Sunday 8 November 2015

बीजेपी की शर्म 'नाक' हार


बिहार विधानसभा के 243 सीटों पर हुए चुनाव का परिणाम आ गया परिणाम में बीजेपी की हार हुई है बिहार में बीजेपी मुंह के बल गिर गई है और ऐसी गिरी की चाह कर भी बीजेपी अपने आप को बिहार में नहीं खड़ा कर पाएगी...और नहीं सही मुंह से बिहार की जनता से बात कर पाएगी की उसे बिहार की जनता ने क्यों नकार दिया.. क्यों प्रधान सेवक को बिहार की जनता सेवा का मौका नहीं दिया...क्यों बिहार की जनता ने बीजेपी को बिहार ने बाहर कर दिया... क्यों बिहार की जनता को भगवा पार्टी पर भरोसा नहीं हुआ...बिहार में बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी बिहार में थर्ड क्लास की पार्टी बन गई है ज्य़ादा सदस्यों वाली पार्टी बीजेपी को जंगलराज का तमका लिए आरजेडी ने बिहार के चुनाव में हरा दिया...लोकतंत्र के पर्व में बीजेपी हार गई है और महागठबंधन का महाविजय हुआ... 243 सीटों वाली विधानसभा में महागठबंधन के 178 महारथियों ने महाविजय हासिल किया...और बीजेपी की करारी हार हुई है..2015 में बीजेपी की दूसरी हार है इससे पहले साल के शुरुआत में दिल्ली चुनाव में बीजेपी को आम आदमी पार्टी ने बूरी तरह हराया 70 में बीजेपी केवल 3 सीट ही जीत पाई...और साल के आखिर में बिहार में महागठबंधन ने बीजेपी को हरा दिया... 160 सीटों पर लड़ने वाली पार्टी 60 सीट भी नहीं जीत पाई...बीजेपी के सहयोगी दल रामविलास, रालोसपा, हम तो इतने भी सहयोग नहीं कर पाए की बिहार में बीजेपी सैंचुरी भी लगा सके...लेकिन नीतीश ने हैट्रिक लगाते हुए बीजेपी को टूर्नामेंट से ही बाहर कर दिया...



सवाल उठता है बिहार में बीजेपी की बूरी हार किसकी वजह..इस हार की क्या वजहें है ये तो एसी कमरे में बैठकर बीजेपी के मठाधीस मंथन करेंगे ...बोलेंगे जनता के फैसले का सम्मान करते हैं, सोचेंगे अगला चुनाव कैसे जीते और कुछ दिन बाद दिल्ली की तरह बिहार चुनाव को भूल कर बीजेपी के नेता बयानबाजी शुरु कर देंगे...लेकिन बिहार में बीजेपी की हार पार्टी और पीएम के लिए चिंता का विषय है और इस हार पर पार्टी में हाहाकार भी होगा और पार्टी में हार का पोस्टमार्टम भी होगा...आखिर बिहार में बीजेपी क्यों नहीं नीतीश, लालू, और कांग्रेस को हरा पाई...क्यों बीजेपी कांग्रेस, लालू और नीतीश के चुनाव रणनीति को नहीं भेद पाई, क्या बीजेपी के चाणक्य अमित शाह नीतीश और लालू के राजनीति के रणनीति को नहीं समझ पाएं..बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का चेहरा पीएम मोदी थे महागठबंधन का मुखौता नीतीश कुमार थे... बिहार में बीजेपी ने पूरा चुनाव पीएम मोदी के विकास के नाम पर लड़ा तो महागठबंधन में शामिल लालू ने नीतीश को जनता की नजरों में सुशासन बाबू की तरह उतारा और पीएम मोदी को ललकारा...बिहार का चुनाव मुद्दाहीन था वहां न विकास की बात होती थी नहीं चुनावी रैलियों में सुशासन की चर्चा...वहां तो सिर्फ व्यक्तिगत चुनावी मुद्दा था कौन नरभक्षी था तो बह्मपीसाच था, चाराचोर था...चुनावी रैलीयों में विकास की बातें कम आरक्षण देनें और आरक्षण के लिए जी-जान देने की बातें होती थी...आगड़े-पीछड़े की बात होती थी कौन यादव है कौन पीछड़े इसके दावे होते थे...


लालू जानते थे कि वो अगड़े-पीछड़े की राजनीति करके ही अपने सियासी लालटेन को चमका सकते है और वो ही लालू ने किया...बिहार में लालू MY समीकरण के साथ अपने राजनीति को बढ़ाते रहे है लालू जानते थे अगर वो अगड़े-पीछड़े की राजनीति नहीं करेगें तो उनकी राजनीति की लालटेन बुझ जाएगी और नीतीश लालू के साथ नहीं  मिलगे तो नीतीश का सियासी तीर खाली ही रह जाएगा...तो लालू और नीतीश एक साथ हो लिए... लालू के लालटेन में रौशनी आ गई, लालू ने लालटेन से अपने राजनीतिक जीवन को उजाला कर दिया और नीतीश ने पुराने दोस्त और अब दुशमन बीजेपी को अपने तीर ने निशाना लगाकर बिहार में बीजेपी को चारों खाने चित कर दिया...



बिहार का चुनाव बीजेपी और महागठबंधन के लिए सरकार बनाने से ज्यादा साख का सवाल था इस चुनाव में सीएम नीतीश और पीएम मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर थी... परिणाम में पीएम की प्रतिष्ठा पानी-पानी हो गया और बिहार की जनता ने पीएम की प्रतिष्ठा से ज्यादा सीएम का सम्मान किया... बिहार विधानसभा चुनाव में डीएनए, आरक्षण, बीफ जैसे मुद्दे मुख्य चुनावी मुद्दे रहे और इसी मुद्दे को महागठबंधन ने भुनाया...आरक्षण की समीक्षा हो भागवत के इस बयान के बाद पिछड़ों में भय हुआ कि बीजेपी आई तो आरक्षण छीन लेगी... लालू ने इस मुद्दे को खुब भुनाया और इस कदर भुनाया कि पिछड़ा वर्ग लालू के जाल में फंस गया...आरक्षण छीन जाने का पिछड़ों में बने इस भय को बीजेपी नहीं निकाल सकी लेकिन बिहार की जनता ने बीजेपी को बिहार की राजनीति से निकाल दिया..बिहार में हुई बीजेपी की हार का प्रभाव आने वाले राज्यों पर पड़ेगा 2016 में बंगाल सहित पांच राज्यों में चुनाव है इसलिए बीजेपी को सोचना होगा और एसी कमरों से लेकर जनता के बीच जाकर जनादेश पाना होगा और बिहार में हुई शर्मनाक हार पर सोचना भी होगा।


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