Friday 11 December 2015

बाहुबली शहाबुद्दीन को सजा

बिहार के सीवान में चर्चित तेजाब हत्या कांड में आरजेडी के पूर्व सांसद और बिहार के सियासत में बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को तीन युवकों के हत्या के आरोप में आज फैसला आया फैसले में कोर्ट  ने शहाबुद्दीन को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है ये सजा सहाबुद्दीन को स्पेशल कोर्ट की ओर सुनाया गया है... स्पेशल कोर्ट के अडिशनल जिला जज अजय कुमार ने शहाबुद्दीन समेत 3 लोगों को हत्या,अपहरण, सबूतों को नष्ट करने और दफा 120B के तहत ये सजा सुनाई है..शहाबुद्दीन को सभी मामलों में सजा एक साथ चलेगी...एक दशक पहले बिहार के सीवान में 16 अगस्त 2004 को दुकान से एक व्यापारी चंदा बाबू के तीन बेटों को सहाबुद्दीन के तीन लोगों ने अपहरण कर लिया था बाद में दो बेटों सतीश कुमार, गिरीश कुमार का शव तेजाब से जला पाया गया था जबकी चांद बाबू का तीसरा बेटा राजीव रौशन वहां से भागकर अपनी जान को बचाने में कामयाब रहा..पीड़ित की मां कलावती देवी ने अपने बेटों के हत्या के मामले में शहाबुद्दीन और उनके तीन वफादारों पर हत्या का मामला दर्ज कराई थी...

फाईल-कोर्ट

इस पूरे मामले में जिस दिन और जिस समय दो युवकों की हत्या हुई उस दिन बाहुबली पूर्व आरजेडी सांसद सीवान के जेल में बंद थे ऐसा जेल प्रशासन का दावा है लेकिन पीड़ित परिवार और मृतकों के पिता की माने तो जब उनके बेटों को बेरहमी से तेजाब से नहलाकर  मारा जा रहा था उस वक्त आरजेडी सांसद और दो युवकों का हत्यारा सांसद शहाबुद्दीन वही मौजूद थे और चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के बेटों की मौत का तमासा देख रहा थे कि कोई इंसान तेजाब से जलकर कैसे तिलतिला कर मरता है.. लेकिन इस फैसले के बाद साफ हो गया कि शहाबुद्दीन के पाप के साथ प्रशासन भी था और सांसद साहब को संरक्षण देने की पूरी जुगत में था... 11 साल बाद 9 दिसंबर 2015 को जब सीवान के चर्चित तेजाब कांड का फैसला आया तो जेल में बंद शहाबुद्दीन के जेहन में 11 साल पहले तेजाब कांड की शर्मनाक यादे ताजा हो गई... बाहुबल के नाम पर अपनी सियासत को जिंदा रखना वाले शहाबुद्दीन को करारा झटका लगा शहाबुद्दीन को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए तय किया कि 11 दिसंबर 2015 को शहाबुद्दीन के सजा का एलान होगा...जिला न्यायलय ने 11 दिसंबर को शहाबुद्दीन को उम्र कैद की सजा सुना दी ...कभी संसद में बैठकर देश के कानून बनाने और कानून तोड़ने वालों पर चर्चा करने वाले पूर्व सांसद शहाबुद्दीन अब खुली हवा में सांस नहीं ले पाएंगे...शहाबुद्दीन को उम्र कैद की सजा हो गई, लोगों को न्याय से दूर रखने वाले सांसद के साथ न्यायपालिका ने न्याय कर दिया है दो युवकों की हत्या के आरोप में दोषी करार दिया है...दो युवकों के हत्या का गवाह और चांद बाबू का तीसरा बेटा राजीव रौशन की हत्या 2014 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

फाईल-शहाबुद्दीन

11साल बाद जब जिला जज ने तेजाब कांड में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई तो पीड़ित परिवार का न्यायपालिका में भरोसा बढ़ गया...फैसले के बाद  मृतक के पिता चंदा बाबू ने कहा कि हम इस फैसला का सम्मान करते है लेकिन ये फैसला भी कम है क्योंकि हमे अभी भी शहाबुद्दीन का भय है..जिला न्यायालय के इस फैसले के बाद शहाबुद्दीन की पत्नी और आरजेडी के टिकट पर कई बार चुनाव लड़ चुकी हिना शहाब ने कहा कि मैं इस फैसले को मैं उच्च न्यायालय में चुनौति दूंगी शहाबुद्दीन की पत्नी शहाब को जिला जज का न्याय मंजूर नहीं अपने पति को न्याय दिलाने के सहाब कई न्यायालयों का दरवाजा खटखटाएंगी जिससे शायद को कोई चमत्कार हो जाए और शहाब के पति शहाबुद्दीन की सजा शायद कम हो जाए...
फाईल-हीना साहाब (शहाबुद्दीन की पत्नी)


   

