Sunday 27 March 2016

पहाड़ में ‘प्रेसिडेंट’ रुल

कई दिनों के सियासी उठापटक के बाद आज पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में प्रेसिडेंट रुल मतलब राष्ट्रपति शासन लागू हो गया राज्य में अगली सरकार बनने तक पहाड़ में राष्ट्रपति का राज होगा नाकि किसी राजनीतिक पार्टी का...राज्य में अगले 6 महीने में किसी पार्टी को बहुमत साबित करना होगा या फिर चुनाव होगा..उत्तराखंड में अगले साल 2017 में विधानसभा चुनाव होने है..राज्य के सियासी संकट को लेकर कल प्रधानमंत्री ने आनन-फानन में कैबिनेट की बैठक बुलाई थी माना जा रहा है कि इस बैठक में सरकार ने पहाड़ में प्रेसिडेंट रुल लगाने के लिए सिफारिश किया बैठक के 24 घंटे के अंदर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया...सरकार के इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी और 16 साल वाले इस राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन लग गया...प्रेसिडेंट रुल लागू होने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी और पीएम पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि लोकतंत्र में बीजेपी को भरोसा नहीं है, बीजेपी को लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है...पीएम ने लोकतंत्र की हत्या की हैं...28 मार्च को हरिश रावत की कांग्रेस सरकार को सदन में बहुमत साबित करना था उत्तराखंड विधानसभा के 71 सीटों में 36 कांग्रेस के विधायक हैं जिसमें 9 विधायक कांग्रेस का हाथ छोड़कर बाग़ी हो चुके है ऐसे में कांग्रेस के पास सिर्फ 27 विधायकों का समर्थन है जबकि सरकार बनाने के लिए 36 विधायक जरुरी हैं...बाग़ी विधायक जिन्हे रावत की सरकार राज्य हितैषी नहीं लगती है रावत के मंत्रियों को लगता है कि हरिश रावत की सरकार में भरपुर भ्रष्टचार है जिसको हटाना पहाड़ की पॉलिटिक्स के लिए बेहद जरुरी है...हरिश रावत से पहले इस पहाड़ी प्रदेश के सीएम रह चुके विजय बहुगुणा को रावत की सरकार से भ्रष्टाचार की बू आती है क्योंकि विजय बहुगुणा को हटाकर ही हरिश रावत उत्तराखंड के सीएम बनें थें तो विजय बहुगुणा को भी हरिश रावत से अपनी राजनीतिक हिसाब बराबर करना था...उत्तराखंड के सियासी संकट पर बीजेपी ने भी अपनी राजनीतिक चाल को और तेज कर दिया और इस चाल को तेज करने में हरिश रावत के उस स्टिंग ने तेल का काम किया जिसमें हरिश रावत अपनी सरकार को सही सलामत रखने के लिए अपने सर पर ताज बनाए रखने के लिए बाग़ी विधायकों को खरिदने का काम कर रहे हैं उन विधायकों की बोली लगा रहे हैं जो रावत को छोड़कर राज्य में बीजेपी के साथ जाना चाहते है ताकि उनकी सरकार बची रही हरित प्रदेश में हरिश रावत का राज कायम रहे लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार ने पहाड़ में प्रेसिडेंट रुल लागू करा दिया...इससे पहले अरुणाचाल प्रदेश में जहां बीजेपी ने पहले राष्ट्रपति शासन लगाया और बाद में अपनी सरकार बनाने में सफल रहीं लेकिन सवाल है कि क्या अरुणाचल प्रदेश के तर्ज पर ही उत्तराखंड में बीजेपी अपनी सरकार बनाना चाहती है क्या मोदी और अमित शाह वाली बीजेपी राष्ट्रपति से सहारे ही किसी राज्य में राज करना चाहती है? क्या बीजेपी चुनाव से दूर रहकर सत्ता के करीब जाना चाहती है? क्या बीजेपी ऐसी ही कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रही है? तो क्या बीजेपी का ऐ सपना भारतीय लोकतंत्र की सेहद के लिए ठीक है? क्या बीजेपी पर कांग्रेस का आरोप सही नहीं कि बीजेपी को लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है....?
पीएम नरेंद्र मोदी
राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने और अपनी हाथ से सत्ता जाने के बाद हरिश रावत अपने दर्द को दबा नहीं पाएं और मीडिया के सामने अपने सियासी दर्द को सरेआम कर दिया..सरेआम कर दिया बीजेपी और पीएम के उस छलावे को जिसने हरिश रावत को सत्ताहीन बना दिया... जिसने हरिश रावत को सत्ता से बेदखल कर दिया... हरिश रावत ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने जनता के भरोसा का खुन किया  है, मोदी जी ने हमारे सपनों का खुन किया है राज्य में राष्ट्रपति शासन के लिए पीएम ने राज्यपाल को धमकाया...उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का कांग्रेस विरोध करेगी।   
हरिश रावत-सीएम-उत्तराखंड
उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने केंद्र के राष्ट्रपति शासन लगाने के इस फैसले का स्वागत किया बीजेपी को बहुगुणा का साथ मिला और संभव होगा कि सरकार बनाने में विजय बहुगुणा बीजेपी का साथ देंगे..बहुगुणा ने रावत सरकार पर संगीन आरोप लगाते हुए बोले की राज्य में अवैध खनन जारी है राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है ऐसे में राष्ट्रपति शासन लगना जरुरी था...बहुगुणा ने आर्टिकल 356 का हवाले देते बोले कि जिस राज्य में सीएम असवैधानिक तरीके से अपनी सरकार बचाने के लिए हर हथकंडे अपना रहा हो जिस राज्य में विधानसभा अध्यक्ष अपने अधिकारों को बेजा प्रयोग कर रहा हो उस राज्य राष्ट्रपति शासन लगना जरुरी था..लेकिन बहुगुणा को ऐभी उम्मीद है कि राज्य में सरकार जल्द ही बनेगी चाहे बहुगुणा सरकार बनाने के लिए बीजेपी का साथ दें। फिलहाल उत्तराखंड विधानसभा निलंबित है भंग नहीं।
विजय बहुगुणा-पूर्व सीएम-उत्तराखंड

