Friday 29 July 2016

कोटा बना करियर का सुसाइड सिटी

बिहार के मोतिहारी जिले का IIT छात्र प्रिंस कुमार सिंह ने 23 जुलाई को     इंदिरा विहार में अपने छात्रावास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, प्रिंस जुलाई के शुरुआत में ही कोटा आया था अपने बेहतर भविष्य के लिए अच्छी तालीम हासिल करने भविष्य में एक अच्छा इंजीनियर बनने ताकी देश के निर्माण में एक बजबूत नींव दे सके, लेकिन करियर सिटी अब सुसाइड सिटी में बदलता जा रहा है छात्रों की उम्मीद उनके शवों में बदलती जा रही है। जुलाई महीने में ये दूसरी बार हुआ जब किसी छात्र की मौत हुई हो, 5 जुलाई को मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्र निखिल कुमार का शव छात्रवास में लटका हुआ मिला। मां-बाप के उम्मीद को पूरा करने में बच्चे अपने आप को खोते जा रहे हैं और मां-बाप अपने बच्चों को, अपनी उम्मीदों का बोझ मां-बाप इस कदर बच्चों पर डालते जा रहे है कि करियर के चक्कर में मां-बाप अपने बच्चों को खोते जा रहे है.. खोते जा रहे है अपने उन सपनों को जो मां-बाप अपने बच्चों के शिक्षा के सहारे पूरा करना चाहते है पर हालात ए है कि ''हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले'' बच्चों को बड़ा बनाने की चाहत में मां-बाप अपनी हर उस इच्छा को अपने-बेटे-बेटियों के माथे मढ़ देते है जिससे उन्हे समाज में बड़ा होने का यहसास हो, जिसे उन्हे सोसायटी में स्पेशल स्टेटस मिलें, सम्मान सर माथे पर हो, समाज में सम्मान के चलते बच्चों की जाने जा रही है, कई मांओं की ममता छीन रही है, सवाल सिर्फ सम्मान का नहीं बल्कि सोच और समझदारी का भी है जो माता-पिता अपने बच्चों के साथ दिखाएं। कोटा में छात्रों के खुदकुशी का मामला सिर्फ छात्रों पर मां-बांप की उम्मीदों का बोझ ही बल्कि और भी कारण जिसको लेकर कोटा में छात्रों के खुदकुशी की घटनाएं बढ़ती जा रही है। 


अपने गांव-घर , मां-बांप से, दोस्तों से दूर बच्चे कोटा आते है ताकी अच्छी तालीम हासिल कर सके लेकिन कोटा आकर छात्र कई गलत संगतों में पड़ जाते है इनके खर्चे बढ़ जाते है ऐसे में बच्चे मां-बाप के उम्मीदों और अपने गलत संगतों के भारी दबाब में आ जाते है कई बार परेशान होकर अपनी जिंदगी को खत्म कर लेते है, अपनों के सपनों को खत्म कर लेते है मां-बाप के उम्मीदों को खत्म कर लेते है।  

केवल साल 2016 की बात करे तो शुरु के 7 महीने में अह तक 12 छात्र-छात्राओं से खुदकुशी किया है , आंकडों से साफ पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में कोटा आने वाले छात्रों के सुसाईड की संख्या में वृद्धी हुई है
पिछले पांच सालों में 73 छात्र आत्महत्या कर चुके है
2012- 11
2013-13
214-14
2015-17
2016-12( जुलाई तक) 

एक नीजि कोचिंग सेंटर की छात्रा ने नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर जो बातें बताई उसको सुनकर शिक्षा संस्थानों में हो रहे शोषण को लेकर हमे-आपको शर्म आएगी

''छात्रा ने बताया कि कई बार उसे कंप्रोमाइज करने के लिए कहा जाता था नहीं करने पर क्लाश से बाहर करने की धमकी दी जाती थी, नंबर कम देने की धमकी जाती थी''
कोटा से 900 किलों मीटर की दूरी पर मिर्जापुर से आएं एक छात्र ने बताया की लागातार हो रहे छात्रों के सुसाइड एक कारण एभी है कि स्टूडेंट्स पर मां-बांप की उम्मीदों का बहुत दबाब होता है कई बार परिवार को उम्मीद को नहीं पूरा कर पाने के कारण भी छात्र सुसाइड करते है।