Saturday 14 November 2015

पेरिस आतंकी हमले में 160 की मौत


फ्रांस की राजधानी पेरिस में अबतक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है पेरिस के 6 जगहों पर एक साथ आतंकी हमला हुआ...देखते-देखते पूरा फ्रांस दहल गया और पेरिस में दहशत फैल गया दुनिया के लिए तो 14 नवंबर का सबेरा रौशनी लाया लेकिन यूरोप के इस देश फ्रांस में अंधेरा छा गया...आतंक के परछाई से पेरिस में 14 नवंबर का दिन काला दिन साबित हुआ...दुनिया के लिए फ्राइडे पेरिस के लिए ब्लैक फ्राइडे बन गया...इस क्रूर आतंकी हमले में 160 लोगों की मौत हो गई है..160 परिवारों में मातम में छा गया है कई बच्चे आनाथ हो गए है कई औरते बेरंग हो गई है... लोग सड़को पर तड़पते नजर आए...सैकड़ो लोग अस्पताल में भर्ती हो गए चमचमाते इस शहर में अचानक अंधेरा छा गया है पेरिस की गलिया खून से लाल हो गई है और फ्रांस की फिजा गमगीन हो गई पूरी दुनिया में बेचैनी छा गई कि फ्रांस में आतंकी हमला हुआ है...

इस बर्बर आतंकी हमले की जिम्मेदारी भी उस ISIS ने ली है जिसने पूरी दुनिया में आतंक फैला रखा है आय दिन ISIS का क्रूर चेहरा हम देखते है आतंक की फैक्ट्री  ISIS ने इस बार फ्रांस की फिजा को गमगीन कर दिया है... हमलावर  हमला करते वक्त सीरिया का बदला लेने की बात कर कर रहे है..सीरिया में पिछले कुछ महीनों से ISIS ने कत्लेआम मचा रखा है।

पेरिस की पुलिस ने आतंकियों को उनकी औकात दिखाते हुए सेना ने 8 हमलावरों को मार गिराया पुलिस ने अपना काम बखूबी किया और आतंकियों को मार उनके आकाओं को बता कि आतंकवाद को फ्रांस और दुनिया कभी बर्दास्त नहीं करेगी..जो दहशतदगर्दी को बढ़ावा देता उसे दुनिया मार देगी.. ISIS ने इस हमले को अपने सर नाम किया है अब तक ISIS को किसी का सर कलम करते उसका क्रूर चेहरा हमने देखा था लेकिन आज किसी ने उसका सर कलम किया है...पिछले कई महीने में हमने और आपने ISIS के कई वीडियों को देखा होगा जिसमें किसी ना किसी का ISIS ने सिर कलम किया है या किसी को जिंदा जला दिया है।




पेरिस हमला फ्रांस में इस साल का तीसरा आतंकी हमला है साल के शुरुआत में जनवरी महीने में शर्ली एब्दो मैगजीन ने मुहम्मद का कार्टून छापा था जो अल्ला के नाम पर आतंकवाद को जिंदा रखने वालों को रास नहीं आया और मैगजीन ऑफिस पर हमला कर दिया जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई इसमें एक पत्रकार भी मारा गया था दूसरा आतंकी हमला जून 2015 में हुआ सेंट क्वेंटिन फैलेवर में गैस फैक्ट्री पर हमला इस हमले  आतंकी ने एक शख्स का सिर कलम किया था और आज तीसरा हमला जिसमें 160 लोगों की जान चली गई...पेरिस में हुए इस आतंकी हमले की निंदा पूरी दुनिया ने की है, अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की निंदा की है पीएम मोदी विदेश दौरे पर है आज ही (14 नवंबर) को G-20 सम्मेलन में शामिल होंगे...लेकिन इस हमले के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति फांनकोइस होलांदो ने सम्मेलन का कार्यक्रम को रद्द कर दिया।

Sunday 8 November 2015

बीजेपी की शर्म 'नाक' हार


बिहार विधानसभा के 243 सीटों पर हुए चुनाव का परिणाम आ गया परिणाम में बीजेपी की हार हुई है बिहार में बीजेपी मुंह के बल गिर गई है और ऐसी गिरी की चाह कर भी बीजेपी अपने आप को बिहार में नहीं खड़ा कर पाएगी...और नहीं सही मुंह से बिहार की जनता से बात कर पाएगी की उसे बिहार की जनता ने क्यों नकार दिया.. क्यों प्रधान सेवक को बिहार की जनता सेवा का मौका नहीं दिया...क्यों बिहार की जनता ने बीजेपी को बिहार ने बाहर कर दिया... क्यों बिहार की जनता को भगवा पार्टी पर भरोसा नहीं हुआ...बिहार में बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी बिहार में थर्ड क्लास की पार्टी बन गई है ज्य़ादा सदस्यों वाली पार्टी बीजेपी को जंगलराज का तमका लिए आरजेडी ने बिहार के चुनाव में हरा दिया...लोकतंत्र के पर्व में बीजेपी हार गई है और महागठबंधन का महाविजय हुआ... 243 सीटों वाली विधानसभा में महागठबंधन के 178 महारथियों ने महाविजय हासिल किया...और बीजेपी की करारी हार हुई है..2015 में बीजेपी की दूसरी हार है इससे पहले साल के शुरुआत में दिल्ली चुनाव में बीजेपी को आम आदमी पार्टी ने बूरी तरह हराया 70 में बीजेपी केवल 3 सीट ही जीत पाई...और साल के आखिर में बिहार में महागठबंधन ने बीजेपी को हरा दिया... 160 सीटों पर लड़ने वाली पार्टी 60 सीट भी नहीं जीत पाई...बीजेपी के सहयोगी दल रामविलास, रालोसपा, हम तो इतने भी सहयोग नहीं कर पाए की बिहार में बीजेपी सैंचुरी भी लगा सके...लेकिन नीतीश ने हैट्रिक लगाते हुए बीजेपी को टूर्नामेंट से ही बाहर कर दिया...



