Friday 29 July 2016

कोटा बना करियर का सुसाइड सिटी

बिहार के मोतिहारी जिले का IIT छात्र प्रिंस कुमार सिंह ने 23 जुलाई को     इंदिरा विहार में अपने छात्रावास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, प्रिंस जुलाई के शुरुआत में ही कोटा आया था अपने बेहतर भविष्य के लिए अच्छी तालीम हासिल करने भविष्य में एक अच्छा इंजीनियर बनने ताकी देश के निर्माण में एक बजबूत नींव दे सके, लेकिन करियर सिटी अब सुसाइड सिटी में बदलता जा रहा है छात्रों की उम्मीद उनके शवों में बदलती जा रही है। जुलाई महीने में ये दूसरी बार हुआ जब किसी छात्र की मौत हुई हो, 5 जुलाई को मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्र निखिल कुमार का शव छात्रवास में लटका हुआ मिला। मां-बाप के उम्मीद को पूरा करने में बच्चे अपने आप को खोते जा रहे हैं और मां-बाप अपने बच्चों को, अपनी उम्मीदों का बोझ मां-बाप इस कदर बच्चों पर डालते जा रहे है कि करियर के चक्कर में मां-बाप अपने बच्चों को खोते जा रहे है.. खोते जा रहे है अपने उन सपनों को जो मां-बाप अपने बच्चों के शिक्षा के सहारे पूरा करना चाहते है पर हालात ए है कि ''हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले'' बच्चों को बड़ा बनाने की चाहत में मां-बाप अपनी हर उस इच्छा को अपने-बेटे-बेटियों के माथे मढ़ देते है जिससे उन्हे समाज में बड़ा होने का यहसास हो, जिसे उन्हे सोसायटी में स्पेशल स्टेटस मिलें, सम्मान सर माथे पर हो, समाज में सम्मान के चलते बच्चों की जाने जा रही है, कई मांओं की ममता छीन रही है, सवाल सिर्फ सम्मान का नहीं बल्कि सोच और समझदारी का भी है जो माता-पिता अपने बच्चों के साथ दिखाएं। कोटा में छात्रों के खुदकुशी का मामला सिर्फ छात्रों पर मां-बांप की उम्मीदों का बोझ ही बल्कि और भी कारण जिसको लेकर कोटा में छात्रों के खुदकुशी की घटनाएं बढ़ती जा रही है। 


अपने गांव-घर , मां-बांप से, दोस्तों से दूर बच्चे कोटा आते है ताकी अच्छी तालीम हासिल कर सके लेकिन कोटा आकर छात्र कई गलत संगतों में पड़ जाते है इनके खर्चे बढ़ जाते है ऐसे में बच्चे मां-बाप के उम्मीदों और अपने गलत संगतों के भारी दबाब में आ जाते है कई बार परेशान होकर अपनी जिंदगी को खत्म कर लेते है, अपनों के सपनों को खत्म कर लेते है मां-बाप के उम्मीदों को खत्म कर लेते है।  

केवल साल 2016 की बात करे तो शुरु के 7 महीने में अह तक 12 छात्र-छात्राओं से खुदकुशी किया है , आंकडों से साफ पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में कोटा आने वाले छात्रों के सुसाईड की संख्या में वृद्धी हुई है
पिछले पांच सालों में 73 छात्र आत्महत्या कर चुके है
2012- 11
2013-13
214-14
2015-17
2016-12( जुलाई तक) 

एक नीजि कोचिंग सेंटर की छात्रा ने नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर जो बातें बताई उसको सुनकर शिक्षा संस्थानों में हो रहे शोषण को लेकर हमे-आपको शर्म आएगी

''छात्रा ने बताया कि कई बार उसे कंप्रोमाइज करने के लिए कहा जाता था नहीं करने पर क्लाश से बाहर करने की धमकी दी जाती थी, नंबर कम देने की धमकी जाती थी''
कोटा से 900 किलों मीटर की दूरी पर मिर्जापुर से आएं एक छात्र ने बताया की लागातार हो रहे छात्रों के सुसाइड एक कारण एभी है कि स्टूडेंट्स पर मां-बांप की उम्मीदों का बहुत दबाब होता है कई बार परिवार को उम्मीद को नहीं पूरा कर पाने के कारण भी छात्र सुसाइड करते है।


कांग्रेस का ‘हार्दिक’ प्लान’