कांग्रेस का ‘हार्दिक’ प्लान’

2014 आम चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी का दंभ भरने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जब दम निकला तो मानों कांग्रेस सियासी मणसजज्या पर चली गई, कांग्रेस के आला कमान और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि कांग्रेस की इतनी बड़ी हार होगी कि 5 राज्यों में कांग्रेस क्लिन बोल्ड हो जाएगी, 2014 के चुनाव में हार से कांग्रेस के सियासी करियर पर ही सवाल खड़े होने लगे. कांग्रेस पार्टी को इस बात का अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि   ‘India is Indira and Indira is India’ वाली इंदिरा गांधी की कांग्रेस का सियासी रखुस हिंदुस्तान की सियासत में इस कदर धुमिल हो जाएगा मानों जैसे काले बादलों में चांद की छवि धूमिल हो जाती है, लेकिन कांग्रेस पार्टी जिसे अपनी पार्टी का चांद समझती है जिसे अपनी पार्टी की तीसरी आंख समझती है जिसे पार्टी का तारणहार समझती है वो सख्श राहुल गांधी 12 साल के सियासी सफर में अपनी पार्टी के सियासत में कोई सुधार नहीं कर पाएं...12 साल एक युग होता है इन वर्षों में एक बच्चा अपनी समझ की समझदारी दिखाना लगता है..लेकिन देश की 128 साल पुरानी पार्टी में ऐसा कुछ नहीं हुआ, एक के बाद एक कई रियासतों में कांग्रेस की सियासी हार होती गई और कांग्रेस आला कमान की तीसरी आंख तक नहीं खुली।



ऐसे में अब कांग्रेस को बैठे बैठाए मोदी के खिलाफ मुद्दा मुद्दा मिला गया है मुद्दा मोदी के गुजारात का हैं जहां से हार्दिक पटेल ने मोदी के खिलाफ बगावत कर दी है, मोदी को सियासी चुनौती दे दी हैं, पटेल आरक्षण की मांग को लेकर सुर्खियों में आएं हार्दिक पटेल को राजद्रोह के केस में जेल हुआ था इसी महीने हार्दिक को बेल मिली है लेकिन शर्त है कि 6 महीने के लिए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल गुजरात में नहीं होंगे। 6 महीने के लिए पटेल को राज्यबदार किया गया है, पीएम के गुजरात ने जिस हार्दिक पटेल को अपने से दूर किया है उसे मोदी विरोधी अपने करीब लाकर अपनी सियासी हार्दिक इच्छाओं को पूरा करना चाहते है। जो नेता कल तक सत्ता में रहते हुए अपने समुदाय के लिए आरक्षण के लिए एक आवाज तक नहीं उठाते थे वो आज पटेल समुदाय के लिए आरक्षण को लेकर हार्दिक पटेल के साथ खड़े है, हम बात कर रहे है राज्स्थान कांग्रेस के पूर्व विधायक और राजस्थान में पटेल समुदाय के अध्यक्ष पुष्करलाल डांगी की, पुष्करलाल डांगी UPA सरकार में मंत्री रहे सीपी जोशी के खास लोगों में से एक है ऐशे में डागी की कोशिश रहेगी की वो पटेल की सियासी आरक्षण को सही से भुना सके, डांगी जब अशोक गहलोत सरकार में विधायक थे जब डांगी ने कभी अपने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग नहीं की, आज डांगी पटेल आरक्षण के लिए आवाज बुलंद कर अपनी सियासी विरासत को बचाने की कोशिश में जुट गए है। 