सवाल उठता है बिहार में बीजेपी की बूरी हार किसकी वजह..इस हार की क्या वजहें है ये तो एसी कमरे में बैठकर बीजेपी के मठाधीस मंथन करेंगे ...बोलेंगे जनता के फैसले का सम्मान करते हैं, सोचेंगे अगला चुनाव कैसे जीते और कुछ दिन बाद दिल्ली की तरह बिहार चुनाव को भूल कर बीजेपी के नेता बयानबाजी शुरु कर देंगे...लेकिन बिहार में बीजेपी की हार पार्टी और पीएम के लिए चिंता का विषय है और इस हार पर पार्टी में हाहाकार भी होगा और पार्टी में हार का पोस्टमार्टम भी होगा...आखिर बिहार में बीजेपी क्यों नहीं नीतीश, लालू, और कांग्रेस को हरा पाई...क्यों बीजेपी कांग्रेस, लालू और नीतीश के चुनाव रणनीति को नहीं भेद पाई, क्या बीजेपी के चाणक्य अमित शाह नीतीश और लालू के राजनीति के रणनीति को नहीं समझ पाएं..बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का चेहरा पीएम मोदी थे महागठबंधन का मुखौता नीतीश कुमार थे... बिहार में बीजेपी ने पूरा चुनाव पीएम मोदी के विकास के नाम पर लड़ा तो महागठबंधन में शामिल लालू ने नीतीश को जनता की नजरों में सुशासन बाबू की तरह उतारा और पीएम मोदी को ललकारा...बिहार का चुनाव मुद्दाहीन था वहां न विकास की बात होती थी नहीं चुनावी रैलियों में सुशासन की चर्चा...वहां तो सिर्फ व्यक्तिगत चुनावी मुद्दा था कौन नरभक्षी था तो बह्मपीसाच था, चाराचोर था...चुनावी रैलीयों में विकास की बातें कम आरक्षण देनें और आरक्षण के लिए जी-जान देने की बातें होती थी...आगड़े-पीछड़े की बात होती थी कौन यादव है कौन पीछड़े इसके दावे होते थे...


लालू जानते थे कि वो अगड़े-पीछड़े की राजनीति करके ही अपने सियासी लालटेन को चमका सकते है और वो ही लालू ने किया...बिहार में लालू MY समीकरण के साथ अपने राजनीति को बढ़ाते रहे है लालू जानते थे अगर वो अगड़े-पीछड़े की राजनीति नहीं करेगें तो उनकी राजनीति की लालटेन बुझ जाएगी और नीतीश लालू के साथ नहीं  मिलगे तो नीतीश का सियासी तीर खाली ही रह जाएगा...तो लालू और नीतीश एक साथ हो लिए... लालू के लालटेन में रौशनी आ गई, लालू ने लालटेन से अपने राजनीतिक जीवन को उजाला कर दिया और नीतीश ने पुराने दोस्त और अब दुशमन बीजेपी को अपने तीर ने निशाना लगाकर बिहार में बीजेपी को चारों खाने चित कर दिया...



बिहार का चुनाव बीजेपी और महागठबंधन के लिए सरकार बनाने से ज्यादा साख का सवाल था इस चुनाव में सीएम नीतीश और पीएम मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर थी... परिणाम में पीएम की प्रतिष्ठा पानी-पानी हो गया और बिहार की जनता ने पीएम की प्रतिष्ठा से ज्यादा सीएम का सम्मान किया... बिहार विधानसभा चुनाव में डीएनए, आरक्षण, बीफ जैसे मुद्दे मुख्य चुनावी मुद्दे रहे और इसी मुद्दे को महागठबंधन ने भुनाया...आरक्षण की समीक्षा हो भागवत के इस बयान के बाद पिछड़ों में भय हुआ कि बीजेपी आई तो आरक्षण छीन लेगी... लालू ने इस मुद्दे को खुब भुनाया और इस कदर भुनाया कि पिछड़ा वर्ग लालू के जाल में फंस गया...आरक्षण छीन जाने का पिछड़ों में बने इस भय को बीजेपी नहीं निकाल सकी लेकिन बिहार की जनता ने बीजेपी को बिहार की राजनीति से निकाल दिया..बिहार में हुई बीजेपी की हार का प्रभाव आने वाले राज्यों पर पड़ेगा 2016 में बंगाल सहित पांच राज्यों में चुनाव है इसलिए बीजेपी को सोचना होगा और एसी कमरों से लेकर जनता के बीच जाकर जनादेश पाना होगा और बिहार में हुई शर्मनाक हार पर सोचना भी होगा।