2014 आम चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी का दंभ भरने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जब दम निकला तो मानों कांग्रेस सियासी मणसजज्या पर चली गई, कांग्रेस के आला कमान और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि कांग्रेस की इतनी बड़ी हार होगी कि 5 राज्यों में कांग्रेस क्लिन बोल्ड हो जाएगी, 2014 के चुनाव में हार से कांग्रेस के सियासी करियर पर ही सवाल खड़े होने लगे. कांग्रेस पार्टी को इस बात का अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि   ‘India is Indira and Indira is India’ वाली इंदिरा गांधी की कांग्रेस का सियासी रखुस हिंदुस्तान की सियासत में इस कदर धुमिल हो जाएगा मानों जैसे काले बादलों में चांद की छवि धूमिल हो जाती है, लेकिन कांग्रेस पार्टी जिसे अपनी पार्टी का चांद समझती है जिसे अपनी पार्टी की तीसरी आंख समझती है जिसे पार्टी का तारणहार समझती है वो सख्श राहुल गांधी 12 साल के सियासी सफर में अपनी पार्टी के सियासत में कोई सुधार नहीं कर पाएं...12 साल एक युग होता है इन वर्षों में एक बच्चा अपनी समझ की समझदारी दिखाना लगता है..लेकिन देश की 128 साल पुरानी पार्टी में ऐसा कुछ नहीं हुआ, एक के बाद एक कई रियासतों में कांग्रेस की सियासी हार होती गई और कांग्रेस आला कमान की तीसरी आंख तक नहीं खुली।



ऐसे में अब कांग्रेस को बैठे बैठाए मोदी के खिलाफ मुद्दा मुद्दा मिला गया है मुद्दा मोदी के गुजारात का हैं जहां से हार्दिक पटेल ने मोदी के खिलाफ बगावत कर दी है, मोदी को सियासी चुनौती दे दी हैं, पटेल आरक्षण की मांग को लेकर सुर्खियों में आएं हार्दिक पटेल को राजद्रोह के केस में जेल हुआ था इसी महीने हार्दिक को बेल मिली है लेकिन शर्त है कि 6 महीने के लिए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल गुजरात में नहीं होंगे। 6 महीने के लिए पटेल को राज्यबदार किया गया है, पीएम के गुजरात ने जिस हार्दिक पटेल को अपने से दूर किया है उसे मोदी विरोधी अपने करीब लाकर अपनी सियासी हार्दिक इच्छाओं को पूरा करना चाहते है। जो नेता कल तक सत्ता में रहते हुए अपने समुदाय के लिए आरक्षण के लिए एक आवाज तक नहीं उठाते थे वो आज पटेल समुदाय के लिए आरक्षण को लेकर हार्दिक पटेल के साथ खड़े है, हम बात कर रहे है राज्स्थान कांग्रेस के पूर्व विधायक और राजस्थान में पटेल समुदाय के अध्यक्ष पुष्करलाल डांगी की, पुष्करलाल डांगी UPA सरकार में मंत्री रहे सीपी जोशी के खास लोगों में से एक है ऐशे में डागी की कोशिश रहेगी की वो पटेल की सियासी आरक्षण को सही से भुना सके, डांगी जब अशोक गहलोत सरकार में विधायक थे जब डांगी ने कभी अपने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग नहीं की, आज डांगी पटेल आरक्षण के लिए आवाज बुलंद कर अपनी सियासी विरासत को बचाने की कोशिश में जुट गए है। 


फाइल फोटो-हार्दिक पटेल
6 महीने के लिए राज्यबदर हुए हार्दिक पटेल अगले 6 महीने तक पुष्करलाल डांगी के घर रहेंगे और सियासी समीकरण को भुनाने के लिए पुष्करलाल डांगी को सियासत की सिख देंगे, राजस्थान में हार्दिक पटेल के सहारे कांग्रेस की पूरी कोशिश होगी कि आरक्षण के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को बैकफूट पर ला सके, राजस्थान में आरक्षण का मुद्दा अभी कोर्ट में विचाराधीन हैं लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे को अपने हाथ से  नहीं निकलना देना चाहती हैं, वही दूसरी तरफ मोदी सरकार और आनंदी बेन सरकार के लिए आफत बन चुका पाटीदार आरक्षण आन्दोलन से बीजेपी शासित केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए पाटीदार समुदाय से निपटना मुस्किल होगा और निपटना जरुरी भी क्योंकि २०१७ में गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं ऐसे में मोदी और आनंदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के हाथ एक बड़ा मुद्दा है जिससे बीजेपी सरकार बैकफूट पर आ सकती हैं, २०१८ में राजस्थान और २०१९ में लोकसभा चुनाव हैं ऐसे में पटेल समुदाय को आरक्षण का मुद्दा पूरे देश में बीजेपी विरोधी इसे चुनावी मुद्दा बना सकते हैं।   
  