फाइल फोटो-हार्दिक पटेल
6 महीने के लिए राज्यबदर हुए हार्दिक पटेल अगले 6 महीने तक पुष्करलाल डांगी के घर रहेंगे और सियासी समीकरण को भुनाने के लिए पुष्करलाल डांगी को सियासत की सिख देंगे, राजस्थान में हार्दिक पटेल के सहारे कांग्रेस की पूरी कोशिश होगी कि आरक्षण के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को बैकफूट पर ला सके, राजस्थान में आरक्षण का मुद्दा अभी कोर्ट में विचाराधीन हैं लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे को अपने हाथ से  नहीं निकलना देना चाहती हैं, वही दूसरी तरफ मोदी सरकार और आनंदी बेन सरकार के लिए आफत बन चुका पाटीदार आरक्षण आन्दोलन से बीजेपी शासित केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए पाटीदार समुदाय से निपटना मुस्किल होगा और निपटना जरुरी भी क्योंकि २०१७ में गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं ऐसे में मोदी और आनंदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के हाथ एक बड़ा मुद्दा है जिससे बीजेपी सरकार बैकफूट पर आ सकती हैं, २०१८ में राजस्थान और २०१९ में लोकसभा चुनाव हैं ऐसे में पटेल समुदाय को आरक्षण का मुद्दा पूरे देश में बीजेपी विरोधी इसे चुनावी मुद्दा बना सकते हैं।   
  



Saturday 9 July 2016

जाकिर का 'जहरीला' जिहाद

कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक डॉ जाकिर नाईक इन दिनों हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के  मीडिया में चर्चा का केंद्र बना हुआ है...जाकिर की चर्चा ..जाकिर की तकरिर की चर्चा ..जाकिर के खबरें इसलिए नहीं है कि वो आतंकवाद के खिलाफ इस्लाम को उकसा रहा है...इस्लाम को आतंक के खिलाफ एकजुट कर रहा है...बल्कि जाकिर जहरिले बोल बोलकर इस्लाम के युवाओं को आतंकवाद के लिए उकसा रहा है...वो बता रहा है कि मुसलमानों आओ आतंकवादी बनों मैं आतंकदूत हूं...जुलाई 2016 के पहले हफ्ते में बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले के दो संदिग्धों ने कहा कि वो जाकिर से प्रभावित थे तो क्या जाकिर इस्लाम आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रहा है..क्या जाकिर के जहरिले बोल समाज में जहर नहीं फैला रहा है...क्या जाकिर आतंकवाद को बढ़ाने के लिए इस्लाम का सहारा नहीं ले रहा है...क्या इस्लाम आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रहा है ये सवाल इसलिए उठ रहे है कि क्योंकि आतंकवाद और इस्लाम का चोली दामन का साथ होते दिख रहा है...ऐसा लगने लगा है जैसे आतंकवाद और इस्लाम एक दूसरे के लिए ही बने है...आखिर क्यों आतंक के आकाओं को अपना कट्टरपंथ चेहरा देखने में शर्म आति है...इस वक्त आतंक की आफत पूरे दुनिया में फैली है..आतंकवाद हम सब के लिए खतरा है...आतंकवाद के खिलाफ लड़ना हम सब कि जिम्मेदारी है...सब कहते है कि आतंकवाद और आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता...लेकिन सवाल कि जब किसी आतंकी को सजा देने की बात आति है तो उसका धर्म उसके सजा का कारण लगने लगता है...सियासी गिद्धों की फौज खड़ी हो जाति उस आतंकवादी के पक्ष में...ये सियासी गिद्ध चिल्ला-चिल्ला कर बोलने लगते है ये आतंकी नहीं ये बेगुनाह हैं..इसे माफ किया जाए ये मुसलमान है इसलिए इसे सजा दी जा रही है...देश में राजनेता ऐ भूलकर कि वो आतंकी है उसके मुसलमान मजहब को जोर शोर से उठाने लगते है चाहे अफजल गुरु हो या याकूब मेनन देश में कई ऐसे है जो मुसलमान मजहब के नाम पर इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे है...आतंकवाद के आकाओं को सियासी शह दे रहे है..जाकिर आतंकियों का गुरु है आज जाकिर को सजा देने की बजाए उसे सुरक्षा देने की कोशिश में कुछ सियासी समाज के लोग लगे है क्योंकि वो मुसलमान है...नेताओं को शर्म आनी चाहिए उस राजनीति पर जो देश और दुनिया में आतंक फैलाने वालों की नीतिओं का साथ दे रहे है...आतंकवाद और आतंकियों का कोई धर्म नहीं लेकिन आतंकवादियों ने जो इस्लाम के मुंह पर काला धब्बा लगाया है उसे इस्लामिक धर्म गुरु कैसे साफ करेंगे...कैसे बताएंगे कि इस्लाम का इमान शांति प्रिय हैं ना कि जाकिर के जहरिले बोल प्रिय...  
     जाकिर समाज में धर्म के आधार पर जहर घोल रहा है और मुसलमान युवाओं में आतंकवाद की बीज बो रहा है....मुसलमानों को मजहब के नाम पर आतंकवादी बना रहा है...तो क्या ये कहना गलत होगा कि जाकिर जैसे लोग इस्लाम और आतंकवाद को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे है..जाकिर बता रहा है कि इस्लाम है तो आतंकवाद है...तो कैसे मान लिया जाए कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है....आतंकवाद का धर्म होता है और उसका धर्म सिर्फ और सिर्फ इस्लाम होता है बांग्लादेश आतंकि हमले में ये बात साफ हो गया जब हिंदुस्तान की बेटी तरिषि की आतंकियों ने सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वो कुरान नहीं पढ़ पाई...वो हिंदू थी वो मुसलमान नहीं थी इसलिए उसे मार दिया गया...