Sunday 11 October 2015

बिहार विधानसभा चुनाव 2015

मतदान तारीख--12 अक्टूबर
10 जिलों की 49 सीटों पर वोटिंग
समस्तीपुर- कल्याणपुर (एससी), वारिसपुर, समस्तीपुर, उजियारपुर, मोरवा, सरायरंज, मोहीउद्दीन नगर, विभूतीपुर , रोसड़ा (एससी), हसनपुर , 10 सीट-136 प्रत्य़ाशी
बेगूसराय-चेरियाबरियार, तेघड़ा, बछवाड़ा, मटिहानी, साहेबपुरकमाल, बेगूसराय, बखरी, 7 सीट -68 प्रत्याशी
खगड़िया-अलौली, खगड़िया, बेलदौर, परबत्ता, 4 सीट-48 प्रत्याशी
भागलपुर-बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती, कहलगांव, भागलपुर, सुल्तानगंज, नाथनगर, सीट-7 प्रत्याशी 87
बांका-अमरपुर, बांका, धुरैया, कटोरिया, बेलहर, 5 सीट-53 प्रत्याशी
मुंगेर-तारापुर, मुंगेर जमालपुर, 3 सीट-39 प्रत्याशी
लखीसराय-सूर्यागढ़ा, लकीसराय, 2 सीट-26 प्रत्याशी
शेखपूरा-, शेखपुरा, बरबीघा, 2 सीट-27 प्रत्याशी
नवादा-रजौली (एससी), हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर, वारसलिगंज, 5 सीट-49 प्रत्याशी
जमुई-सिकंदर, जमुई, चकई, झांझा, 4 सीट-50 प्रत्याशी

कुल 49 सीट 583 प्रत्याशी
पहले चरण के लिए 583 प्रत्याशी
49 सीटों पर मतदाताओं की संख्या 1 करोड़, 35 लाख, 35 हजार, 586
पुरुष मतदाता-72 लाख 27 हजार 835
महिला मतदाता-63 लाख 7 बजार 345
थर्ड जेंडर मतदाता-406
मतदान केंद्र-12 हजार 686
मतदान भवन-9301
49 सीट के लिए 1 लाख 20 हजार पारा मिलिट्री और बिहार पुलिस तैनात
मतदान केंद्रों पारा मिलिट्री की तैनाती, और पेट्रोलिंग में बिहार पुलिस
85-90 हजार सिविल अधिकारी की तैनाती
फाइल फोटो

583 प्रत्याशियों में 174 (30 फीसदी) आपराधिक मामले दर्ज
174 में से 130(22 फीसदी) प्रत्याशियों पर किडनैपिंग, मर्डर, हत्या की कोशिश, महिलाओं के प्रति अपराध जैसे गंभीर मामले दर्ज
16 प्रत्याशियों पर IPC की धारा 302 के मामले दर्ज
नवादा जिलें वारसलिगंज से जेडीयू के प्रत्याशी प्रदीप कुमार पर हत्या से जुड़े 4 केस दर्ज
307 प्रत्याशियों पर IPC 307 के तहत मामला दर्ज
BSP का एक प्रत्याशी, BJP के एक, JDU के 3, JAP के 1 और निर्दलीय के 1 प्रत्याशी पर हत्या की कोशिश के मामले दर्ज
11 प्रत्याशियों पर महिलाओ से जुड़े आपराधिक मामले दर्ज
 
फाइल फोटो
संपत्ति
583 में से 146 (25 फीसदी) प्रत्याशी करोड़पति
पहले चरण के लिए 583 प्रत्याशियों में से औसतन संपत्ति 1.44 करोड़

सबसे ज्यादा संपत्ति वाले उम्मीदवार
वारिसनगर सीट से निर्दलीय विनोद कुमार सिंह 74, 73, 83, 190
खगड़िया से जेडीयू की पूनम देवी यादव 41,34,45,969
भागलपुर से कांग्रेस के अजीत कुमार 40,57,35,981

सबसे कम संपत्ति वाले उम्मीदवार
बखरी से भारतीय जनहित दल के सुरेश सादा-जीरों
हिसुआ से मूलनिवासी समाज पार्टी के प्रदीप राजबंशी --जीरों
बरबीघा से निर्दलीय योगेश्वर मांझी 1000 रु की संप्त्ति( आयोग के अनुसार इन्होने पूरी संपत्ती की डिटेल एफीडेविट में नहीं दिया