Saturday 9 July 2016

जाकिर का 'जहरीला' जिहाद

कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक डॉ जाकिर नाईक इन दिनों हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के  मीडिया में चर्चा का केंद्र बना हुआ है...जाकिर की चर्चा ..जाकिर की तकरिर की चर्चा ..जाकिर के खबरें इसलिए नहीं है कि वो आतंकवाद के खिलाफ इस्लाम को उकसा रहा है...इस्लाम को आतंक के खिलाफ एकजुट कर रहा है...बल्कि जाकिर जहरिले बोल बोलकर इस्लाम के युवाओं को आतंकवाद के लिए उकसा रहा है...वो बता रहा है कि मुसलमानों आओ आतंकवादी बनों मैं आतंकदूत हूं...जुलाई 2016 के पहले हफ्ते में बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले के दो संदिग्धों ने कहा कि वो जाकिर से प्रभावित थे तो क्या जाकिर इस्लाम आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रहा है..क्या जाकिर के जहरिले बोल समाज में जहर नहीं फैला रहा है...क्या जाकिर आतंकवाद को बढ़ाने के लिए इस्लाम का सहारा नहीं ले रहा है...क्या इस्लाम आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रहा है ये सवाल इसलिए उठ रहे है कि क्योंकि आतंकवाद और इस्लाम का चोली दामन का साथ होते दिख रहा है...ऐसा लगने लगा है जैसे आतंकवाद और इस्लाम एक दूसरे के लिए ही बने है...आखिर क्यों आतंक के आकाओं को अपना कट्टरपंथ चेहरा देखने में शर्म आति है...इस वक्त आतंक की आफत पूरे दुनिया में फैली है..आतंकवाद हम सब के लिए खतरा है...आतंकवाद के खिलाफ लड़ना हम सब कि जिम्मेदारी है...सब कहते है कि आतंकवाद और आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता...लेकिन सवाल कि जब किसी आतंकी को सजा देने की बात आति है तो उसका धर्म उसके सजा का कारण लगने लगता है...सियासी गिद्धों की फौज खड़ी हो जाति उस आतंकवादी के पक्ष में...ये सियासी गिद्ध चिल्ला-चिल्ला कर बोलने लगते है ये आतंकी नहीं ये बेगुनाह हैं..इसे माफ किया जाए ये मुसलमान है इसलिए इसे सजा दी जा रही है...देश में राजनेता ऐ भूलकर कि वो आतंकी है उसके मुसलमान मजहब को जोर शोर से उठाने लगते है चाहे अफजल गुरु हो या याकूब मेनन देश में कई ऐसे है जो मुसलमान मजहब के नाम पर इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे है...आतंकवाद के आकाओं को सियासी शह दे रहे है..जाकिर आतंकियों का गुरु है आज जाकिर को सजा देने की बजाए उसे सुरक्षा देने की कोशिश में कुछ सियासी समाज के लोग लगे है क्योंकि वो मुसलमान है...नेताओं को शर्म आनी चाहिए उस राजनीति पर जो देश और दुनिया में आतंक फैलाने वालों की नीतिओं का साथ दे रहे है...आतंकवाद और आतंकियों का कोई धर्म नहीं लेकिन आतंकवादियों ने जो इस्लाम के मुंह पर काला धब्बा लगाया है उसे इस्लामिक धर्म गुरु कैसे साफ करेंगे...कैसे बताएंगे कि इस्लाम का इमान शांति प्रिय हैं ना कि जाकिर के जहरिले बोल प्रिय...  
     जाकिर समाज में धर्म के आधार पर जहर घोल रहा है और मुसलमान युवाओं में आतंकवाद की बीज बो रहा है....मुसलमानों को मजहब के नाम पर आतंकवादी बना रहा है...तो क्या ये कहना गलत होगा कि जाकिर जैसे लोग इस्लाम और आतंकवाद को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे है..जाकिर बता रहा है कि इस्लाम है तो आतंकवाद है...तो कैसे मान लिया जाए कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है....आतंकवाद का धर्म होता है और उसका धर्म सिर्फ और सिर्फ इस्लाम होता है बांग्लादेश आतंकि हमले में ये बात साफ हो गया जब हिंदुस्तान की बेटी तरिषि की आतंकियों ने सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वो कुरान नहीं पढ़ पाई...वो हिंदू थी वो मुसलमान नहीं थी इसलिए उसे मार दिया गया...

