Wednesday 1 May 2013

अमेरिका के साथ बढ़ते सैन्य संबंध

                                                                                                                                                            
अमेरिकी गतिविधियों से यह स्पष्ट है कि वह भारत से सैन्य सम्बन्ध बढ़ाने का इच्छुक है। वहां के राजनीतिक और सैन्य मामलों की सहायक विदेश मंत्री एंड्रयू शपीरो ने 18 अप्रैल को वॉशिगटन फॉरेन प्रेस सेंटर में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि अमेरिका भारत के साथ एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों की बिक्री करने सहित अपने सैन्य सम्बन्धों के विस्तार के लिए उत्सुक है। हालांकि एफ-35 की बिक्री पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है लेकिन हमने रक्षा व्यापार सम्बन्धों में खासी प्रगति की है। 

यह कारोबार आठ अरब डॉलर का हो चुका है और अगले कुछ वर्षो में इसमें और वृद्धि होगी। शपीरो ने कहा कि उप रक्षा मंत्री एस्टन कार्टर भारत के साथ रक्षा व्यापार सम्बन्धी पहल को आगे बढ़ा रहे हैं और अमेरिका को लगता है कि प्रगति हो रही है। उम्मीद है कि आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा। छह साल के अन्तराल में भारत के साथ अमेरिका की पहली राजनीतिक-सैन्य वार्ता पिछले साल हुई थी जिसके लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई शपीरो ने की थी। पूर्व में बहुउद्देश्यीय भूमिका वाले लड़ाकू विमानों के करोड़ों डॉलर के सौदे के समय भारत द्वारा एफ-18 ए तथा एफ-16 लड़ाकू विमानों की खरीद के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद अब अमेरिका ने एफ-35 की बिक्री के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के सहायक रक्षा मंत्री एस्टन कार्टर ने पिछले वर्ष एक अगस्त को न्यूयार्क में एशिया सोसाइटी की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा था कि भारत अमेरिका सम्बन्ध व्यापकता व प्रभाव की दृष्टि से वैश्विक हैं और 21वीं सदी में व्यापक सुरक्षा तथा समृद्धि लाने के ओबामा प्रशासन के प्रयासों में भारत एक प्रमुख हिस्सा है। उन्होंने कहा था कि अमेरिका भारत को अपना रणनीतिक साझीदार मानता है और हमारे सुरक्षा हित साझा हैं। समुद्री सुरक्षा, हिन्द महासागर क्षेत्र, अफगानिस्तान व कई क्षेत्रीय मुद्दों पर हम व्यापक तौर पर अपने हित साझा करते हैं। 

हमारा मकसद अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग के लिए साझा नजरिया विकसित करने का है। इसीलिए मैं एक प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत गया था और वहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के साथ मैने रणनीतिक संवाद किया। इसके बाद 23 जुलाई 2012 को रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी से मुलाकात में भारत के स्वदेशी बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा कवच की तैयारी में सहयोग की बात हुई तथा रक्षा क्षेत्र में भारत से विदेशी निवेश बढ़ाने की अपील की गई। उन्होंने कहा कि हमारे सहयोग की यह सीमा होनी चाहिए कि हमारे रणनीतिक निर्णय स्वतन्त्र हों। हम अपने रक्षा संगठनों के बीच प्रगाढ़ सम्बन्ध बना रहे हैं। वायु सेना के लिए अमेरिका से खरीदे गए 10 बोइंग सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर में से पहला सी- 17 अपना आकार ले रहा है और हमारे आपसी सम्बन्ध भी मजबूत हो रहे हैं। सी-17 ग्लोबमास्टर की पहली उड़ान 1991 में हुई थी। इसके चालक दल में दो पायलट व एक लोड मास्टर होता है। इसकी लम्बाई 174 फुट तथा ऊंचाई 55.1 फुट है। इसके डैने 169.8 फुट ऊंचे हैं। 77,519 किलोग्राम पेलोड के साथ इसकी गति 0.76 मैक है। इसकी रेंज 2420 नॉटिकल मील है। यह चार इंजनों से लैस है। टी आकार के पिछले भाग वाले इस विमान के पिछले हिस्से में माल चढ़ाने के लिए रैंप बना होगा। सी-17 सात हजार फुट लम्बी हवाई पट्टी से भी उड़ान भर सकता है और आपात कालीन परिस्थितियों में मात्र 3000 फुट लम्बी हवाई पट्टी पर उतर सकता है। फिलहाल ऐसी विशेषताओं वाले विमान अमेरिका, कनाडा व ब्रिटेन जैसे 18 देशों के पास हैं। भारत ने पिछले साल जून माह में इस तरह के दस विमानों की खरीद का ऑर्डर दिया था। इस बड़ी खरीद वाले ऑर्डर के साथ भारत इन विमानों का सबसे बड़ा खरीददार बन गया है। इसके बाद सी-17 विमानों के निर्माण की शुरुआत जनवरी 2012 में हो गई थी। उम्मीद है कि इस साल जून माह तक पहला सी- 17 तैयार हो जाएगा। शेष नौ विमानों के सन 2014 के अन्त तक प्राप्त हो जाने की उम्मीद है। इन विमानों के आ जाने से पुराने हो चुके रूस निर्मित भारतीय मालवाहक विमानों के बेड़े को आधुनिक रूप दिया जा सकेगा। 