जिन प्रत्याशियों ने आयकर डिटेल नहीं दिया

अलौली से बहुजन मुक्ति पार्टी के उदय प्रकाश सादा कुल संपत्ति 10, 30,70, 500

जमुई से किसान अल्पसंख्यक मोर्चा के बलदेव प्रसाद भगत कुल संपत्ति 7,16,05, 559

लखीसराय से जेडीयू के रामानंद मंडल 2,40,66,100

पार्टी में आपराधिक प्रत्याशी
BSP के 41 में 8-20 फीसदी

BJP के 27 में14-52 फीसदी

CPI के 25 में 14-56 फीसदी

JDU के 24 में 44 46 फीसदी

सपा के 18 में 9-50 फीसदी

आरजेडी में 17 में 8-47 फीसदी

जेएपी में 16 में 9-56 फीसदी

एलजेपी में 13 में 8-62 फीसदी

कांग्रेस में 8 में 6-75 फीसदी

आरएलएसपी में 6 में 4-67 फीसदी

हम में 3 में 2 67 फीसदी

पार्टी में करोड़पति उम्मीदवार

जेडीयू में 24 में 19-79 फीसदी

बीजेपी में 27 में 18-67 फीसदी

आरजेडी में 17 में 11-68 फीसदी

एलजेपी में 13 में 8-62 फीसदी

कांग्रेस में 8 में 6-75 फीसदी

जेएपी में 16 में 5-31 फीसदी

टॉप 10 ज्यादा संपत्ति वाले प्रत्याशी

वारिसनगर सीट से निर्दलीय विनोद कुमार सिंह 74, 73, 83, 190
खगड़िया से जेडीयू की पूनम देवी यादव 41,34,45,969
भागलपुर से कांग्रेस के अजीत कुमार 40,57,35,981
सिकंदरा से बीएसपी की रेखा देवी 39, 03,05,000
झांझा से किसान अल्पसंख्यक मोर्चा के उमाशंकर भगत  37,8812,596
तेघड़ा से आरजेडी के बीरेंद्र कुमार 19,0674,731
बांका से बीएसपी के अजीत कुमार-17,01,26,748
हिसुआ से जेडीयू के कौशल यादव 16,14,86,483
गोविंदपुर से कांग्रेस की पूर्णिया यादव 16,14,86,183
लखीसराय से बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा 15,64, 10,626


टॉप 10 कम संपत्ति वाले प्रत्याशी

बखरी से भारतीय जनहित दल के सुरेश सादा-जीरों
हिसुआ से मूलनिवासी समाज पार्टी के प्रदीप राजबंशी --जीरों
बरबीघा से निर्दलीय योगेश्वर मांझी 1000 रु की संप्त्ति( आयोग के अनुसार इन्होने पूरी संपत्ती की डिटेल एफीडेविट में नहीं दिया

हिसुआ से बीएसपी के लव कुमार सिंह 2500 रु
बिहपुर से निर्दलीय सुमन कुमार 4,000
नाथनगर से गरीब जनता दल के संदीप कुमार शर्मा-5,000
लखीसराय से बीएसपी के मनोज कुमार 15000
मटिहानी से बहुजन मुक्ति पार्टी के रणवीर कुमार 15,300
बेगूसराय ने निर्दलीय अमरजीत शाह 15,500

बांका से निर्दलीय राजेंद्र राय 15,500

Thursday 8 October 2015

दादरी का दर्द ना समझे कोय !

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के दादरी के विसहेड़ा गांव के रोता-विलखता ये परिवार इकलाख का परिवार है जिस इकलाख को गांव वालों ने पीट-पीट कर मार डाला इकलाख की मौत नहीं हुई उसे मार दिया गया उसकी मौत का निमंत्रण विसहेड़ा गांव के मंदिर के लाउडस्पीकर से आया जिस मंदिर से  एलान हुआ कि इकलाख का परिवार बीफ खाता है और अपने घर में बीफ रखता है इस लाउड स्पीकर से एलान के बाद गांव के लोग लाल हो गए और गांव में अफवाह फैला कि इकलाख का परिवार बीफ खाता है और इस अफवाह के आधार पर ग्रामीणों ने इकलाख को उसके घर से निकालकर उसे पीट-पीट कर मार डाला और मौत के मुंह में डाल दिया एक अफवाह से इकलाख की हत्या हो गई और बिसहेड़ा गांव उसकी मौत का तमासा देखता रहा...देखता रहा कि इकलाख की मौत कैसे होती है बिसहेड़ा गांव के बेदर्द लोगों ने इकलाख के बेटे को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया आज अस्पताल में वो अपनी जिंदगी मौत के बीच झूल रहा है और राजनेता उसे अपने बयानों से झूला रहे है आज सियासत के दूल्हे बताने पर उतारु है कि मैं समाजवादी हूं , धर्मनिरपेक्ष हूं और तूं सांम्प्रादिक है ऐ बताने के लिए राजनेता दादरी का दर्द समझे बिना बिसहेड़ा गांव में बसने पर तूल गए है और सभी बताने की हर कोशिश कर रहे है हम दादरी के दर्द में हमदर्द हैं... दादरी में पुलिस प्रशासन है मगर इस गांव आज भी आशंति है...