बांग्लादेश के एक रिपोर्ट के अनुसार आतंकी हमले में आतंकियों ने सिर्फ उन्ही लोगों की हत्या कि जो गैर-मुसलमान थे...इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाने वाले और आतंकियों के नायक कहलाने वाले जाकिर नाइक को कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह शांतिदूत कहते है...राजनीति के दिग्गज दिग्विजय सिंह को शर्म आनी चाहिए ऐसी सियासत पर जो आतंकिदूत को शांतिदूत कहते है...दिग्विजय जाकिर का ऐसे बचाव कर रहे है जैसे जाकिर किसी जमाने में दिग्विजय सिंह का बिछड़ा हुआ भाई हो...मुंबई के पूर्व कमिश्नर और बीजेपी के सांसद सत्यपाल सिंह ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि 2008 में जाकिर के संदिग्ध गतिविधियों को लेकर सत्यपाल सिंह ने  UPA सरकार को रिपोर्ट भेजा था जिसकी अनदेखी मनमोहन सरकार ने की थी...सत्यपाल सिंह ने ये भी कहा कि जाकिर को विदेशों से धार्मिक तौर भड़काने और हेट कैंपेन चलाने के लिए भारी मात्रा में फंड मिलता तो सवाल उठता है कि जाकिर पर एक बड़े अधिकारी के रिपोर्ट को मनमोहन सिंह की सरकार से खारिज क्यों किया...क्या मनमोहन सिंह को मुसलमान वोट बैंक का डर था इसलिए वो जाकिर पर कार्रवाई नहीं कर पाए...क्या UPA ने जाकिर को लेकर देश की सुरक्षा से समझौता किया..

क्या UPA ने जाकिर के धर्म को देश से उपर रखा..क्या UPA ने जाकिर से साथ सहानुभूति इसलिए दिखाया क्योंकि उनका दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह जाकिर को आतंकिदूत नहीं बल्कि शांतिदूत मानते हैं...मनमोहन के सरकार के बाद दो साल से देश में मोदी की सरकार है मोदी के मंत्री और मोदी के मुख्यमंत्री जाकिर की पूरी जांच करा रहे है...मनमोहन सिंह ने तो जाकिर के साथ सहानुभूति दिखाई लेकिन मोदी के मंत्री दोषी होने पर जाकिर को सजा दिलाने की बात कह रहे है...लेकिन सही मायने में आतंकवाद के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए आतंकियों के साथ सहानुभूति नहीं उन्हे सजा मिलनी चाहिए।



Thursday 19 May 2016

बीजेपी की बादशाहत, कांग्रेस आहत!

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आ गए परिणाम ऐसे आए कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया....कांग्रेस समझ नहीं पाई कि इन चुनावों में उसके चेहरे का रंग कैसा हो गया है...आज कांग्रेस के चेहरे से सियासी रंग उतर गया...आज राहुल, सोनिया की कांग्रेस बेरंग हो गई...पांच राज्यों के चुनाव में जनता ने कांग्रेस का चिरहरड़ कर दिया..कांग्रेस इसलायक भी नहीं रही कि खुले मन से बोल सके वो देश की राष्ट्रीय पार्टी है...लेकिन कांग्रेस ने 30 सीटों वाली पुड्डुचेरी में सरकार बनाकर अपनी इज्जत तो बचा ली लेकिन अपनी साख नहीं बचा पाई...कांग्रेस महज 7 राज्यों तक सिमट गई...कांग्रेस की साख किसी पार्टी के झंडे की तरह हवा में उड़ गया जैसे रैलियों के बाद कार्यकर्ता उस झंडे को फाड़ कर हवां में उड़ा देते है...आजाद हो जाते है उस पार्टी के बंधन से..आज कांग्रेस को जनता ने हवा में उड़ा दिया..असम की जनता ने आजाद कर लिया अपने आप को उस कांग्रेस से जो पार्टी 15 साल तक सत्ता के सिहांसन पर बैठी हुई थी..चुनाव के पहले असम और केरल में कांग्रेस की सरकार थी..इन दोनों ही राज्यों की जनता ने कांग्रेस को क्लीन बोल्ड कर दिया...कर दिया सत्ता से बाहर उस परिवार और पार्टी को जो देश का सबसे बड़ा सियासी परिवार.....और सबसे पुरानी पार्टी होने का दंभ भरता है...सियासत के मैदान में कांग्रेस चारों खाने चित हो गई...असम और केरल की प्रजा ने अपने राजा तरुण गोगोई और ओमन चांडी का परित्याग कर दिया...छीन गया गोगोई और चांडी की रियासत..रियासत के राजाओं की आज राजनीतिक हार हुई है...

