बिहार के मोतिहारी जिले का IIT छात्र प्रिंस कुमार सिंह ने 23 जुलाई को इंदिरा
विहार में अपने छात्रावास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, प्रिंस जुलाई के
शुरुआत में ही कोटा आया था अपने बेहतर भविष्य के लिए अच्छी तालीम हासिल करने
भविष्य में एक अच्छा इंजीनियर बनने ताकी देश के निर्माण में एक बजबूत नींव दे सके,
लेकिन करियर सिटी अब सुसाइड सिटी में बदलता जा रहा है छात्रों की उम्मीद उनके शवों
में बदलती जा रही है। जुलाई महीने में ये दूसरी बार हुआ जब किसी छात्र की मौत हुई
हो, 5 जुलाई को मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्र निखिल कुमार का शव छात्रवास में
लटका हुआ मिला। मां-बाप के उम्मीद को पूरा करने में बच्चे अपने आप को खोते जा रहे
हैं और मां-बाप अपने बच्चों को, अपनी उम्मीदों का बोझ मां-बाप इस कदर बच्चों पर
डालते जा रहे है कि करियर के चक्कर में मां-बाप अपने बच्चों को खोते जा रहे है..
खोते जा रहे है अपने उन सपनों को जो मां-बाप अपने बच्चों के शिक्षा के सहारे पूरा
करना चाहते है पर हालात ए है कि ''हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले'' बच्चों को बड़ा बनाने की चाहत में मां-बाप अपनी
हर उस इच्छा को अपने-बेटे-बेटियों के माथे मढ़ देते है जिससे उन्हे समाज में बड़ा
होने का यहसास हो, जिसे उन्हे सोसायटी में स्पेशल स्टेटस मिलें, सम्मान सर माथे पर
हो, समाज में सम्मान के चलते बच्चों की जाने जा रही है, कई मांओं की ममता छीन
रही है, सवाल सिर्फ सम्मान का नहीं बल्कि सोच और समझदारी का भी है जो माता-पिता
अपने बच्चों के साथ दिखाएं। कोटा में छात्रों के खुदकुशी का मामला सिर्फ छात्रों
पर मां-बांप की उम्मीदों का बोझ ही बल्कि और भी कारण जिसको लेकर कोटा में छात्रों
के खुदकुशी की घटनाएं बढ़ती जा रही है।
अपने गांव-घर , मां-बांप से, दोस्तों से दूर
बच्चे कोटा आते है ताकी अच्छी तालीम हासिल कर सके लेकिन कोटा आकर छात्र कई गलत
संगतों में पड़ जाते है इनके खर्चे बढ़ जाते है ऐसे में बच्चे मां-बाप के उम्मीदों
और अपने गलत संगतों के भारी दबाब में आ जाते है कई बार परेशान होकर अपनी जिंदगी को
खत्म कर लेते है, अपनों के सपनों को खत्म कर लेते है मां-बाप के उम्मीदों को खत्म
कर लेते है।
केवल साल 2016 की बात करे
तो शुरु के 7 महीने में अह तक 12 छात्र-छात्राओं से खुदकुशी किया है , आंकडों से
साफ पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में कोटा आने वाले छात्रों के सुसाईड की
संख्या में वृद्धी हुई है
पिछले पांच सालों में 73
छात्र आत्महत्या कर चुके है
2012- 11
2013-13
214-14
2015-17
2016-12( जुलाई तक)
एक नीजि कोचिंग सेंटर की
छात्रा ने नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर जो बातें बताई उसको सुनकर शिक्षा
संस्थानों में हो रहे शोषण को लेकर हमे-आपको शर्म आएगी
''छात्रा ने बताया कि कई बार उसे कंप्रोमाइज करने के लिए कहा
जाता था नहीं करने पर क्लाश से बाहर करने की धमकी दी जाती थी, नंबर कम देने की
धमकी जाती थी''
कोटा से 900 किलों मीटर की
दूरी पर मिर्जापुर से आएं एक छात्र ने बताया की लागातार हो रहे छात्रों के सुसाइड
एक कारण एभी है कि स्टूडेंट्स पर मां-बांप की उम्मीदों का बहुत दबाब होता है कई
बार परिवार को उम्मीद को नहीं पूरा कर पाने के कारण भी छात्र सुसाइड करते है।