सियासतदान कहते है सियासत ना हो लेकिन ऐसे-कैसे हो सकता है कोई राजनेता किसी के शव पर अपनी सियासत की चिंगारी को न भड़काए ये कैसे हो सकता है कोई राजनेता किसी के खून से अपनी राजनीति को रसदार ना बनाएं आखिर क्यों नहीं समाजवाद की सरकार दंगों पर काबू पाती है क्या मान लिया जाय कि राजा अखिलेश के राज में उत्तर प्रदेश दंगा प्रदेश बन गया है ये सवाल इसलिए क्योकिं मुजफ्फरनगर से दादरी तक समाजवाद के आंचल तले कई कई मांओं की आंचल उजड़ गई कई सुहागिने बेरंग हो गई और कई बच्चे अनाथ हो गए और अखिलेश कहते प्रदेश में सब प्रसन्न हैं...दादरी के दर्द में कोई हमदर्द तो नहीं बना लेकिन राजनीति सबने की अपने बयानों से राजनेताओं ने दादरी के दर्द और बढ़ा दिया दर्द को नासूर बना दिया ऐसा दर्द दिया जो कभी भर न सके...राजनेताओं ने इकलाख के परिवार के जख्मों पर मरहम तो नहीं लगाया लेकिन बेसहेड़ा गांव में जा-जाकर दादरी , बिसहेड़ा और इकलाख के परिवार के दर्द को दोगुना कर दिया..दादरी का दर्द ना जाने कोय


दादरी के दर्द को न जाने न समझे बिना कोई इसे हादसा बताता है कोई इसे हिंदू राष्ट्र बनाने की साजिश तो कोई गाय को माता बताकर मरने और मारने पर तुला है इन नेताओं के बयानों को सुन लें तो आपका और हमारा सर शर्म से थोड़ा और झुक जाए..


लेकिन यूपी के सामजवाद की सरकार को इन बयानों से शर्म नहीं आती बल्कि सियासत तेज हो जाती  है..दादरी आज ग्रेटर नोएडा का छोटा सा गांव नहीं रह गया बल्कि राजनीतिक पर्यटन स्थल बन गया है देश से बड़े से बड़े नेता आज दादरी जाने को ललाइत है जैसे दो माह का बच्चा अपनी मां का दुध पीने को छछनता है लेकिन दादरी का दर्द कोई नहीं समझता है जैसे किसी गांव में जानवर के मार जाने पर उसे खाने के लिए गिद्धों का तांता लग जाता है वैसे ही इकलाख के शव पर सियासत करने के लिए सियासी गिद्दों की लाइन लगी है..

देश का कोई नेता नहीं बचा है जिसने दादरी का दौरा ना किया हो लेकिन दर्द तो किसी ने नहीं समझा सियासत सभी ने की कोई विदेश से आता है बिहार चुनाव प्रचार छोड़कर दादरी का दौरा करता है अखिलेश के मंत्री ही अखिलेश को आंखें दिखा रहे है दादरी दंगे को मुलायम की नाकामी बता रहे है लेकिन अखिलेश ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए 40 लाख का मरहम लगाते है ताकि दादरी के दर्द तले अपनी नाकामी को छुपा सकें...दादरी का दर्द ना समझे कोय


Thursday 24 September 2015

जातिवाद के साथ विकास की बात

शयद किसी राजा ने राज-धर्म पालन के लिए अपनी प्रजा का जात-पात नहीं पूछा होगा, उससे उसका नाम नहीं पूछा होगा, उससे उसका DNA नहीं जाना होगा, लेकिन बिहार की सियासत में पाटलीपुत्र राजा नीतीश कुमार बिहार की जनता का विकास उसके जातिगत आंकड़े से मानते है...बिहार की सियासत में विकास भारी या जातिवाद ये तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन चुनावी माहौल में विकास के पीछे-पीछे जातिवाद भी अपने परछाई को दिखा रहा है और आने वाले समय में दिखाएगा कि बिहार की राजनीति में विकास की बात करने वाले सियासत दान जातिवाद के जाल में फंस कर कैसे अपनी जात-पात को, नाम को, सम्मान को और अपने राजनीतिक प्रतिष्ठा को आगे कर बढ़ता रहे बिहार के रास्ते से विकास को हटा देंगे...

लेकिन सियासत की सही समझदारी ही वो है जो सही समय पर सही तरीके से सही तजुर्बें से साथ उस नीति को अपनाएं जिसके सहारे राजनेता धुंधले सियासत की जमात में अपने आप को , अपनी राजनीति को, अपनी चमचमाती सफेद कपड़ो को, अपनी प्रतिष्ठा को जनता की जलते चेहरे के रौशनी की चमक से अपनी राजनीति को चमका सकें..लेकिन जिस जनता के सराहे नेता अपनी राजनीति को उठाते है जो जनता एक झटके में इन नेताओं को फर्श से अर्श तक दूरी तय करने में सियासी समझदारी दिखाती है उस जनता को ये नेता विकास मशीन, विकासशील जनता के रुप में नहीं बल्कि जात-पात, धर्म, ये मेरी जात, ये तेरी जात ये मेरा DNA ये तेरा  DNA के आधार पर हमारे विकास पुरुष नेता देश की जनता सौदा करते है..ये सियासत का सौदा ही है कि जिस जात की जितनी आबादी उसे लोकतंत्र में लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने का मौका उसके जात के आधार पर मिलेगा..ये जरुरी नहीं कि वो जनता का विकास करेगा की नहीं, वो नेता जनता के हक की बात करेगा की नहीं, वो जनता के लिए लड़ाई लड़ेगा की नहीं बल्कि उसे बताने होगा कि वो किस जात से आता है उसे किस जाति का कितना वोट मिलेगा..वो सेक्यूलर है कम्युनल इस बात पर उस नेता के जनाधार का फैसला होगा और तय होगा कि उसे टिकट मिलेगा की नहीं...