      

Wednesday 2 March 2016

'साहब' को बेल

 बिहार में सीवान के चर्चित दोहरे अपहरणकांड और तेजाब कांड में आजीवन कैद की सजा काट रहे है जेल में बंद...बाहुबली आरजेडी के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को आज पटना हाईकोर्ट ने जमानत दे दी...जस्टिस अंजना प्रकाश की बेंच ने मामले की सुनवाई करने के बाद पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को जमनात देने का फैसला सुनाया
पिछले साल 11 दिसंबर 2015 को स्पेशल कोर्ट के एडिशनल जज ने शहाबुद्दीन को हत्या, अपहरण और दफा 120बी के तहत पूर्व सांसद को उम्रकैंद की सजा सुनाया गया थी..जब शाहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा हुई की व्यापारी चंदाबाबू को लगा कि हमारे बेटों के हत्यारें को कानून ने सजा दी, मेरे बेटों को इंसाफ मिला..नीतीश के बिहार के कानून का राज है लेकिन आज जब पटना हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को जमानत देने का फैसला सुनाया तो पीड़ित परिवार टूट गया.. 


चांदबाबू-हत्या कर दी गई बेटों के बांप
छोटे से एक कमरे अपनी जिंदगी काट रहे है दो बेटों के हत्या हो जाने का दर्द झेल रहे बुढ़े मां-बाप के लिए समझ पाने बड़ा मुश्किल था जब उन्हे इस बात की खबर मिली की उनके बेटे के हत्यारे शहाबुद्दीन को पटना उच्च न्यायालय ने बेल दे दिया है..न्यायालय की नजरों में शहाबुद्दीन दोषमुक्त हो गया है...पूर्व सांसद के बेल को मृतक के पिता ने गलत करार दिया है दो बेटों के मौत का दर्द झेल रहे बांप ने कहा कि शहाबुद्दीन को बेल नहीं बल्कि फांसी होनी चाहिए थी, उनके बेटों को मौत की निंद सुलाने वाले को मौत की सजा मिलनी चाहिए थी..बांप का दर्द समाज को लेकर भी था इस बेल से समाज को गलत संदेश जाएगा बुढ़े बांप को गरीब होने का भी दर्द है की उसके पास पैसे नहीं वो कैसे क्या करेगा इस बुढ़े बांप को कुछ समझ नहीं आ रहा है, बुढ़ी मां को भी इस बात का दर्द है जो निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है उसे कैसे बदल दिया गया मेरे तीन बेटों के हत्यारों को केसै छोड़ दिया गया है..
हत्या कर दी गई लड़को की मां
पूर्व सांसद शहाबुद्दीन ने 12 साल पहले 16 अगस्त 2004  में एक व्यापारी चंदा बाबू के के तीन बेटों को अपहरण कर लिया था बाद में दो बेटों सतीश कुमार, गिरीश कुमार का शव तेजाब से जला पाया गया था जबकी चांद बाबू का तीसरा बेटा राजीव रौशन वहां से भागकर अपनी जान को बचाने में कामयाब रहा था...दो युवकों के हत्या का गवाह और चांद बाबू का तीसरा बेटे राजीव रौशन की हत्या 2014 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
शहाबुद्दाीन-फाईल फोटो