कांग्रेस आज कही की नहीं रही...केरल में लेफ्ट ने कांग्रेस को सत्ता से आउट कर दिया...तो असम में बीजेपी ने कांग्रेस से सत्ता छीन लिया...और कांग्रेस मुक्त भारत की ओर कदम बढ़ा दिया..केरल में कांग्रेस लेफ्ट के विरोध में तो बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस के साथ ममता से लड़ाई लड़ रहे थे..उस ममता से जिसका नारा है मां, माटी, मानुस...अपने मां, माटी, मानुस के लिए लड़नी वाली ममता ने बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस को कंगाल कर दिया....सियासत के किनारे पर ला खड़ा कर दिया कांग्रेस और लेफ्ट को जहां से कांग्रेस ना खड़ा होकर चल सकती है और नाही लेफ्ट सियासत की पिच पर दौड़ सकता है... जो लेफ्ट-बंगाल में कांग्रेस के साथ है वो केरल में कांग्रेस और ओमन चांडी की हार पर भ्रष्टाचार की छाप बता रहा है...बृंदा करात को केरल में कांग्रेस की सरकार भ्रष्ट सरकार लगती है.. जो बृंदा और लेफ्त बंगाल में कांग्रेस के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहे है उन्हे बंगाल जाते ही कांग्रेस का भ्रष्टाचार नहीं दिखता है...उन्हे बंगाल जाते ही कांग्रेस भ्रष्ट नहीं दिखती है.. लेकिन ममता ने कांग्रेस, लेफ्ट को बंगाल की राजनीति से आउट कर मैन ऑफ द मैच बन गईं   
 ममता, लेफ्ट और कांग्रेस के सियासी दौड़ के बीच बीजेपी ने अपनी धमाकेदार एट्री की है इस बार के चुनाव में बीजेपी के खाते में 6 सीटें आई...तो केरल में एतिहासिक जीत दर्ज करते हुए बीजेपी एक सीट पर जनादेश हासिल कर पाई...लेकिन बीजेपी तमिननाडु, पुड्डुचेरी में खाता भी नहीं खोल पाई...उसे वहां की जनता ने नकार दिया...चुनाव परिणामों में बीजेपी बंगाल,केरल, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी में बहुत कुछ तो नहीं कर पाई...लेकिन बिहार चुनाव में करारी हार के बाद असम में बीजेपी ने ऑसम प्रदर्शन किया...
आजादी के बाद पहली बार असम में बीजेपी की सरकार बनी..तो बंगाल में दीदी की दमदार जीत तो तमिलनाडु में 27 साल बाद किसी सत्तारुढ़ दल की अद्भुत वापसी कर अम्मा ने इतिहास रच दिया... ऐसा इतिहास की देश के पॉलिटिकल पंडित और पार्टियों के रणनीतिकार समझ नहीं पाए कि अम्मा यानी जयललिता की शानदार, जबरदस्त जनादेश का असली वजह क्या है.. क्या हैं जयललिता के जिंदाबाद राजनीति की असली नीति...


वो कौनसी नीति जिसने बंगाल में ममता बनर्जी यानी दीदी की सियासी दादागिरी के झंडे गाड़ दिए...बंगाल की कैसी 'ममता' जिसने दीदी की दमदार वापसी करा दी...वो कौन सी नीति जिसने बीजेपी को असम में जनादेश दिला दिया...ये आज की सियासत जिसमें कांग्रेस एक के बाद एक राज्य हारती जा रही है..इस हार के बाद के कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व नेशाने पर है निशाना विरोधी पार्टी बीजेपी लगा रही है...और लक्ष्य राहुल गांधी हैं...बीजेपी राहुल पर तंज कश रही है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी राहुल के सहारे पीएम मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत होने के सपने को आगे बढ़ा रहे है...इस चुनाव परिणाम को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कांग्रेस मुक्त भारत की ओर 2 कदम बढ़ने के रुप में देख रहे है... तो प्रधानमंत्री बीजेपी की विकास विचारधारा की जीत बता रहे हैं।  

Thursday 12 May 2016

‘बीजेपी अहंकारी है’


लोकसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करने गए नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ना मुझे किसी ने भेजा, ना मैं आया हूं, मुझे तो गंगा मइया ने बुलाया है... लेकिन नीतीश कुमार आज वाराणसी गए थे नाही नीतीश कुमार को किसी ने भेजा था नाही नीतीश कुमार को किसी ने बुलाया था....