शायद किसी सिनेमा घर के खिड़की फिलम के टिकट के लिए इतना हो हल्ला नहीं होते देखा होगा जितना कि बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टियों के टिकट को टिकट पाने वाले हर दावं को लगाते देखा...पीएम मोदी के खिलाफ लामबंद महागठबंन ने आखिर अपने प्रत्याशियों का एलान कर दिया मुस्कराते हुए सीएम नीतीश ने मीडिया को बताया कि टिकट बंटवारे में अपने सभी जातियों का ध्यान रखा, हमने सबके सम्मान किया है . हमने बिहार के सुशासन राज कायम किया है.. महागठबंधन में सीटों का बंटवारे हुआ तो विकास पुरुष की नीतीश कुमार की नजरे जाति के आकंडे पर गई नीतीश ने बताया कि उनके गठबंधन ने बैकवार्ड को 55 फीसदी, जनरल (अपर कास्ट को 16 फीसदी), मुसलमान को 14 फीसदी,  एससी-एसटी को 15 फीसदी टिकट दिया गया..नीतीश ने टिकट बांटे हो सकता है कि वो सभी जातियों का ध्यान रखते हो लेकिन जिन आकंडो पर नीतीश की चुनावी नजरे है वो साफ-साफ दिखाते है कि ये विकास की नहीं बल्कि जात-पात, धर्म की राजनतीति करने के आंकड़े है बिहार में अपर कास्ट के वोटर 15 फीसदी है, 51 फीसदी बैकवार्ड वोटर, 17 फीसदी मुसलमान वोटर, एससी-एसटी वोटर (16 एससी-1.3 एसटी वोटर) ये वो आंकड़े है जिन आकंड़ो पर नीतीश की आंखे टिकी है और नीतीश को उम्मीद है कि वो विकास से सहारे जातिवाद की राजनीति कर तीसरी बार सत्ता पर काबिज हो सकते है


इन आकंड़ो पर ध्यान दें और नीतीश जिन आंकड़ो के सहारे सियासत कर रहे है उन दोनों में मेल करे तो साफ दिखेगा बिहार की सियासत में और लालू वाले महागबंधन में जातिवाद का बोल बाला है... लालू ने 101 में से ज्यादातर उम्मीदवार अपने पारंपरिक वोट को देखते हुए MY समीकरण पर ध्यान दिया है खास बात कि टिकट बंटवारे में लालू ने गौर उपर कास्ट और नीतीश ने उपर कास्ट को साधने की कोशिश की है तो वही कांग्रेस लालू के लालटेन और नीतीश के तीर के सहारे अपनी गुम हो चुकी राजनीतिक जीवन में ज्योति कर राजनीतिक जंग में सही निशाना लगाना चाहती है 

Sunday 30 August 2015

मोदी के खिलाफ महागठबंधन की 'स्वाभिमान रैली'

सियासत में समय पर समझदारी ही सही समझौता होता है इसी समझदारी वाली समझौता के बल पर बीजेपी को हराने के लिए लालू-नीतीश और सोनिया की स्वाभिमान रैली पटना के गांधी मैदान में आयोजित हुई इस स्वाभिमान रैली में बिहार के स्वाभिमान की दुहाई दी गई उस बिहार की दुहाई दी जिसे पीएम मोदी बीमारु कहते है जिसे पीएम गरीब बताते है अर्थव्यवस्था में सबसे पिछड़ा राज्य बताते है उस बिहार के स्वाभिमान को जगाने के लिए लालू ने अपने स्वाभिमान को मार डाला नीतीश ने अपने नीति को सोनिया के सहारे  छोड़ दिया उस कांग्रेस के सहारे बिहार को आगे बढ़ाने का सोच लिया जिस कांग्रेस ने अपने 40 साल के कार्यकाल में बिहार को 40 कदम भी आगे नहीं बढ़ाया...


