कई दिनों के सियासी उठापटक
के बाद आज पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में प्रेसिडेंट रुल मतलब राष्ट्रपति शासन लागू
हो गया राज्य में अगली सरकार बनने तक पहाड़ में राष्ट्रपति का राज होगा नाकि किसी
राजनीतिक पार्टी का...राज्य में अगले 6 महीने में किसी पार्टी को बहुमत साबित करना
होगा या फिर चुनाव होगा..उत्तराखंड में अगले साल 2017 में विधानसभा चुनाव होने
है..राज्य के सियासी संकट को लेकर कल प्रधानमंत्री ने आनन-फानन में कैबिनेट की
बैठक बुलाई थी माना जा रहा है कि इस बैठक में सरकार ने पहाड़ में प्रेसिडेंट रुल
लगाने के लिए सिफारिश किया बैठक के 24 घंटे के अंदर राज्य में राष्ट्रपति शासन
लागू हो गया...सरकार के इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी और 16 साल
वाले इस राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन लग गया...प्रेसिडेंट रुल लागू होने के
बाद कांग्रेस ने बीजेपी और पीएम पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि लोकतंत्र में
बीजेपी को भरोसा नहीं है, बीजेपी को लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है...पीएम ने
लोकतंत्र की हत्या की हैं...28 मार्च को हरिश रावत की कांग्रेस सरकार को सदन में
बहुमत साबित करना था उत्तराखंड विधानसभा के 71 सीटों में 36 कांग्रेस के विधायक हैं
जिसमें 9 विधायक कांग्रेस का हाथ छोड़कर बाग़ी हो चुके है ऐसे में कांग्रेस के पास
सिर्फ 27 विधायकों का समर्थन है जबकि सरकार बनाने के लिए 36 विधायक जरुरी हैं...बाग़ी
विधायक जिन्हे रावत की सरकार राज्य हितैषी नहीं लगती है रावत के मंत्रियों को लगता
है कि हरिश रावत की सरकार में भरपुर भ्रष्टचार है जिसको हटाना पहाड़ की पॉलिटिक्स
के लिए बेहद जरुरी है...हरिश रावत से पहले इस पहाड़ी प्रदेश के सीएम रह चुके विजय
बहुगुणा को रावत की सरकार से भ्रष्टाचार की बू आती है क्योंकि विजय बहुगुणा को
हटाकर ही हरिश रावत उत्तराखंड के सीएम बनें थें तो विजय बहुगुणा को भी हरिश रावत
से अपनी राजनीतिक हिसाब बराबर करना था...उत्तराखंड के सियासी संकट पर बीजेपी ने भी
अपनी राजनीतिक चाल को और तेज कर दिया और इस चाल को तेज करने में हरिश रावत के उस
स्टिंग ने तेल का काम किया जिसमें हरिश रावत अपनी सरकार को सही सलामत रखने के लिए
अपने सर पर ताज बनाए रखने के लिए बाग़ी विधायकों को खरिदने का काम कर रहे हैं उन
विधायकों की बोली लगा रहे हैं जो रावत को छोड़कर राज्य में बीजेपी के साथ जाना
चाहते है ताकि उनकी सरकार बची रही हरित प्रदेश में हरिश रावत का राज कायम रहे
लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार ने पहाड़ में प्रेसिडेंट रुल लागू करा दिया...इससे
पहले अरुणाचाल प्रदेश में जहां बीजेपी ने पहले राष्ट्रपति शासन लगाया और बाद में
अपनी सरकार बनाने में सफल रहीं लेकिन सवाल है कि क्या अरुणाचल प्रदेश के तर्ज पर
ही उत्तराखंड में बीजेपी अपनी सरकार बनाना चाहती है क्या मोदी और अमित शाह वाली
बीजेपी राष्ट्रपति से सहारे ही किसी राज्य में राज करना चाहती है? क्या बीजेपी चुनाव से दूर
रहकर सत्ता के करीब जाना चाहती है? क्या बीजेपी ऐसी ही कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रही
है? तो क्या बीजेपी का ऐ सपना भारतीय लोकतंत्र की सेहद के लिए ठीक है? क्या बीजेपी पर कांग्रेस
का आरोप सही नहीं कि बीजेपी को लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है....?
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पीएम नरेंद्र मोदी
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राज्य में राष्ट्रपति शासन
लागू होने और अपनी हाथ से सत्ता जाने के बाद हरिश रावत अपने दर्द को दबा नहीं पाएं
और मीडिया के सामने अपने सियासी दर्द को सरेआम कर दिया..सरेआम कर दिया बीजेपी और
पीएम के उस छलावे को जिसने हरिश रावत को सत्ताहीन बना दिया... जिसने हरिश रावत को
सत्ता से बेदखल कर दिया... हरिश रावत ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि देश के
प्रधानमंत्री ने जनता के भरोसा का खुन किया
है, मोदी जी ने हमारे सपनों का खुन किया है राज्य में राष्ट्रपति शासन के
लिए पीएम ने राज्यपाल को धमकाया...उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का कांग्रेस
विरोध करेगी।
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हरिश रावत-सीएम-उत्तराखंड
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उत्तराखंड के पूर्व सीएम
विजय बहुगुणा ने केंद्र के राष्ट्रपति शासन लगाने के इस फैसले का स्वागत किया
बीजेपी को बहुगुणा का साथ मिला और संभव होगा कि सरकार बनाने में विजय बहुगुणा
बीजेपी का साथ देंगे..बहुगुणा ने रावत सरकार पर संगीन आरोप लगाते हुए बोले की
राज्य में अवैध खनन जारी है राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है ऐसे में राष्ट्रपति
शासन लगना जरुरी था...बहुगुणा ने आर्टिकल 356 का हवाले देते बोले कि जिस राज्य में
सीएम असवैधानिक तरीके से अपनी सरकार बचाने के लिए हर हथकंडे अपना रहा हो जिस राज्य
में विधानसभा अध्यक्ष अपने अधिकारों को बेजा प्रयोग कर रहा हो उस राज्य राष्ट्रपति
शासन लगना जरुरी था..लेकिन बहुगुणा को ऐभी उम्मीद है कि राज्य में सरकार जल्द ही
बनेगी चाहे बहुगुणा सरकार बनाने के लिए बीजेपी का साथ दें। फिलहाल उत्तराखंड
विधानसभा निलंबित है भंग नहीं।
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विजय बहुगुणा-पूर्व सीएम-उत्तराखंड |
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