Sunday 11 October 2015

बिहार विधानसभा चुनाव 2015

मतदान तारीख--12 अक्टूबर
10 जिलों की 49 सीटों पर वोटिंग
समस्तीपुर- कल्याणपुर (एससी), वारिसपुर, समस्तीपुर, उजियारपुर, मोरवा, सरायरंज, मोहीउद्दीन नगर, विभूतीपुर , रोसड़ा (एससी), हसनपुर , 10 सीट-136 प्रत्य़ाशी
बेगूसराय-चेरियाबरियार, तेघड़ा, बछवाड़ा, मटिहानी, साहेबपुरकमाल, बेगूसराय, बखरी, 7 सीट -68 प्रत्याशी
खगड़िया-अलौली, खगड़िया, बेलदौर, परबत्ता, 4 सीट-48 प्रत्याशी
भागलपुर-बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती, कहलगांव, भागलपुर, सुल्तानगंज, नाथनगर, सीट-7 प्रत्याशी 87
बांका-अमरपुर, बांका, धुरैया, कटोरिया, बेलहर, 5 सीट-53 प्रत्याशी
मुंगेर-तारापुर, मुंगेर जमालपुर, 3 सीट-39 प्रत्याशी
लखीसराय-सूर्यागढ़ा, लकीसराय, 2 सीट-26 प्रत्याशी
शेखपूरा-, शेखपुरा, बरबीघा, 2 सीट-27 प्रत्याशी
नवादा-रजौली (एससी), हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर, वारसलिगंज, 5 सीट-49 प्रत्याशी
जमुई-सिकंदर, जमुई, चकई, झांझा, 4 सीट-50 प्रत्याशी

कुल 49 सीट 583 प्रत्याशी
पहले चरण के लिए 583 प्रत्याशी
49 सीटों पर मतदाताओं की संख्या 1 करोड़, 35 लाख, 35 हजार, 586
पुरुष मतदाता-72 लाख 27 हजार 835
महिला मतदाता-63 लाख 7 बजार 345
थर्ड जेंडर मतदाता-406
मतदान केंद्र-12 हजार 686
मतदान भवन-9301
49 सीट के लिए 1 लाख 20 हजार पारा मिलिट्री और बिहार पुलिस तैनात
मतदान केंद्रों पारा मिलिट्री की तैनाती, और पेट्रोलिंग में बिहार पुलिस
85-90 हजार सिविल अधिकारी की तैनाती
फाइल फोटो

583 प्रत्याशियों में 174 (30 फीसदी) आपराधिक मामले दर्ज
174 में से 130(22 फीसदी) प्रत्याशियों पर किडनैपिंग, मर्डर, हत्या की कोशिश, महिलाओं के प्रति अपराध जैसे गंभीर मामले दर्ज
16 प्रत्याशियों पर IPC की धारा 302 के मामले दर्ज
नवादा जिलें वारसलिगंज से जेडीयू के प्रत्याशी प्रदीप कुमार पर हत्या से जुड़े 4 केस दर्ज
307 प्रत्याशियों पर IPC 307 के तहत मामला दर्ज
BSP का एक प्रत्याशी, BJP के एक, JDU के 3, JAP के 1 और निर्दलीय के 1 प्रत्याशी पर हत्या की कोशिश के मामले दर्ज
11 प्रत्याशियों पर महिलाओ से जुड़े आपराधिक मामले दर्ज
 
फाइल फोटो
संपत्ति
583 में से 146 (25 फीसदी) प्रत्याशी करोड़पति
पहले चरण के लिए 583 प्रत्याशियों में से औसतन संपत्ति 1.44 करोड़

सबसे ज्यादा संपत्ति वाले उम्मीदवार
वारिसनगर सीट से निर्दलीय विनोद कुमार सिंह 74, 73, 83, 190
खगड़िया से जेडीयू की पूनम देवी यादव 41,34,45,969
भागलपुर से कांग्रेस के अजीत कुमार 40,57,35,981

सबसे कम संपत्ति वाले उम्मीदवार
बखरी से भारतीय जनहित दल के सुरेश सादा-जीरों
हिसुआ से मूलनिवासी समाज पार्टी के प्रदीप राजबंशी --जीरों
बरबीघा से निर्दलीय योगेश्वर मांझी 1000 रु की संप्त्ति( आयोग के अनुसार इन्होने पूरी संपत्ती की डिटेल एफीडेविट में नहीं दिया