एनकाउंटर 'चक्रव्यूह' में फंसे चिदांबरम

आतंकी इशरत जहां एकाउंटर मामले में पूर्व गृह मंत्री पी चिदांबरम पर अधिकारियों पर दबाब बनाकर हलफनामा बदलवाने का मामला सामने आया है...एनकाउंटर 'चक्रव्यूह' में पी चिदांबरम फंसते नजर आ रहे है कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है...देश के पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने दावा किया  हेै कि यूपीए सरकार में इशरत जहां को लेकर हलफनामा में बदलाव सरकार के दबाब में किया गया था..  पिल्लई ने कहा कि इशरत मामले में हलफनामा चिदांबरम खुद बोलकर लिखवा रहे थे इसलिए किसी अधिकारी ने देश के पूर्व गृहमंत्री का विरोध नहीं किया. तो क्या चिदांबरम अधिकारियों को वैसे ही लिखवा रहे थे, जैसे कोई मास्टर पहली क्लास के बच्चे को बोल-बोल कर लिखता वाता है कि बच्चा लिख 'इ' से 'इमली'  होता है और 'ब' से 'बेल' होता है... मास्टर का दबाव बच्चों पर उनके उज्जल भविष्य से लिए होता है. लेकिन चिदांबरम का अधिकारियों पर दबाव देश को बर्बाद करने वाले आतंकियों के लिए था..चिदांबरम लिखवा रहे थे और अधिकारी लिख रहे थे 'इ' से 'इशरत' ब से 'बेगुनाह' है....