बिहार के सीएम और नए नबेले जेडीयू के अध्यक्ष बनें नीतीश कुमार आज बनारश में थे..अपने कार्यकर्ताओं में 2019 के लिए चुनावी जोश भरने गए थे... मोदी के गढ़ में अपनी सियासी हुंकार को सुनाने गए थे...बीजेपी के खिलाफ सियासी दलों को एकजुट करने गए थे...बिहार के शराब बंदी को सफल बताने के लिए शराब-धतुरा पीने वाले भोले के नगरी में आज नीतीश कुमार 2019 के लिए हुंकार भरने गए थे...नीतीश की हुंकार से पहले ही कार्यकर्ताओं में जोश खुब दिखा और जोश भी माउंटेन ड्यू वाला बल्कि महाभारत वाला जोश...नीतीश के मोह में कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लॉच किया पोस्टर में नीतीश के सियासी सार्थी शरद यादव बने हैं जबकि नीतीश को पोस्टर में अर्जुन दिखाए गया है ...

यूपी में महाभारत वाले पोस्टर आजकल चर्चाओं में है क्योंकि 2017 में विधानसभा चुनाव होने वाला है...इस चुनाव के परिणाम के आधार पर 2019 का सियासी समीकरण तैयार होगा...दिल्ली की कुर्सी पर बैठना है तो वाया लखनउ जाना होगा...वैसे नीतीश को अर्जुन वाले पोस्टर से पहले कई सियासी पोस्टर आए..हर पोस्टर में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं को अलग रुप में दिखाया... किसी ने  दबंग दिखाया तो किसी ने अपने नेता को कृष्ण बताया...तो किसी ने अपने नेता को काली दिखाया...हर पार्टी के लिए उनका नेता भागवान था... वैसे पोस्टर पॉलिटिक्स की शुरुआत बीजेपी ने की यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष केशव प्रसाद मोर्य को कृष्णा दिखाया गया तो देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दबंग दिखा दिया तो अपने आप को दलितों का मसीहा बताने वाली पार्टी  BSP ने मायावती को काली के रुप में दिखा दिया...

वाराणसी कहे या बनारस आज केवल एक नाम भर नहीं....देश की सियासत का एक बड़ा अखाड़ा बन गया है...पहले बनारस लोग भोले  बाबा के दर्शन के लिए जाते थे आज राजनीतिक पार्टियां बनारस में अपनी राजनीति के बेस को मजबूत करने जाती है....बनारस वो बेस है जहां से बिहार और यूपी दोनो को सियासी रुप से साधा जा सकता है...शायद नरेंद्र मोदी की भी ऐही सोच होगी जो आज नीतीश सोच रहे हैं। 

नीतीश ने सभा में जब बोलने शुरु किया सबसे पहले जिक्र किया अपने पुराने साथी बीजेपी का... जिक्र किया की बीजेपी को घमंड है बीजेपी वाले हर किसी का मजाक उड़ाते है ..हमारा मखौल उड़ाते है.. मुस्कुराते-मुस्कुराते नीतीश कुमार भी उस बीजेपी का मजाक उड़ा रहे थे...नीतीश ने बीजेपी और नरेंद्र मोदी को नसीहत भी दे दी कि राजनीति में अहंकार सबको बर्बाद कर देती हैअहंकार का अनुभव नीतीश कुमार से अच्छा किसको हो सकता है...भला नीतीश से बेहतर कौन बता सकता है कि अहंकार का नुकसान कैसा होता है और अहंकार टूटने के बाद क्या होता है....नीतीश जानते है कि अहंकार में बीजेपी से 17 साल पुराना याराना तोड़ने का क्या नतीजा होता है और अहंकार टूटने के बाद लालू के साथ नए रिश्ता बताने पर चुनावी फायदा क्या होता है।


 प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की सभा में नीतीश कुमार ने बीजेपी और मोदी को एक नसीहत भी दे दी..नसीहत था किसी का मजाक नहीं उड़ाने का... नीतीश की नरेंद्र मोदी को नसीहत इसलिए है क्योंकि बिहार की जनता ने नरेंद्र मोदी को नकारकर नीतीश कुमार को नेतृत्व की जिम्मेदारी जो दी है... मोदी के गढ़ में नीतीश बनारसियों के पूछ रहे थे आप भी जनते है कि मोदी जी ने क्या किया...