जिन प्रत्याशियों ने आयकर डिटेल नहीं दिया

अलौली से बहुजन मुक्ति पार्टी के उदय प्रकाश सादा कुल संपत्ति 10, 30,70, 500

जमुई से किसान अल्पसंख्यक मोर्चा के बलदेव प्रसाद भगत कुल संपत्ति 7,16,05, 559

लखीसराय से जेडीयू के रामानंद मंडल 2,40,66,100

पार्टी में आपराधिक प्रत्याशी
BSP के 41 में 8-20 फीसदी

BJP के 27 में14-52 फीसदी

CPI के 25 में 14-56 फीसदी

JDU के 24 में 44 46 फीसदी

सपा के 18 में 9-50 फीसदी

आरजेडी में 17 में 8-47 फीसदी

जेएपी में 16 में 9-56 फीसदी

एलजेपी में 13 में 8-62 फीसदी

कांग्रेस में 8 में 6-75 फीसदी

आरएलएसपी में 6 में 4-67 फीसदी

हम में 3 में 2 67 फीसदी

पार्टी में करोड़पति उम्मीदवार

जेडीयू में 24 में 19-79 फीसदी

बीजेपी में 27 में 18-67 फीसदी

आरजेडी में 17 में 11-68 फीसदी

एलजेपी में 13 में 8-62 फीसदी

कांग्रेस में 8 में 6-75 फीसदी

जेएपी में 16 में 5-31 फीसदी

टॉप 10 ज्यादा संपत्ति वाले प्रत्याशी

वारिसनगर सीट से निर्दलीय विनोद कुमार सिंह 74, 73, 83, 190
खगड़िया से जेडीयू की पूनम देवी यादव 41,34,45,969
भागलपुर से कांग्रेस के अजीत कुमार 40,57,35,981
सिकंदरा से बीएसपी की रेखा देवी 39, 03,05,000
झांझा से किसान अल्पसंख्यक मोर्चा के उमाशंकर भगत  37,8812,596
तेघड़ा से आरजेडी के बीरेंद्र कुमार 19,0674,731
बांका से बीएसपी के अजीत कुमार-17,01,26,748
हिसुआ से जेडीयू के कौशल यादव 16,14,86,483
गोविंदपुर से कांग्रेस की पूर्णिया यादव 16,14,86,183
लखीसराय से बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा 15,64, 10,626


टॉप 10 कम संपत्ति वाले प्रत्याशी

बखरी से भारतीय जनहित दल के सुरेश सादा-जीरों
हिसुआ से मूलनिवासी समाज पार्टी के प्रदीप राजबंशी --जीरों
बरबीघा से निर्दलीय योगेश्वर मांझी 1000 रु की संप्त्ति( आयोग के अनुसार इन्होने पूरी संपत्ती की डिटेल एफीडेविट में नहीं दिया

हिसुआ से बीएसपी के लव कुमार सिंह 2500 रु
बिहपुर से निर्दलीय सुमन कुमार 4,000
नाथनगर से गरीब जनता दल के संदीप कुमार शर्मा-5,000
लखीसराय से बीएसपी के मनोज कुमार 15000
मटिहानी से बहुजन मुक्ति पार्टी के रणवीर कुमार 15,300
बेगूसराय ने निर्दलीय अमरजीत शाह 15,500

बांका से निर्दलीय राजेंद्र राय 15,500

Thursday 8 October 2015

दादरी का दर्द ना समझे कोय !