भारत में इन विमानों का अड्डा राजधानी दिल्ली के निकट हिंडन में बनाया जाएगा। इन विमानों का उपयोग राहत कायरें और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मदद पहुंचाने के लिए किया जाएगा। भारतीय नौ सेना के लिए अमेरिका निर्मित सामरिक मल्टी मिशन विमान पी-8 आई अपने अंतिम उड़ान परीक्षण की तैयारी कर रहा है। इसका प्रथम परीक्षण पिछले साल की शुरुआत में किया गया था। यह भारतीय नौ सेना को सामरिक रूप से मजबूत करेगा। इसमें समुद्र में लम्बी दूरी तक टोह लेने की और पनडुब्बीरोधी युद्ध क्षमता है। इस तरह देश की 7500 किलोमीटर लम्बी तटीय रेखा की निगहबानी मजबूत होगी। पी-8 आई विमान को घातक हार्पून मिसाइलों से भी लैस किया जाएगा। अमेरिकी नौ सेना के लिए पिछले कुछ सालों से पी-8 ए भरोसेमंद विमान रहा है। इसी की तर्ज पर भारत को दिए जाने वाले विमान का नाम पी-8 आई रखा गया है। भारत इस विमान का प्रथम ग्राहक है। पी-8 आई के तीन विमानों की पहली खेप इस साल के अन्त तक भारत को मिल जाने की उम्मीद है। अमेरिका से सी-130 जे परिवहन विमानों का सौदा किया गया था। भारतीय वायुसेना को छह विमान तय समय सीमा से पहले ही प्राप्त हो गए थे। वायुसेना ने ऐसे छह और परिवहन विमान खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अमेरिकी कम्पनी लॉकहीड सी-130 जे विमानों के सम्बन्ध में भारतीय वायुसेना की प्रतिक्रिया से अत्यन्त उत्साहित है। इसीलिए यह कम्पनी भारतीय थल सेना तथा नौ सेना को भी ये परिवहन विमान बेचने की संभावनाएं तलाश रही है। लॉकहीड मार्टिन कम्पनी के व्यवसाय विकास उपाध्यक्ष जार्ज स्टैंडिज ने 2 अगस्त 2012 को दिल्ली में कहा था कि हमारा काम है कि हम भारतीय सैन्य बलों की भविष्य की जरूरतों को समझें। ये विमान बड़े काम के हैं और भारत की विभिन्न प्रकार की सैन्य सेवाओं के साथ-साथ राहत एवं बचाव तथा आपदा प्रबन्धन कायरें के लिए भी उपयोगी हैं। उनकी कम्पनी भारतीय बाजार में कदम रख रही है तो एक दीर्घकालीन सोच के साथ आ रही है। बताया गया है कि इस कम्पनी ने टाटा समूह के साथ एक संयुक्त उद्यम समझौता किया है जिसके तहत दो कम्पनियां मिलकर हैदराबाद में एक विनिर्माण इकाई स्थापित करेंगी जहां सी-130 जे परिवहन विमानों के कुछ 

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