बांग्लादेश के एक रिपोर्ट के अनुसार आतंकी हमले में आतंकियों ने सिर्फ उन्ही लोगों की हत्या कि जो गैर-मुसलमान थे...इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाने वाले और आतंकियों के नायक कहलाने वाले जाकिर नाइक को कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह शांतिदूत कहते है...राजनीति के दिग्गज दिग्विजय सिंह को शर्म आनी चाहिए ऐसी सियासत पर जो आतंकिदूत को शांतिदूत कहते है...दिग्विजय जाकिर का ऐसे बचाव कर रहे है जैसे जाकिर किसी जमाने में दिग्विजय सिंह का बिछड़ा हुआ भाई हो...मुंबई के पूर्व कमिश्नर और बीजेपी के सांसद सत्यपाल सिंह ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि 2008 में जाकिर के संदिग्ध गतिविधियों को लेकर सत्यपाल सिंह ने  UPA सरकार को रिपोर्ट भेजा था जिसकी अनदेखी मनमोहन सरकार ने की थी...सत्यपाल सिंह ने ये भी कहा कि जाकिर को विदेशों से धार्मिक तौर भड़काने और हेट कैंपेन चलाने के लिए भारी मात्रा में फंड मिलता तो सवाल उठता है कि जाकिर पर एक बड़े अधिकारी के रिपोर्ट को मनमोहन सिंह की सरकार से खारिज क्यों किया...क्या मनमोहन सिंह को मुसलमान वोट बैंक का डर था इसलिए वो जाकिर पर कार्रवाई नहीं कर पाए...क्या UPA ने जाकिर को लेकर देश की सुरक्षा से समझौता किया..

क्या UPA ने जाकिर के धर्म को देश से उपर रखा..क्या UPA ने जाकिर से साथ सहानुभूति इसलिए दिखाया क्योंकि उनका दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह जाकिर को आतंकिदूत नहीं बल्कि शांतिदूत मानते हैं...मनमोहन के सरकार के बाद दो साल से देश में मोदी की सरकार है मोदी के मंत्री और मोदी के मुख्यमंत्री जाकिर की पूरी जांच करा रहे है...मनमोहन सिंह ने तो जाकिर के साथ सहानुभूति दिखाई लेकिन मोदी के मंत्री दोषी होने पर जाकिर को सजा दिलाने की बात कह रहे है...लेकिन सही मायने में आतंकवाद के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए आतंकियों के साथ सहानुभूति नहीं उन्हे सजा मिलनी चाहिए।