लिक ट्रायल की बात पर आ गए क्योंकि अरविंद आज मीडिया पर अंकुश चाहते है आज सावाल से भाग रहे हैं निष्पक्ष की बात कर रहे हैं सत्ता के सिंहासन पर काबिज होने से पहले अपने विरोधियों के खिलाफ रोज नए खुलासे करते समय केजरीवाल भूल जाते थे की शायद मीडिया ही उनकों दिखा रही है तो लोग केजरीवाल को देख रहे है लोग अरविंद को सुन रहे क्योकि मीडिया उनको लोगों को सुना रही है शाय़द केजरीवाल मीडिया को सेंसर तब नहीं करना चाहते थे जब वो सत्ता के वैभव से कोशों दूर थे पर आज अरविंद देश की राजधानी  दिल्ली के मुखिया है भारी बहुमत के साथ दिल्ली के सत्ता पर विराजमान है आज अवरिंद एक मंझे सफेदपोश नेता की तरह मीडिया पर सवाल खड़े कर रहें है तो मीडिया पर सवाल करने पर विरोधी केजरीवाल पर सवाल खड़े कर रहे है जो कभी-कभी खुद भी मीडिया पर सवाल खड़े करते रहे है लेकिन अवरिंद का मीडिया पर अंकुश करने की आकांक्षा अलग है अरविंद उन नेताओं से कई कदम आगे निकल गए और मीडिया पर कार्रवाई करने  तक की सोच गए मीडिया को लेकर उतना सोच और बोल गए जितना सोचकर सत्ता में आए थे आज अरविंद मीडिया पर अंकुश लगाने की सोच रहे है क्योकि सवाल उनसे बहुत हैं पर जवाब सिर्फ एक  मीडिया पर सेंसर ..मीडिया की देन और अन्ना आंदेलन से उपजे और उभरे अरविदं केजरीवाल को लोगों ने जाना क्योंकि मीडिया ने अरविदं को लोगों तक पहुंचाया, लोगों ने केजरीवाल को सुना क्योंकि मीडिया ने देश दुनिया में केजरीवाल को सुनाया साल 2011 अन्ना आंदोलन में अन्ना के साथ मंच पर एक युवक को मीडिया ने देखा जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने को लेकर बोलते पाया जिसे मीडिया ने बनाया जिसे फर्श से अर्श पर बैठाया जो तिनका था उसे ताड़ बनाया जो मुन्ना था उसे अरविंद केजरीवाल बनाया आज मीडिया पर अरविंद अंकुश चाहते है क्योकि अरविंद की सियासत पर कोई सवाल करे केजरीवाल को  पसंद नहीं वो खबर पसंद नहीं जो केजरीवाल की सरकार पर सवाल खड़े करे..केजरीवाल मीडिया पर अंपनी अक्श चाहते है क्योंकि केजरीवाल की सत्ता पर मीडिया का सवाल अरविंद की सियासी समाज के लिए ठीक नहीं, जिस मीडिया की देेन है अरविंद केजरीवाल आज उस मीडिया पर सेंसर चाहते है शायद मीडिया पर सेंसर ही अरविंद की सियासत के लिए अनुरूप हो..अरविंद का मीडिया पर अंकुश इसलिए क्योंकि केजरीवाल का आरोप मीडिया सरकार की छवी बिगाड़ने की साज़िश कर कर रही है अपनी सरकार पर खड़े हो रहे सवालों पर अरविंद को मीडिया की साज़िश दिखती है लेकिन ये वही मीडिया जो पिछली सरकारों पर सवाल खड़ी करती थी तो अरविंद मीडिया के इन सवालों का सहारा लेकर अपनी राजनीति चमकाते थे और आयदिन किसी ना किसी के खिलाफ खुलाशों का पिटारा खोलते थे जिस मीडिया पर अरविंद आज अंकुश चाहते है सेंसर चाहते है लगाम चाहते है उसी मीडिया के मार्फत सियासी सवाल करते थे मीडिया की खबरों का हवाला देते थे आज मीडिया पर अंकुश चाहते है क्योकि सवाल आज अरविंद से है..केजरीवाल सत्ता  के सिहासन पर बैठे दिल्ली के सुल्तान बनें है तो सवाल तो बनता ही है पर जबाब एक है केजरीवाल के खिलाफ खबरनीशों की खैर नहीं जो सुर्खियां अरविद के अनुरूप नहीं उनकलमवालों के कलम को केजरीवाल 'कलम' कर देंगे उस टीवी चैनल की चैन छीन लेंगे  जो केजरीवाल के खिलाफ हो जो अरविंद के अनुरूप ना हो उन खबरनीशों की केजरीवाल खाल खींच लेंगे क्योंकि केजरीवाल को सवाल पसंद नहीं केजरीवाल मीडिया का पब्लिक ट्रायल चाहते है क्योकि आज सवाल बीजेपी. कांग्रेस पर नहीं बल्कि सबसे अलग राजनीति करने वाली पार्टी आप पर है  ईमानदारी, सच्चाई की कॉपी राइट और फ्रेंनचायजी रखने वाली,  प्रेस पर सेंसर की बात करने वाली  आम आदमी पार्टी  पर है जिसे अपने खिलाफ सवाल पसंद नहीं अपने नापसंद का प्रेसवाला पसंद नहीं अपने सामने सरकार विरोधी सवाल करने वाला पसंद नहीं , पसंद है तो सिर्फ मीडिया पर अंकुश लगाना...आज सवाल केजरीवाल सरकार पर है आप पार्टी पर है केजरीवाल के करिबियों पर है अरविंद के मंत्रियों पर है तो मीडिया पर अंकुश तो बनता है क्योकि सच्चाई और ईमानदारी से केजरीवाल का साथ इसकदर है जैसे आत्मा और रूह तो भला मीडिया ऐसे ईमानदार शासक पर सवाल कैसे कर सकती है...