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के दादरी के विसहेड़ा गांव के रोता-विलखता ये परिवार इकलाख का परिवार है जिस इकलाख को गांव वालों ने पीट-पीट कर मार डाला इकलाख की मौत नहीं हुई उसे मार दिया गया उसकी मौत का निमंत्रण विसहेड़ा गांव के मंदिर के लाउडस्पीकर से आया जिस मंदिर से  एलान हुआ कि इकलाख का परिवार बीफ खाता है और अपने घर में बीफ रखता है इस लाउड स्पीकर से एलान के बाद गांव के लोग लाल हो गए और गांव में अफवाह फैला कि इकलाख का परिवार बीफ खाता है और इस अफवाह के आधार पर ग्रामीणों ने इकलाख को उसके घर से निकालकर उसे पीट-पीट कर मार डाला और मौत के मुंह में डाल दिया एक अफवाह से इकलाख की हत्या हो गई और बिसहेड़ा गांव उसकी मौत का तमासा देखता रहा...देखता रहा कि इकलाख की मौत कैसे होती है बिसहेड़ा गांव के बेदर्द लोगों ने इकलाख के बेटे को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया आज अस्पताल में वो अपनी जिंदगी मौत के बीच झूल रहा है और राजनेता उसे अपने बयानों से झूला रहे है आज सियासत के दूल्हे बताने पर उतारु है कि मैं समाजवादी हूं , धर्मनिरपेक्ष हूं और तूं सांम्प्रादिक है ऐ बताने के लिए राजनेता दादरी का दर्द समझे बिना बिसहेड़ा गांव में बसने पर तूल गए है और सभी बताने की हर कोशिश कर रहे है हम दादरी के दर्द में हमदर्द हैं... दादरी में पुलिस प्रशासन है मगर इस गांव आज भी आशंति है...

सियासतदान कहते है सियासत ना हो लेकिन ऐसे-कैसे हो सकता है कोई राजनेता किसी के शव पर अपनी सियासत की चिंगारी को न भड़काए ये कैसे हो सकता है कोई राजनेता किसी के खून से अपनी राजनीति को रसदार ना बनाएं आखिर क्यों नहीं समाजवाद की सरकार दंगों पर काबू पाती है क्या मान लिया जाय कि राजा अखिलेश के राज में उत्तर प्रदेश दंगा प्रदेश बन गया है ये सवाल इसलिए क्योकिं मुजफ्फरनगर से दादरी तक समाजवाद के आंचल तले कई कई मांओं की आंचल उजड़ गई कई सुहागिने बेरंग हो गई और कई बच्चे अनाथ हो गए और अखिलेश कहते प्रदेश में सब प्रसन्न हैं...दादरी के दर्द में कोई हमदर्द तो नहीं बना लेकिन राजनीति सबने की अपने बयानों से राजनेताओं ने दादरी के दर्द और बढ़ा दिया दर्द को नासूर बना दिया ऐसा दर्द दिया जो कभी भर न सके...राजनेताओं ने इकलाख के परिवार के जख्मों पर मरहम तो नहीं लगाया लेकिन बेसहेड़ा गांव में जा-जाकर दादरी , बिसहेड़ा और इकलाख के परिवार के दर्द को दोगुना कर दिया..दादरी का दर्द ना जाने कोय


दादरी के दर्द को न जाने न समझे बिना कोई इसे हादसा बताता है कोई इसे हिंदू राष्ट्र बनाने की साजिश तो कोई गाय को माता बताकर मरने और मारने पर तुला है इन नेताओं के बयानों को सुन लें तो आपका और हमारा सर शर्म से थोड़ा और झुक जाए..


लेकिन यूपी के सामजवाद की सरकार को इन बयानों से शर्म नहीं आती बल्कि सियासत तेज हो जाती  है..दादरी आज ग्रेटर नोएडा का छोटा सा गांव नहीं रह गया बल्कि राजनीतिक पर्यटन स्थल बन गया है देश से बड़े से बड़े नेता आज दादरी जाने को ललाइत है जैसे दो माह का बच्चा अपनी मां का दुध पीने को छछनता है लेकिन दादरी का दर्द कोई नहीं समझता है जैसे किसी गांव में जानवर के मार जाने पर उसे खाने के लिए गिद्धों का तांता लग जाता है वैसे ही इकलाख के शव पर सियासत करने के लिए सियासी गिद्दों की लाइन लगी है..

देश का कोई नेता नहीं बचा है जिसने दादरी का दौरा ना किया हो लेकिन दर्द तो किसी ने नहीं समझा सियासत सभी ने की कोई विदेश से आता है बिहार चुनाव प्रचार छोड़कर दादरी का दौरा करता है अखिलेश के मंत्री ही अखिलेश को आंखें दिखा रहे है दादरी दंगे को मुलायम की नाकामी बता रहे है लेकिन अखिलेश ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए 40 लाख का मरहम लगाते है ताकि दादरी के दर्द तले अपनी नाकामी को छुपा सकें...दादरी का दर्द ना समझे कोय