नीतीश की मुस्कान मोदी को उकसा रही थी..2019 के लिए उकसा रही थी... नीतीश ने नरेंद्र मोदी के 15 लाख देने के वादे का जिक्र करते हुए बीजेपी और नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा कि क्या हुआ 15 लाख का जो आपने वादा किया किया...वादा-वादा ही रह गया...आपके अध्यक्ष ने पीएम के वादे को जुमला बता दियानीतीश कुमार नरेंद्र मोदी का दर्द समझ रहे थे और समझे भी क्यों ना नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी दोस्त रह चुके है दोस्ती के दौर में दोनों अपने-अपने रियासत के राजा रह चुके है रियासत भी ऐसा की उसका देश की सियासत में नाम है किसी का गुजरात मॉडल तो किसी का सुशासन राज...आज देश की सियासत इस मोड़ पर खड़ी है जहां से ना मॉडल दिख रहा है और नाही सुशासन राज...

नीतीश मोदी का दर्द समझ रहे थे नीतीश ने कहा कि 15 लाख पुरे देश के लोगों को देने में समय लगेगा...15 हजार देने से ही शुरुआत तो कर देते तो लोगों को आपसे उम्मीद बनी रहेगी ..आप पर लोगों का भरोसा बना रहेगा..लेकिन आपने लोगों का भरोसा तोड़ दिया है...वाराणसी के इस सम्मेलन से नीतीश कुमार ने अपने पुराने दोस्त और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साफ-साफ बताने की कोशिश की है 2019 में मोदी और नीतीश की सीधी टक्कर है...लेकिन नीतीश का निशाना सीधे तौर पर नरेंद्र मोदी नहीं थे बल्कि नीतीश ने संघ के सहारे मोदी पर जोरदार हमला बोला...आज नीतीश संघ से सवाल पूछ रहे है बताइए ना सर संघचालक साहब देश की आजादी में आपका क्या योगदान है देश को आपने क्या दिया...नीतीश का सवाल संघ से था कि आपने देश के लिए क्या जो आप देश भक्ति सिखा रहे है...संघ से सवाल करते समय बिहार के सीएम साहब भूल गए संघ का योगदान वो है जब देश पाकिस्तान से लड़ रहा था ...हिंदुस्तान का साथ संघ दे रहा था...जब देश चीन से लोहा ले रहा था तब संघ देश के फौज के साथ खड़ा था... नीतीश का सवाल संघ से था पर निशाना नरेंद्र मोदी थे...17 साल तक जिस पार्टी के सहारे नीतीश कुमार सत्ता में थे आज नीतीश का निशाना उसी बीजेपी पर था..निशाना नरेंद्र मोदी पर था निशाना नरेंद्र मोदी के नीतिओं पर था..संघ पर निशाना साधते हुए नीतीश ने जोरदार हमला किया और ऐसा हमला की संघ के सहारे सत्ता में आए नरेंद्र मोदी भी समझ गए होंगे कि नीतीश की निगाहे किस पर है और निशाना कौन है जाहिर सी बात है नीतीश की निगाहे पीएम की कुर्सी पर है और निशाना नरेंद्र मोदी है....नीतीश ने बिहार में शराब बंदी का भी जिक्र किया...शराब के सहारे अपनी सियासी पीठ भी खुब थपथपाया...बीजेपी पर हमला भी बोला लोगों का भरोसा बीजेपी से उठ गया...बीजेपी ने लोगों का भरोसा तोड़ा है।

चुनावी चौहदी तौयार करने नीतीश आज बनारस गए थे...बीजेपी के खिलाफ गोलबंदी करने गए थे....मोदी के खिलाफ हल्ला बोलने गए थे ..नीतीश ने अपने संबोधन में बीजेपी के खिलाफ खुब बोला..नीतीश जितना सोच कर आए थे उससे ज्य़ादा बोले... लेकिन नीतीश ने ना मुलायम की खिलाफत और नाही मायामती की मुखालफत की तो क्या नीतीश वाकई में 2019 में सभी पार्टियों को बीजेंपी के खिलाफ एक मंच पर ला पाएंगे ....क्या मुलायम-मयावती की दोस्ती करा पाएंगे जो संभव नहीं....लेकिन राजनीति की नीति बिल्कुल अलग होती है जो 17 साल तक दोस्त था वो आज दुश्मन है...जो एक दशक से विरोधी था वो आज सत्ता में सहयोगी है...राजनीति में सही नीति वही होती जो सही समय पर राज करने की नीति होती है और राजनेता वही होता है जिसके पास संसद में संख्या और सड़क पर जनसैलाब होता है।