 मीडिया पर अंकुश लगाने की आकांक्षा अरविंद के मन में क्यों जगी ये बात समझना इतना ही जरूरी है जितना इमानदारी को समझने के लिए अरविंद को समझना...आप ईमानदारी को समझे या ना समझे लेकिन इमानदार होने के लिए अरविंद केजरीवाल को समझे क्योंकि ईमानदारी की कॉपीराईट सिर्फ और सिर्फ अरविंद के पास है..पर सरकार पर तो सवाल बनता है लेकिन केजरीवाल को सरकार पर सवाल पसंद नहीं चाहे बात आप के कुमार विश्वास के संबंधो को लेकर सवाल हो, केजरीवाल सरकार के क़ानून मंत्री की क़ानूनी शिक्षा को लेकर सवाल हो या केजरीवाल के चुनावी वादों को लेकर जिसमे केजरीवाल इस बार पर जोर देते कि पांच साल में 40 फीसदी वादें भी पूरें हो तो ब
ड़ी बात,  लेकिन कोई सरकार से सवाल तो ना करे  नहीं तो उनखबरनीशों की खैर नहीं...क्योंकि केजरीवाल कार्रवाई कर देंगे, दिल्ली के सुल्तान केजरीवाल के सिपहसलाहकार सिसोदिया मीडिया ट्रायल को सही बताते है जो खुद भी खबरनीश रह चुके है लेकिन सिसोदिया अब खबरनीश नहीं सरकार में हैं और सरकार मीडिया पर अंकुश चाहती है पार्टी के  नेता कुमार विश्वास के संबंधों पर मीडिया ने सवाल खड़े किए तो पार्टी के दूत संजय सिंह बोले की मीडिया खबर को बढ़ा-चढ़ा कर दिखा रही है और सुल्तान बोलें हमारे परिवर बच्चों को बख्श दों..केजरीवाल के लाल, कुमार विश्वास पर आरोप की आम चुनाव के दौरान उन्होने पार्टी की एक  महिला कार्यकर्ता के साथ संबंध बनाएं इस पीड़ित महिला की वेदना सुनिए आज जो खास विश्वास की आम पीड़ित है

लेकिन अरविंद महिला के आरोपों से खुद को अलग कर विश्वास का नीजि मामला बता रहे है लेकिन पीड़ित के बारे में कुछ भी नहीं बोल रहे है आज सुल्तान अरविंद मीडिया पर अंकुश चाहता है सवाल बड़े थे जवाब सिर्फ एक मीडिया पर सेंसर क्योकि सरकार को सवाल पसंद नहीं अरविंद के क़ानून मंत्री के शिक्षा पर सवाल उनके फर्जी डिग्री को लेकर  बवाल हुए तो मंत्री जी ने  मोदी सरकार की मंत्री ईरानी के डिग्री का हवाला देते हुए  हुए मोदी पर हमला बोल दिया ठीक उसी तरह जैसे खुद को सही बताने से अच्छा दूसरे को ग़लत बता दो तो मंत्री तोमर जी ने वही किया और ईरानी को ही फर्जी बता दिया...फिर वही सवाल क्या केजरीवाल के कौरव सही हैं इमानदारी की फ्रेंनचाइजी अरविंद के पास ,है तो  क्या  डिग्री छापने वाली मशीन ग़लत है या डिग्री देने वाली विश्वविद्यालय झूठा है तो सही कौन है केजरीवाल के मंत्री, डिग्री छापने वाली मशीन या वो विश्वविद्यालय जिसने तोमर को कानून की डिग्री दी, क्या डिग्री छापनी वाली मशीन की स्याही झूठी है जो केजरीवाल के रंग की तरह अपना रंग नहीं बदल सकती है या फिर केजरीवाल जो सबको अपने रंग में रंग देना चाहते है... सवाल कई है लेकिन सुल्तान को अपने खिलाफ , सत्ता के खिलाफ सवाल पसंद नहीं है 






No comments:

Post a Comment