Wednesday 1 May 2013

कोयले में 'हाथ' काला                                                   

सरकारी खजाने को करोड़ो का चुना                                                


 आज देश में   भ्रष्टाचारों   का दौर  है जारी  हैं कभी CWG ,2G और अब कोलगेट घोटाला ने देश के राजनीति  में भूचाल पैदा कर दिया हैं अब तक कोलगेट को हम दातों की सफाई करने वाले पेस्ट के रुप में ही जानते थे लेकिन ताज़ा मामला है 1,86,000 हज़ार करोड़ का कोयला घोटाला कोलगेट का प्रयाव बन चूका हैं

  इस घोटाले के बाद दुनिया भर के टीवी और अख़बारों में इसे कोलगेट घोटाले के नाम से जाना  जाता हैं पत्रकार घोटालो  के नाम के आगे 'गेट' लगाकार इससे इसकी गंभीरता बताने की कोशिश करते हैं 1972 में अमेरिका में हुए वाटरगेट  घोटाले में वहा के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को अपनी कुर्शी  गवानी पड़ी थी लेकिन भारत में इस मामले में किसी को अपनी कुर्शी नहीं छोडनी पड़ी हैं 2006 से 2009 के दौरान हुए कोयला खदान आवंटन में पाया गया की नीलामी में निजी कंपनियों के फ़ायदे के लिए नीलामी में पारदर्शिता नहीं बरती गई और पूरी क़ानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ जिससे सरकारी खजाने को भरी भरकम नुकसान और निजी कंपनियों को काफी फ़ायदा हुआ

ये वो समय है जिस समय कोयला मंत्रालय देश के प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह के पास था जिसकी वजह से प्रधान मंत्री भी सवालों के घेरे में हैं  साल 2010 में CAG की रिपोर्ट में पाया गया की 2006 से 2009 के दौरान हुए कोल खदान आवंटन में निजी कंपनियों का काफ़ी ध्यान रखा गया इस दौरान जिन निजी कंपनियों ने कोल ब्लाक खरीदा उनमे से नवभारत के एक व्यक्ति ने  अपने 5000 कंपनी शेयरों  को बढ़े दामों में 50  करोड़ में बेचा जबकि 85 करोड़ के कम्पनी के शेयरों को सिर्फ़ 12 करोड़ में बेचा कोल इंडिया लिमिटेड विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक है एवं भारत में कोयला बेचने की एक मात्र एजेंसी हैं सन  1973 में सरकार ने कोयला खनन  को अपने हाथों में ले लिया था लेकिन 1976 में लोहे एवं  इस्पात के निजी कम्पनियों को अंतरिम प्रयोग के लिए कोयला ब्लाक दी जाने लगी साल 2006 से 2009 के दौरान निजी कम्पनियों को 75 और सरकारी कम्पनियों 70 खदाने आवंटित की गई अक्टूबर 2008 में कोयला आवंटन  को लेकर एक विधेयक पेश किया गया जो कि  सितम्बर 2010 में क़ानून  बन गया साल 2012 में CAG ने कहा था कि आवंटन में कई स्तरों  पर पारदर्शिता  लाने की प्रक्रिया में देरी हुई जिससे निजी कम्पनियों को 1,85591 करोड़ का वित्तय  लाभ हुआ कोयला आवंटन मौज़ूदा समय में भारतीय राजनीति  का सबसे चर्चित मुद्दा रहा हैं

जिसकी वजह से कई बार संसद को ठप  करना पड़ा इतना ही नहीं केंद्र की मौज़ूदा कांग्रेस सरकार ने सवैधानिक संस्था कैग को ही विवादित बना दिया कहा कैग अपने आकड़ो को सुधारे दुनिया भर में कोयला तेल प्राकृतिक गैस खनिज प्रदार्थ ज़मीं के निचे प्राकृतिक संसाधन के रूप में ओये जाते हैं भारत में ओड़िसा छत्तीसगढ़ झारखण्ड जैसे राज्यों में कोयला अधिक मात्रा  में पाया जाता हैं  अगर अन्य  देशों की बात की करें तो चीन  हमसे पाच गुना ज़्यादा कोयले का उत्पादन करता हैं जिसकी बराबरी करने की लिए हमें मैन  मनी  की बड़े पैमाने पर आवश्कता हैं 







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