वाराणसी में नीतीश की सभा बीजेपी को राश नहीं आई बिहार बीजेपी के अध्यक्ष मंगल पांडेय ने बिहार की तुलना रोम से की और नीतीश की तुलना नीरो से...मंगल पाणडेय ने नीतीश को निशाने में पर लेते हुए बोला की बिहार जल रहा है और नीतीश सियासी बंसी बजा रहे हैं...मंगल पाणडेय ने नीतीश की सभा को नौटंकी करार दिया ..पैसे पर जुटाने वाली भीड़ की सभा बता दिया..मंगल पाणडेय ने नीतीश को नसीहत दी बिहार में बढ़ते अपराध पर सीएम साहब नकेल कशे।

Sunday 8 May 2016

जेडीयू MLC के बेटे ने एक युवक की हत्या की

बिहार के गया में एक युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई... आज एक परिवार का लाल उससे हमेशा के लिए छीन गया...एक परिवार का चिराश सदा के लिए बुझ गया...आज एक मां की कोख सुनी हो गई....एक मां चिल्ला-चिल्ला कर अपनी आवाज सुशासन के कानों तक पहुंचाना चाहती है कि सुन लो सुशासन बाबू मैं इस लाश की बदनशीब मां हूं...जिसको आपके सुशासन में आपके सियासी साथियों मेरे बेटे को आज लाश बना दिया है...आपके सुशासन में मदर्स डे के मौके पर मुझ बदनशीब मां को आपके साथियों ने मुझे उपहार दिया मेरे बेटे की लाश का उपहार....आज घर सुना हो गया...आज एक पिता का प्यार हमेशा के लिए मर गया..मर गया वो बेटा जिसे पिता का प्यार प्यारा था जिसे मां की ममता प्यारी थी...

इस प्यार और ममता का मजाक उड़ा रहे है सुशासन बाबू के जूनियर और बिहार के उप-मुख्यमंत्री के पद पर बैठे लालू के लाल और राबड़ी के दुलारे तेजस्वी यादव जो एक बेटे की हत्या की तुलना गुरुग्राम में चोरी हुई उस गाड़ी से कर रहे जिसे चोरों ने गुरुग्राम से चुरा लिया वो कार किसी और की नहीं बल्कि लालू के जमाई राजा और तेजप्रताव ,तेजस्वी के जीजा की थी...आज गया में एक परिवार गमगीन है क्योंकि उसका बेटा मर गया... एक मां की ममता खुन से लतफत हो गई....एक मां का आंचल बिरान हो गया...और दूसरी तरफ जेतस्वी साहब उस अपने जीजा के चोरी हुई गाड़ी की तुलना उस बेटे से कर रहे जो कल तक अपनी मां के लिए मदर्स डे के लिए सपने देख रहा था..अपनी मां को तौफा देना चाहता था...उसकी मां को तौफा तो मिला लेकिन एक मां को तोफा मिला उसके बेटे की लाश ....सुन रहे है ना सुशासन बाबू और देख भी लीजिए अपने जूनियर की दलील जो सुशासन को कैसे समझा रहे है..एक बेटे की लाश की तुलना एक गाड़ी ....एक मां  की मामता की बराबरी चार पहिया मोटर के रहे है...पिता के प्यार को 10 लाख की गाड़ी से तौला जा रहा है 
ये सब सुनकर आपका सर शर्म से झुक जाएगा कि आपका सुशासन वाला बिहार कैसे कुशासन के सामन घुटने टेक रहा है ....सुशासन में एक बेटे की लाश मां के आंचल का तौफा बन रहा है ....कहते रहिए 5वीं बार नीतीश कुमार ..कहते रहिए बढ़ता रहे बिहार..कहते रहिए सुशासन का राज लेकिन गया की घटना ने जो आपके माथे पर बदनुमा पताखा लहरा दिया उसे आप कैसे मिटाएंगे..कैसे मिटाएंगे आप उस दाग को जो आपके MLC  ने कुशासन का काला धब्बा आपकी चम-चमाती सियासत पर पोत दिया है कैसे अनसुना करेंगे उस मां की ललकार जो चिल्ला-चिल्ला कर आपके सुशासन को खुले समाज में ललकार रही है...सुशासन वाली सरकार ने मदर्स-डे के मौके पर एक मां को उपहार उसके बेटे के लाश के रुप में दिया है....जय हो सुशासन राज।