नीतीश ने बिहार में लालू के उस सुशासन के सहारे सरकार बनाने का सोच लिया जिस सुशासन के सहारे बिहार में जंगलराज और गुंडागर्दी का राज होता है इस बिहार का स्वाभिमान जंगलराज और गुंडागर्दी के सहारे नहीं बल्कि जनादेश के सहारे जगेगा.इस स्वाभिमान रैली में लालू-नीतीश-सोनिया पहली बार एक मंच पर एक साथ दिखे पहली बार बीजेपी और मोदी के तीन ध्रुव विरोधी एक दूसरे के साथ एक दूसरे के सुर में सुर मिलाते हुए नजर आए... महागठबंधन को सजाने संवारने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह ने लालू-नीतीश के स्वाभिमान से अपने स्वाभिमान को दूर रखा और अपने समधी की स्वाभिमान रैली में अपने भाई शिवपाल को भेज कर मुलायम ने बता दिया कि लालू के स्वाभिमान से मुलायम का स्वाभिमान बड़ा हैं



स्वाभिमान रैली में सबसे पहले बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बोलना शुरु किया तो राबड़ी के निशाने पर पीएम मोदी और कभी लालू के करीबी, RJD से सांसद रहे पप्पू यादव को राबड़ी ने मारकर भगाने की बात कही तो पीएम मोदी को झूठा बता दिया बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी ने नीतीश को बिहार का सबसे बेहतर सीएम बता दिया अगर नीतीश की नीति अच्छी है और नीतीश के राज में बिहार में रामराज आया तो क्या लालू और खुद की सरकार को राबड़ी अच्छा नहीं मानती है  क्या 15 साल की लालू- राबड़ी की सरकार नीतिहिन और जंगलराज का था और अगर लालू-राबड़ी की सरकार अच्छी थी बेहतर थी, और सुशासन वाली थी तो नीतीश कुमार बिहार के सबसे बेहतर सीएम और नीतीश की सरकार सुशासन वाली कैसी हुई राबड़ी के लिए बेहतर सीएम कौन लालू या नीतीश?

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने रैली को संबोधित करना शुरु किया तो नीतीश के निशाने पर पुराने दोस्त और नए दुश्मन पीएम मोदी थे नीतीश ने बिहार में बढ़ते अपराध वाले पीएम के बयान पर पलटवार करते हुए नीतीश ने बीजेपी शासित राज्यों में बढ़ते अपराध के बहाने बीजेपी और पीएम मोदी पर प्रहार किया नीतीश ने अपने पुराने दोस्त को बिहार का इतिहास बताया, बुद्ध को ग्यान देने वाला राज्य बताया, लेकिन नीतीश ने बिहार के सबसे बड़े आंदोलन और देश की राजनीति को बदल देने वाले जेपी आंदोलन का चंदन कुमार ने जिक्र तक नहीं किया...नीतीश को जेपी आंदोलन भूला दिया जैसे कोई बुरे सपने को भूल जाता है लेकिन नीतीश जेपी आंदोलन का जिक्र करते भी कैसे बगल में धर्मनिरपेक्षता की देवी सोनिया गांधी बैठी थी जिनकी सास ने जेपी को जेल भेज दिया था आंदोलन का जिक्र करते तो नीतीश को कांग्रेस के नीयत पर शक होता जो सोनिया को पसंद नहीं आता..सोनिया के सामने जेपी का जिक्र मोदी विरोधी महागठबंधन के लिए ठीक नहीं होता जो कांग्रसियों को रास नहीं आता..


मंच से नीतीश ने विरोधियों के सहारे लालू के नेतृत्व पर सवाल खड़ा किया कि विरोधी कहते है कि लालू का राज जंगलराज था मंच पर बैठे लालू मुस्कराते हुए नीतीश की नियत को समझ रहे थे जंगलराज किसका है मेरा या नीतीश का...


नीतीश ने लैंड बिल पर पीएम मोदी पर निशाना साधा उस बिल को लेकर पीएम मोदी नीतीश के निशाने पर थे नीतीश ने कांग्रेस के भूमि बिल को किसानों का बिल बताया तो मोदी के बिल को किसान विरोधी बताया अपने पुराने दोस्त के भूमि बिल से नीतीश नाराज है जो बिल किसानों के जमीन को छीन लेना आसान कर देती है इस बात को बोलते हुए नीतीश मुस्करा रहे थे पीएम के झुकने की बात कर रहे थे आज दिन को नीतीश खुशी का दिन बता रहे हैं क्योंकि पीएम आज नीतीश की नजरों में झुक गए है..


.देश की सियासत में अपनी राजनीति को चमकाने के लिए नीतीश किसानों के लिए आज भूखे बैठने की बात कर रहे है जिस राज्य में नीतीश के नाकोतले किसान मरने को मजबूर है पांच लीटर किरोसिन और एक डब्बा डीजल के लिए किसान भटक रहे हैं लेकिन आज नीतीश किसानों के लिए भूखा बैठने की बात कर रहे हैं..लालू सुशासन की बात कर रहै है...ये ही बिहार का स्वाभिमान है ? जिस स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहे लालू-नीतीश पीएम को ललकार रहे हैं बार-बार DNA की दुहाई दे रहे है  उस स्वाभिमान का DNA सैंपल भेजने वाले लिफाफे रोड पर लोगों के पैरों तले कुचलते नजर आए...ये बिहार का नहीं बल्कि लालू, नीतीश, सोनिया  का स्वाभिमान था जिसे लोगों ने पैरों तले कुचल दिया।