पी-चिदांबरम-फाईल


 पिल्लई ने दावा  कि एनकाउंटर को लेकर जो हलफनामा अधिकारियों ने बनाया था उसमें इसबात का जिक्र था कि इशरत जहां के संबंध आतंकियों के साथ थे और इशरत जहां लश्कर-ए-तयैबा की फिदाय़ीन हमलवार थी जो गुजरात के तत्कालीन सीएम और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के साजिश में शामिल थी...गृह विभाग के ही एक अधिकारी आरवीएस मणी ने नया खुलासा करते हुए कहा कि मनमोहन सरकार के वक्त पर उन पर इस बात का दबाव था कि हलफनामें में इशरत को आतंकी न बताया जाए... इस बात के लिए मणी को सिगरेट से जलाया गया , सीबीआई उनका पीछा करती थी..मणी को मनमोहन की सरकार अपने मुताबिक चलाने चाहती थी, मनमोहन के मंत्री पी चिदांबरम अधिकारियों को परेशान करते थे, उनको सिगरेट से जलवाते थे अपने मनमाफिक हलफनामा बनवाना चाहते थे ....सवाल उठता है की गृह विभाग के एक बड़े अधिकारी को जलाने वाले अधिकारियों का आका कौन है, कौन उसे मणि को जलाने के लिए आदेश देता था..मणी के आरोपों से देश की सियासत में कांग्रेस की कलई खुल गई है कि कैसे कांग्रेस ने सियासी फायदे के लिए एक आतंकी को आतंकी नहीं बताने के लिए किस तरीके से गृह विभाग के अधिकारियों के भयभीत किया... इशरत जहां मुठभेड़ को लेकर यूपीए सरकार ने एक नहीं दो-दो हलफनामा पेश किया था 6 अगस्त 2009 को पहले हलफनामें में इशरत को आतंकी बताया गया था जबकि 30 सितंबर 2009 दूसरे हलफनामें में यूपीए सरकार ने अपने  पहले ही हलफनामें को गलत बताते हुए इशरत को आंतकी बताने से ही इनकार कर दिया था..सवाल उठता है क्यों सरकार के अलग-अलग दो हलफनामों में इशरत को आतंकी बताने से लेकर इशरत को आतंकी नहीं बताने तक का जिक्र किया गया..आखिर सरकार ने देश को क्यों नहीं बताया कि इशरत आतंकी थी आखिर एक आतंकी पर मनमोहन के मंत्री क्यो मोहित थे ...इशरत  आतंकी थी उसे पी चिदांबरम क्यो बचाने चाहते थे ...अधिकारियों के खुलासे के बाद पी चिदांबरम ने बताया कि देश के गृह मंत्री रहते हुए इशरत को आतंकी न बताने वाला हलफनामा सरकार ने इसलिए बनाया कि वो कानून के सामने सरकार का सही पक्ष रख सके...वो बता सके कि इशरत आतंकी नही थी...चिदांबरम ने पिल्लई की नीयत पर ही सवाल उठा दिया,  2004 में गुजरात पुलिस ने  4 आतंकियों के साथ इशरत जहां का अहमदाबाद में एनकाउंटर किया था.....पुलिस का दावा था इशरत के लश्कर-ए-ताइबा से संबंध थे जो तत्तकालीन गुजरात के सीएम और देश के प्रधानमंत्री की हत्या करने आई थी यूपीए सरकार के वक्त मुबई हमले का मुख्य आरोपी डेविड हेडली ने 2010 में एनआईए से कहा  की इशरत लश्कर-ए-ताइबा की आतंकी है..इस पर कांग्रेस की  अलग राय है और  आज भी कांग्रेस इशरत एनकाउंटर को फर्जी एनकाउंटर बता रही है... 2004 में इस एनकाउंटर को कांग्रेज ने फर्जी एनकाउंटर बताया था और आरोप लगाया था कि मोदी के इशारे पर इशरत को आतंकी बताकर मरवाया गया है कांग्रेस ने इशरत के सहारे सियासी कमाई भी खुब किया ....मोदी को बदनाम करने की कोशिश कांग्रेस ने खुब की लेकिन कांग्रेस आज उसी बदनामी की चौखट पर खड़ी है जिस चौखट पर 12 साल पहले कांग्रेस ने मोदी को खड़ा किया था..जिस इशरत को कांग्रेस ने मोदी के खिलाफ सियासी ढाल बनाया था, आज वही इशरत बीजेपी और मोदी के लिए कांग्रेस के खिलाफ सियासी बाण बन चुकी है जिसकी चोट से कांग्रेस फिलहाल बचती नजर नहीं आ रही है...



 12 साल बाद इशरत जहां एनकाउंटर का सियासी जहां एक बार फिर गरम हो गया..बीजेपी संसद से सड़क तक हल्ला बोल के मूड में है इस मुद्दे पर बीजेपी कांग्रेस का सियासी एनकाउंटर की तैयारी में है... इशरत जहां के एनकाउंटर को लेकर सियासी जहां का पारा खुब चढ़ा इस मसले को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी का सियासी एनकाउंटर भी खुब किया आतंकी इशरत को कई पार्टियों ने अपनी बेटी बताया तो किसी ने इशरत को शहीद बताया, लेकिन सियासत के लिए आतंक को संरक्षण देना देश के सुरक्षा के साथ बाड़ा घात है....गृह विभाग के अधिकारियों ने चिदांबरम की पोल खोल दी है तो क्या कांग्रेस सियासी फायदे के लिए मोदी को दोषी साबित करने के लिए बीजेपी को मुस्लिम विरोधी और अपने को मुस्लिम हितैषी बताने कि लिए देश के सुरक्षा के साथ समझौता भी कर सकती है,  12 साल पहले इशरत का एनकाउंटर हुआ था तो क्या अब अधिकारियों के खुलासे के बाद देश के पूर्व गृह मंत्री पी चिदांबरम का  सियासी एनकाउंटर होगा।